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Chhath Puja 2021: नहाए खाए से शुरू हुआ छठ महापर्व, जानें पूजा का विधि-विधान - लखीमपुर खीरी

चार दिनी छठ पूजा का पर्व शुरू हो गया है. छठ पर्व माताएं अपनी संतान के सुख-समृद्धि, अरोग्यता और लंबी आयु की कामना के लिए रखती हैं. प्रदेश के विभिन्न जिलों में छठ का महापर्व मनाया जा रहा है. किस विधि और विधान से पूजा की जाएगी यह जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें....

छठ पूजा पर अर्घ्य
छठ पूजा पर अर्घ्य
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Published : Nov 9, 2021, 8:59 PM IST

Updated : Nov 9, 2021, 9:54 PM IST

कुशीनगर/आजमगढ़/लखीमपुरखीरी/बलिया: कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी यानी 8 नवंबर को 'नहाए-खाए' के साथ सूर्योपासना का महापर्व सूर्य षष्ठी व्रत (छठ) प्रारंभ हो गया. 9 नवम्बर को खरना, 10 नवम्बर को सूर्यदेव को सायंकालीन अर्घ्य और 11 नवंबर को प्रात:कालीन अर्घ्य देने के साथ ही व्रत पर्व संपन्न होगा. लोक आस्था और भगवान सूर्य की आराधना के महापर्व छठ को लेकर प्रातः उठकर व्रती महिलाओं ने गंगा स्नान करने के बाद विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना कर कद्दू और सरसों के साग के साथ सात्विक भोजन ग्रहण किया. छठ पूजा की पूर्णाहुति शनिवार को उगते हुए भगवान भास्कर को अध्य देने के बाद संपन्न होगी



गौरतलब है कि यूपी-बिहार में मनाए जाने वाला छठ महापर्व अब पूरे देश में आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष सोमवार से नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ भगवान तपन का यह महापर्व उगते हुए भगवान मार्तंड को अर्घ्य देने तक कुल चार चरणों में संपन्न होती है. कथावाचक व श्री चित्रगुप्त मंदिर के पीठाधीश्वर श्री अजयदास महाराज के अनुसार पहले दिन की पूजा के बाद से नमक का त्याग कर दिया जाता है. छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भूखे-प्यासे रहकर खीर का प्रसाद तैयार करती हैं. महत्वपूर्ण बात है कि यह खीर गन्ने के रस की बनी होती है. इसमें चीनी और नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है. सायंकाल इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद माताएं निर्जल व्रत की शुरुआत करती हैं. पहले दिन बुधवार की शाम डूबते हुए भगवान लोक प्रकाशक को अर्घ्य देंगी. चौथे व आखिरी दिन गुरुवार को उगते हुए भगवान गृहश्वेर की पूजा करेंगी. उसके बाद व्रती महिलाएं कच्चा दूध और प्रसाद ग्रहण करके व्रत पूजा की पूर्णाहुति करेंगी.

सैंड आर्टिस्ट रूपेश कुमार सिंह ने रेत पर उकेरी छठ की कृतियां



सूर्य और षष्ठी की पूजा

छठ महापर्व पर गीत षष्ठी देवी के गाए जाते हैं, लेकिन आराधना भगवान सूर्य की होती है. ब्रह्मवैवर्त पुराण (Brahma Vaivarta Purana) के अनुसार, सूर्य और षष्ठी देवी भाई-बहन हैं. मान्यता है कि सुबह और शाम सूर्य की अरुणिमा में षष्ठी देवी निवास करती हैं. इसलिए भगवान सूर्य के साथ षष्ठी देवी की पूजा होती है.



डूबते सूर्य को अर्घ्य


छठ पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को पूर्ण उपवास रहकर व्रती माताएं सायंकाल 5 बजकर 27 मिनट पर डूबते हुए भगवान कर्ता-धर्ता को अर्घ्‍य देंगी.

8 नवंबर सोमवार नहाय-खाय सुबह 6:31 बजे के बाद
9 नवंबर मंगलवार खरना शाम 5:16 के बाद
10 नवंबर बुधवार डूबते सूर्य को अर्घ्य शाम 5:27
11 नवंबर गुरुवार उगते सूर्य को अर्घ्य सुबह 6:34



उगते सूर्य को अर्घ्य

षष्ठी महापर्व की पूर्णाहुति चतुर्थ दिन उगते सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ संपन्न होती है. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 34 मिनट पर है. अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं पारन (अल्‍पाहार) करेंगी.

कैसे करें पूजन

षष्ठी के दिन यानी को सुबह वेदी पर जाकर छठ माता की पूजा करें. फिर घर लौट आएं. शाम को घाट पर वेदी के पास जाएं. पूजन सामग्री वेदी पर चढ़ाएं और दीप जलाएं. सूर्यास्त 5.28 बजे है, इसलिए अस्ताचलगामी सूर्य को दीप दिखाकर प्रसाद अर्पित करें. दूध और जल चढ़ाएं, फिर दीप जल में प्रवाहित करें. व्रत वेला (सुबह) में परिजनों के साथ निकल जाएं और घाट पर पहुंचें और व्रती पानी में खड़े होकर सूर्य उदय की प्रतीक्षा करें. सूर्य का लाल गोला जब दिखने लगे तो दीप अर्पित कर उसे जल में प्रवाहित करें. फिर हाथ से जल अर्पित करें. दूध चढ़ाएं और भगवान शुचि (सूर्य) को अर्पित करें.



पौराणिक-लोक कथाओं से गुंथा है छठ पर्व

लोक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के तेज से उत्पन्न बालक स्कंद को छह कृतिकाओं ने अपना स्तनपान कराकर उसकी रक्षा की थी. उस समय स्कंद के छह मुख हो गए थे. मान्यता है कि कृतिकाओं ने उन्हें दुग्धपान कराया गया था, इसलिए ये कार्तिकेय कहलाए. लोकमान्यता यह भी है कि यह घटना जिस मास में घटी थी उस मास का नाम कार्तिक पड़ गया. इसलिए छठ मइया की पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को की जाती है.



प्रसाद में अनिवार्य ठेकुआ

सूर्य षष्ठी पूजा में ऋतुफल के अतिरिक्त आटा, गुड़ और घी से निर्मित ठेकुआ प्रसाद होना अनिवार्य है. इस पर सांचे से भगवान प्रकाश रूप के रथ का चक्र अंकित किया जाता है. पूजा सामग्री में पांच तरह के फल, मिठाइयां, गन्ना, केले, नारियल, पाइनेपल, नीबू, शकरकंद, अदरक और नया अनाज शामिल होता है.

आजमगढ़ में 412 से स्थानों पर होगी छठ पूजा

आजमगढ़ के जिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि पूरे जनपद में 412 से अधिक स्थान और शहर के 68 जगहों पर नदी घाट, तालाबों पर छठ का पर्व मनाया जा रहा है. संबंधित विभागों को साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सभी थानों को निर्देशित किया गया है. जिन स्थानों पर पानी गहरा है वहां पर बैरिकेडिंग कर प्रॉपर रिफ्लेक्टर किये जाने, उन जगह पर गोताखोरों और नाव की भी व्यवस्था की गई. आतिशबाजी के स्थानों को भी चिन्हित भी किया गया है.

खीरी सीएमओ ने कोरोना से बचने की दी सलाह


लखीमपुर खीरी स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट किया है कि वह छठ पर्व पर सावधान रहें, क्योंकि डेंगू और मलेरिया के साथ कोरोना वायरस वापसी कर सकता है. खीरी सीएमओ डॉक्टर शैलेंद्र भटनागर कहते हैं कि छठ पर्व पर दक्षिण भारत के कई राज्यों से लोग अपने-अपने गांव में आ रहे हैं. पूर्वांचल हो या खीरी यहां भी बहुत पूर्वांचल के लोग रहते हैं. यह अलार्मिंग सिचुएशन है. क्योंकि दक्षिण भारत के राज्यों में कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ. खासकर, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र अभी भी संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में उत्तर भारत में दक्षिण भारत के राज्यों से जो भी लोग आ रहे हैं उनसे सतर्क रहने की जरूरत है. सीएमओ ने सलाह दी है कि लोग छठ पर्व पर मास्क जरूर लगाएं. सामाजिक दूरी का पालन करें और ज्यादा से ज्यादा वैक्सिनेशन करवाएं.

इसे भी पढ़ें- भोजपुरी भाषियों से सीखें, कैसे अपनी बोली को सिर-माथे पर रखना चाहिए: मालिनी अवस्थी

सैंड आर्टिस्ट रूपेश कुमार सिंह ने रेत पर उकेरी छठ की कृतियां


बलिया में कुछ छठ घाटों पर आकर्षक सजावट के साथ बनाई गईं कलाकृतियां आकर्षण का केंद्र हैं. ग्राम पंचायत पूर बाजार स्थित छठ घाट पर बालू की रेत पर उदयमान सैंड आर्टिस्ट रूपेश कुमार सिंह ने छठ पर्व से संबंधित विभिन्न कलाकृतियों के साथ ही भगवान भास्कर की आकर्षक कृति को उकेरा है. भगवान भास्कर के साथ अंधकार को दूर करने वाली ज्योति, दीपक एवं छठ व्रती महिलाओं के पूजन विधि को भी रेत पर बखूबी प्रदर्शित किया है. रूपेश सिंह की रेत पर उकेरी गईं विभिन्न कलाकृतियां छठ घाट की शोभा में चार चांद लगा रही हैं.

कुशीनगर/आजमगढ़/लखीमपुरखीरी/बलिया: कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी यानी 8 नवंबर को 'नहाए-खाए' के साथ सूर्योपासना का महापर्व सूर्य षष्ठी व्रत (छठ) प्रारंभ हो गया. 9 नवम्बर को खरना, 10 नवम्बर को सूर्यदेव को सायंकालीन अर्घ्य और 11 नवंबर को प्रात:कालीन अर्घ्य देने के साथ ही व्रत पर्व संपन्न होगा. लोक आस्था और भगवान सूर्य की आराधना के महापर्व छठ को लेकर प्रातः उठकर व्रती महिलाओं ने गंगा स्नान करने के बाद विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना कर कद्दू और सरसों के साग के साथ सात्विक भोजन ग्रहण किया. छठ पूजा की पूर्णाहुति शनिवार को उगते हुए भगवान भास्कर को अध्य देने के बाद संपन्न होगी



गौरतलब है कि यूपी-बिहार में मनाए जाने वाला छठ महापर्व अब पूरे देश में आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष सोमवार से नहाए-खाए के साथ शुरू हुआ भगवान तपन का यह महापर्व उगते हुए भगवान मार्तंड को अर्घ्य देने तक कुल चार चरणों में संपन्न होती है. कथावाचक व श्री चित्रगुप्त मंदिर के पीठाधीश्वर श्री अजयदास महाराज के अनुसार पहले दिन की पूजा के बाद से नमक का त्याग कर दिया जाता है. छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भूखे-प्यासे रहकर खीर का प्रसाद तैयार करती हैं. महत्वपूर्ण बात है कि यह खीर गन्ने के रस की बनी होती है. इसमें चीनी और नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है. सायंकाल इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद माताएं निर्जल व्रत की शुरुआत करती हैं. पहले दिन बुधवार की शाम डूबते हुए भगवान लोक प्रकाशक को अर्घ्य देंगी. चौथे व आखिरी दिन गुरुवार को उगते हुए भगवान गृहश्वेर की पूजा करेंगी. उसके बाद व्रती महिलाएं कच्चा दूध और प्रसाद ग्रहण करके व्रत पूजा की पूर्णाहुति करेंगी.

सैंड आर्टिस्ट रूपेश कुमार सिंह ने रेत पर उकेरी छठ की कृतियां



सूर्य और षष्ठी की पूजा

छठ महापर्व पर गीत षष्ठी देवी के गाए जाते हैं, लेकिन आराधना भगवान सूर्य की होती है. ब्रह्मवैवर्त पुराण (Brahma Vaivarta Purana) के अनुसार, सूर्य और षष्ठी देवी भाई-बहन हैं. मान्यता है कि सुबह और शाम सूर्य की अरुणिमा में षष्ठी देवी निवास करती हैं. इसलिए भगवान सूर्य के साथ षष्ठी देवी की पूजा होती है.



डूबते सूर्य को अर्घ्य


छठ पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को पूर्ण उपवास रहकर व्रती माताएं सायंकाल 5 बजकर 27 मिनट पर डूबते हुए भगवान कर्ता-धर्ता को अर्घ्‍य देंगी.

8 नवंबर सोमवार नहाय-खाय सुबह 6:31 बजे के बाद
9 नवंबर मंगलवार खरना शाम 5:16 के बाद
10 नवंबर बुधवार डूबते सूर्य को अर्घ्य शाम 5:27
11 नवंबर गुरुवार उगते सूर्य को अर्घ्य सुबह 6:34



उगते सूर्य को अर्घ्य

षष्ठी महापर्व की पूर्णाहुति चतुर्थ दिन उगते सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ संपन्न होती है. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 34 मिनट पर है. अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं पारन (अल्‍पाहार) करेंगी.

कैसे करें पूजन

षष्ठी के दिन यानी को सुबह वेदी पर जाकर छठ माता की पूजा करें. फिर घर लौट आएं. शाम को घाट पर वेदी के पास जाएं. पूजन सामग्री वेदी पर चढ़ाएं और दीप जलाएं. सूर्यास्त 5.28 बजे है, इसलिए अस्ताचलगामी सूर्य को दीप दिखाकर प्रसाद अर्पित करें. दूध और जल चढ़ाएं, फिर दीप जल में प्रवाहित करें. व्रत वेला (सुबह) में परिजनों के साथ निकल जाएं और घाट पर पहुंचें और व्रती पानी में खड़े होकर सूर्य उदय की प्रतीक्षा करें. सूर्य का लाल गोला जब दिखने लगे तो दीप अर्पित कर उसे जल में प्रवाहित करें. फिर हाथ से जल अर्पित करें. दूध चढ़ाएं और भगवान शुचि (सूर्य) को अर्पित करें.



पौराणिक-लोक कथाओं से गुंथा है छठ पर्व

लोक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के तेज से उत्पन्न बालक स्कंद को छह कृतिकाओं ने अपना स्तनपान कराकर उसकी रक्षा की थी. उस समय स्कंद के छह मुख हो गए थे. मान्यता है कि कृतिकाओं ने उन्हें दुग्धपान कराया गया था, इसलिए ये कार्तिकेय कहलाए. लोकमान्यता यह भी है कि यह घटना जिस मास में घटी थी उस मास का नाम कार्तिक पड़ गया. इसलिए छठ मइया की पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को की जाती है.



प्रसाद में अनिवार्य ठेकुआ

सूर्य षष्ठी पूजा में ऋतुफल के अतिरिक्त आटा, गुड़ और घी से निर्मित ठेकुआ प्रसाद होना अनिवार्य है. इस पर सांचे से भगवान प्रकाश रूप के रथ का चक्र अंकित किया जाता है. पूजा सामग्री में पांच तरह के फल, मिठाइयां, गन्ना, केले, नारियल, पाइनेपल, नीबू, शकरकंद, अदरक और नया अनाज शामिल होता है.

आजमगढ़ में 412 से स्थानों पर होगी छठ पूजा

आजमगढ़ के जिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि पूरे जनपद में 412 से अधिक स्थान और शहर के 68 जगहों पर नदी घाट, तालाबों पर छठ का पर्व मनाया जा रहा है. संबंधित विभागों को साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सभी थानों को निर्देशित किया गया है. जिन स्थानों पर पानी गहरा है वहां पर बैरिकेडिंग कर प्रॉपर रिफ्लेक्टर किये जाने, उन जगह पर गोताखोरों और नाव की भी व्यवस्था की गई. आतिशबाजी के स्थानों को भी चिन्हित भी किया गया है.

खीरी सीएमओ ने कोरोना से बचने की दी सलाह


लखीमपुर खीरी स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट किया है कि वह छठ पर्व पर सावधान रहें, क्योंकि डेंगू और मलेरिया के साथ कोरोना वायरस वापसी कर सकता है. खीरी सीएमओ डॉक्टर शैलेंद्र भटनागर कहते हैं कि छठ पर्व पर दक्षिण भारत के कई राज्यों से लोग अपने-अपने गांव में आ रहे हैं. पूर्वांचल हो या खीरी यहां भी बहुत पूर्वांचल के लोग रहते हैं. यह अलार्मिंग सिचुएशन है. क्योंकि दक्षिण भारत के राज्यों में कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ. खासकर, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र अभी भी संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में उत्तर भारत में दक्षिण भारत के राज्यों से जो भी लोग आ रहे हैं उनसे सतर्क रहने की जरूरत है. सीएमओ ने सलाह दी है कि लोग छठ पर्व पर मास्क जरूर लगाएं. सामाजिक दूरी का पालन करें और ज्यादा से ज्यादा वैक्सिनेशन करवाएं.

इसे भी पढ़ें- भोजपुरी भाषियों से सीखें, कैसे अपनी बोली को सिर-माथे पर रखना चाहिए: मालिनी अवस्थी

सैंड आर्टिस्ट रूपेश कुमार सिंह ने रेत पर उकेरी छठ की कृतियां


बलिया में कुछ छठ घाटों पर आकर्षक सजावट के साथ बनाई गईं कलाकृतियां आकर्षण का केंद्र हैं. ग्राम पंचायत पूर बाजार स्थित छठ घाट पर बालू की रेत पर उदयमान सैंड आर्टिस्ट रूपेश कुमार सिंह ने छठ पर्व से संबंधित विभिन्न कलाकृतियों के साथ ही भगवान भास्कर की आकर्षक कृति को उकेरा है. भगवान भास्कर के साथ अंधकार को दूर करने वाली ज्योति, दीपक एवं छठ व्रती महिलाओं के पूजन विधि को भी रेत पर बखूबी प्रदर्शित किया है. रूपेश सिंह की रेत पर उकेरी गईं विभिन्न कलाकृतियां छठ घाट की शोभा में चार चांद लगा रही हैं.

Last Updated : Nov 9, 2021, 9:54 PM IST
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