सहारनपुर : खनन माफिया एवं एमएलसी बंधुओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पूर्व एमएलसी हाजी मोहम्मद इकबाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने छोटे भाई एमएलसी महमूद अली पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. कोर्ट ने खनन मामले में महमूद अली समेत दो के खिलाफ 100 करोड़ रुपये की आरसी जारी की है. एनजीटी के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. बसपा एवं सपा शासन में एमएलसी ने न सिर्फ अवैध खनन कर यमुना नदी और आसपास के इलाकों में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया था, बल्कि राजस्व को भी करोड़ों का चूना लगाया था.
क्या है पूरा मामला
- बसपा और सपा सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन बीएसपी एमएलसी हाजी मोहम्मद इकबाल ने अपने छोटे भाई एवं वर्तमान एमएलसी महमूद अली के नाम पर अवैध खनन किया था.
- खनन माफियाओं ने यमुना नदी में 100 फीट गहरे गड्ढे खोद दिए थे.
- इसके अलावा आसपास के इलाकों में भी जमकर खनन का काला कारोबार किया गया.
- एमएलसी ने सत्ता में रहते हुए अपने पार्टनर अमित जैन के नाम से भी खनन के पट्टे आवंटित करा दिए थे.
- सहारनपुर के दिल्ली रोड निवासी गुरप्रीत सिंह बग्गा ने इस मामले में एनजीटी में शिकायत की थी.
- शिकायत में बताया गया था कि अवैध खनन से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है.
- साथ ही सरकार की मिलीभगत के चलते करोड़ों रुपये की राजस्व हानि भी हो रही है.
- याचिकाकर्ता की सुनवाई के बाद साल 2016 में एनजीटी ने महमूद अली और अमित जैन पर 50-50 करोड़ का जुर्माना लगाया था.
- एनजीटी के आदेश के खिलाफ इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
- सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें दोषी मानते हुए 50-50 करोड़ के जुर्माने को बरकरार रखा.
सुप्रीम कोर्ट ने खनन मामले में बसपा एमएलसी समेत दो के खिलाफ 100 करोड़ की रिकवरी करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने एनजीटी के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें इनके खिलाफ जुर्माना राशि वसूलने का फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सभी के खिलाफ आरसी जारी कर जुर्माना राशि जमा करने के आदेश दे दिए हैं.
-विनोद कुमार, एडीएम वित्त