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केंद्र सरकार ने रबी की फसल की MSP में बढ़ाई, जानें क्या बोले कुशीनगर के किसान

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के लिए अहम फैसला लिया है. केंद्रीय कैबिनेट ने साल 2022-23 के सीजन के लिए रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की है. वहीं कुशीनगर जिले के किसानों ने सरकार के इस तोहफे को चुनावी मुद्दा बताया तो कुछ ने किसानों के लिए फायदेमंद बताया हैं.

केंद्र सरकार ने रबी की फसल की MSP में बढ़ाई
केंद्र सरकार ने रबी की फसल की MSP में बढ़ाई
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Published : Sep 15, 2021, 12:37 PM IST

कुशीनगर: मोदी सरकार ने किसानों को रबी की फसल सत्र 2022-23 के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी) में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई. इसके बाद कुशीनगर जिले के किसानों ने सरकार के इस तोहफे को चुनावी मुद्दा बताया तो कुछ ने किसानों के लिए फायदेमंद बताया हैं.

मोदी सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2022-23 में किसानों को बड़ा तोहफा देने को बात कर रही हैं. जिसमें सरकार ने रबी के फसलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया हैं. जिसे आज मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद इसकी कीमत जारी कर दी गई हैं. सरकार की तरफ से इस नई कीमत के अनुसार गेहूं की एमएसपी में 40 रुपये, चना की एमएसपी में 130 रुपये, सरसो की एमएसपी में 400 रुपये तक कि बढ़ोतरी की हैं. इस नई लिस्ट पर मंत्रिमंडल की मंजुरी मिलने के बाद कुशीनगर के किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया दी.

जानें क्या बोले कुशीनगर के किसान

रामकोला क्षेत्र के रहने वाले रामनरायन ने बताया कि अगर सरकार किसानों के फसल को उस समय तक अपने निर्धारण रेट पर ले फायदा जरूर होगा. पर उसके लिए जरूरी है, उनके पास उद्यमी हो अगर नहीं है तो सरकार किसानों को झूठा वादा कर फंसा रही है. क्योंकि ऐसी ही हर सरकारों की कारनामे देखने को मिलते हैं. हम किसानों के लिए ऐसा कानून होना चाहिए कि हमें लंबे समय तक लाभ हो सके जिससे हम जो भी उत्पादन दें.

लक्ष्मीगंज इलाके के रहने वाले रामाधार कहते हैं कि सरकार बड़े किसानों के लिए तो रेट बढ़ाती है, पर हम छोटे किसानों को इसका लाभ कहां मिलता है. हमारे पास से तो व्यापारी सस्ते दामों पर ले जाकर सरकार को बेचते हैं. हम लोग को तो वही रेट मिलता है. क्योंकि हम लोग बाजार के अनुसार कभी 10 किलो तो कहीं 1 क्विंटल बेचते हैं. जिससे हमारा रोजमर्रा की जिंदगी चल सके. जिसे बिचौलिए आधे रेट में खरीदते हैं और सरकार के कागजों में उन्हें किसानों से लिया बताकर बेच दिया जाता है. अच्छा जब तक इस पर कोई कानून नहीं आता हमें कोई फायदा नहीं होगा.

कप्तानगंज के पास के रहने वाले प्रभास कुशवाहा बताते हैं कि एक तरफ सरकार एमएसपी लागू कर रही है. पर वहीं दूसरी ओर एमएसपी की मांग पर ही किसान बैठे हुए हैं. हमारी तो सरकार से ही मांग है किसानों पर ऐसे कानून न बनाए जाएं जिससे किसान प्रभावित हो जो सरकार ने अभी रेट बढ़ाए हैं उसे किसानों को लाभ कहां होगा, उसमें तो बिचौलियों की चांदी होगी. क्योंकि व्यापारी अपने मनमानी रेट से खरीदना है और उसे किसान बनकर सरकार को बेचता है.

इसे भी पढ़ें-बेटियो संग टहल रही महिला का हुआ अपहरण, पुलिस ने बताया गुमशुदगी

जिले के भारतीय किसान यूनियन की एक इकाई के जिलाध्यक्ष रामचंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने जो बढ़ोतरी की है वह तो अच्छा है. पर सरकार 2022-23 की फसल के लिए अभी निर्धारण चुनाव को देखते हुए किया गया है. सरकार ने किसानों से जो पहले वादा किए थे वह भी तो नहीं मिले. ऐसे ही सरकार ने 1500000 और काला धन का झूठा वादा कर चुकी है और किसान की आय दोगुनी होने की जो बात सरकार करती थी, उसमें बीज, खाद, कंपोस्ट नाशक दवाइयां, डीजल आदि सभी किसानों की जरूरी चीजें महंगी हो गई. यह सरकार सिर्फ किसानों को तोफा के नाम पर झूठी डफली पीट रही है.

कुशीनगर: मोदी सरकार ने किसानों को रबी की फसल सत्र 2022-23 के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी) में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई. इसके बाद कुशीनगर जिले के किसानों ने सरकार के इस तोहफे को चुनावी मुद्दा बताया तो कुछ ने किसानों के लिए फायदेमंद बताया हैं.

मोदी सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2022-23 में किसानों को बड़ा तोहफा देने को बात कर रही हैं. जिसमें सरकार ने रबी के फसलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया हैं. जिसे आज मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद इसकी कीमत जारी कर दी गई हैं. सरकार की तरफ से इस नई कीमत के अनुसार गेहूं की एमएसपी में 40 रुपये, चना की एमएसपी में 130 रुपये, सरसो की एमएसपी में 400 रुपये तक कि बढ़ोतरी की हैं. इस नई लिस्ट पर मंत्रिमंडल की मंजुरी मिलने के बाद कुशीनगर के किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया दी.

जानें क्या बोले कुशीनगर के किसान

रामकोला क्षेत्र के रहने वाले रामनरायन ने बताया कि अगर सरकार किसानों के फसल को उस समय तक अपने निर्धारण रेट पर ले फायदा जरूर होगा. पर उसके लिए जरूरी है, उनके पास उद्यमी हो अगर नहीं है तो सरकार किसानों को झूठा वादा कर फंसा रही है. क्योंकि ऐसी ही हर सरकारों की कारनामे देखने को मिलते हैं. हम किसानों के लिए ऐसा कानून होना चाहिए कि हमें लंबे समय तक लाभ हो सके जिससे हम जो भी उत्पादन दें.

लक्ष्मीगंज इलाके के रहने वाले रामाधार कहते हैं कि सरकार बड़े किसानों के लिए तो रेट बढ़ाती है, पर हम छोटे किसानों को इसका लाभ कहां मिलता है. हमारे पास से तो व्यापारी सस्ते दामों पर ले जाकर सरकार को बेचते हैं. हम लोग को तो वही रेट मिलता है. क्योंकि हम लोग बाजार के अनुसार कभी 10 किलो तो कहीं 1 क्विंटल बेचते हैं. जिससे हमारा रोजमर्रा की जिंदगी चल सके. जिसे बिचौलिए आधे रेट में खरीदते हैं और सरकार के कागजों में उन्हें किसानों से लिया बताकर बेच दिया जाता है. अच्छा जब तक इस पर कोई कानून नहीं आता हमें कोई फायदा नहीं होगा.

कप्तानगंज के पास के रहने वाले प्रभास कुशवाहा बताते हैं कि एक तरफ सरकार एमएसपी लागू कर रही है. पर वहीं दूसरी ओर एमएसपी की मांग पर ही किसान बैठे हुए हैं. हमारी तो सरकार से ही मांग है किसानों पर ऐसे कानून न बनाए जाएं जिससे किसान प्रभावित हो जो सरकार ने अभी रेट बढ़ाए हैं उसे किसानों को लाभ कहां होगा, उसमें तो बिचौलियों की चांदी होगी. क्योंकि व्यापारी अपने मनमानी रेट से खरीदना है और उसे किसान बनकर सरकार को बेचता है.

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जिले के भारतीय किसान यूनियन की एक इकाई के जिलाध्यक्ष रामचंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने जो बढ़ोतरी की है वह तो अच्छा है. पर सरकार 2022-23 की फसल के लिए अभी निर्धारण चुनाव को देखते हुए किया गया है. सरकार ने किसानों से जो पहले वादा किए थे वह भी तो नहीं मिले. ऐसे ही सरकार ने 1500000 और काला धन का झूठा वादा कर चुकी है और किसान की आय दोगुनी होने की जो बात सरकार करती थी, उसमें बीज, खाद, कंपोस्ट नाशक दवाइयां, डीजल आदि सभी किसानों की जरूरी चीजें महंगी हो गई. यह सरकार सिर्फ किसानों को तोफा के नाम पर झूठी डफली पीट रही है.

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