कौशांबी: कौशांबी को जब से जिले का दर्जा मिला, तब से यहां की जमीन के रेट बढ़ने लगे और यहां के बाग-बगीचों की सफाई शुरू हो गई. आलम यह है कि भू-माफिया पांच पेड़ काटने की परमिशन लेते हैं और पूरा बगीचा ही उजाड़ देते हैं. अभी माफिया के निशाने पर मंझनपुर स्थित जिला अस्पताल के पास का बगीचा है. भू-माफिया के इस खुलेआम खेल से प्रशासन अनजान नहीं है, मगर वह कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. अफसरों का एक ही रटा-रटाया जवाब होता है, जांच की जा रही है, बाद में एक्शन लेंगे.
जमीन की बढ़ती कीमत ने बागों को उजाड़ा
मीठे आम के लिए मशहूर कौशांबी जिला मुख्यालय चारों तरफ से आम के हरे बागों से घिरा हुआ था. 4 अप्रैल 1997 को इलाहाबाद जिले से अलग होकर कौशांबी जिला बना. इसके बाद से यहां जमीन के रेट बढ़ने लगे, खासकर जिला मुख्यालय में जमीन की डिमांड बढ़ी. पिछले पांच साल में मुख्यालय में जमीन की कीमत चौगुनी हो गई है. पांच साल पहले 100 गज का प्लॉट दो -ढाई लाख में मिलता था. अब इसकी कीमत 8 से 10 लाख के बीच हो चुकी है. ऐसे में भू-माफिया सक्रिय हो गए हैं. मुख्यालय में स्थित फलदार पेड़ों के बाग इन माफियाओं के निशाने पर हैं. नया मामला जिला मुख्यालय मंझनपुर स्थित जिला अस्पताल के पास का है. जहाँ भू माफियाओं ने हरे आम के बगीचे को मैदान में तब्दील कर दिया और उस पर प्लॉटिंग कर दी.
कैसे हो रहा है गोरखधंधा
भू-माफिया प्रशासन से चार-पांच पेड़ों को काटने की अनुमति लेता है. पांच पेड़ काटने के दौरान वह वहां मौजूद अन्य पेड़ों की डालियों को भी काट देते हैं. फिर मौका मिलते ही जेसीबी की मदद से जड़ निकाल कर पेड़ को ग़ायब कर देते हैं. गौरतलब है कि प्रशासन फलदार पेड़ को निष्प्रोज्य यानी बिना उपयोग वाला बताकर काटने की परमीशन दे रहा है. मंझनपुर स्थित जिला अस्पताल के पास दो महीने पहले पांच पेड़ का परमीशन दिया गया था. तब वहां पर पहले पांच पेड़ काटे गए. इसके बाद लगातार वहां के पेड़ काटे जा रहे है. बाग़ काटने की सूचना पर तहसीलदार मंझनपुर रामजी मौके पर पहुंचे. पूछे जाने पर तहसीलदार ने बताया कि मंझनपुर के बाग में पांच पेड़ काटने की अनुमति थी, लेकिन कई पेड़ काटे गए हैं. इस मामले में जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.