कौशांबी: जनपद में अंधविश्वास के चलते मानसिक रोगियों का बेड़ियों से बांधकर इलाज किया जाता है. जाली वाले बाबा के नाम से चर्चित मज़ार पर लोहे की जंजीर से जानवरों की तरह पीड़ित को बांधा गया है. पीड़ितों के परिजन ही उन्हें इस मजार पर इलाज के लिए लेकर जाते हैं.
जिला मुख्यालय मंझनपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित मिनहाजपुर गांव का मामला है. यहां ग्रामीणों को लगता है कि मानसिक रोगियों का इलाज इस मजार पर ही हो सकता है. पीड़ितों के परिजनों का मानना है, कि उन पर किसी अदृश्य ताकत का साया है. उसकी वजह से ही उनका मानसिक संतुलन खराब हो गया है.
चायल तहसील के गांव मिनहाजपुर में पुरानी सैयद शाह कबीर उद्दीन सोहर वर्दी की मजार है. इस मजार की देखभाल मौलवी मोहम्मज परवेज करते हैं. मौलवी परवेज ने बताया कि इस मजार के बार में तब पता चला जब प्रयागराज स्थित मुनव्वर शाह बाबा की मजार पर गांव के ही दो लड़के गए. दोनों लड़कों के उनके ऊपर अदृश्य ताकत का साया था. उसी ताकत ने दोनों लड़कों के परिजनों से मिनहाजपुर गांव की मजार पर जाने के लिए कहा था. उसके बाद दोनों पीड़ित लड़के गांव वापस आए.
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मौलवी मोहम्मज परवेज ने मजार की साफ सफाई करवाई और वहां फिर मानसिक रोगी इलाज के लिए आने लगे. उन्होंने बताया कि यहां मरीजों को लोहे की जंजीरों में जकड़ कर उनका इलाज किया जाता है. अगर मानसिक रोगी उत्तेजित होता है तो बांस की कैन से उनकी पिटाई की जाती है. इतना ही नहीं लगातार बेड़ियों में जकड़े रहने की वजह से रोगियों के पैरों में सूजन आ जाती है. रोगियों के परिजन इतना सब कुछ इस उम्मीद पर सहते हैं कि उनके अपने यहां पर ठीक हो जाएंगे.
मिनहाजपुर की इस मजार पर मानसिक रोगियों को लेकर दूर-दूर से लोग आते हैं. यहां आने वाले लोगों ने प्लास्टिक की पन्नी और बांस की कैन से अस्थाई घर भी बना लिया है. प्रयागराज जनपद की रहने वाली राजकुमारी मानसिक रोगी अपने भाई को लेकर इस मजार पर गई. राजकुमारी के अनुसार यहां इलाज होने से उनके भाई के ऊपर से शैतानी साया दूर हो जाएगा.
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