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कौशांबी: इस बार यूपी के इन तीन सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर - चुनाव 2019

कौशांबी लोकसभा सीट से इस बार तीन सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. इस सीट पर ऐसे तीन उम्मीदवार हैं, जिनके साथ तीन पार्टियों के दिग्गज नेताओं की साख दांव पर है. यहां पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के साथ ही राजा भैया भी अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं.

इस बार यूपी के इन तीन सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
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Published : Apr 27, 2019, 10:32 AM IST

कौशांबी: आजादी के बाद महाशय मसूरिया दीन की कर्मभूमि रही कौशांबी संसदीय सीट पर इस बार के लोकसभा चुनाव यूपी के तीन सियासी दिग्गजों के बीच फंसी हुई है. इन सीटों पर चुनाव भले ही प्रत्याशी लड़ रहे हों पर यूपी के तीन सियासी दिग्गज यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और सपा के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज की प्रतिष्ठा दांव पर है.

कौशांबी सीट से उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य प्रतिष्ठा दांव पर है. इसका कारण यह है कि यह उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद है. डिप्टी सीएम सिराथू के रहने वाले हैं. यहां से भाजपा के टिकट पर बीजेपी अनसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व निवर्तमान सांसद विनोद सोनकर चुनाव लड़ रहे हैं. केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद से पार्टी के उम्मीदवार के हारने का गलत संदेश जाएगा. लोग यही कहेंगे कि अपने घर की सीट भी केशव प्रसाद मौर्य नहीं बचा पाए. लिहाजा विनोद सोनकर को जिताने के लिए पार्टी संगठन ने पूरा जोर लगा रखा है.

खुद महेंद्र नाथ पांडेय पहुंचे थे नामांकन में
इसी कारण विनोद सोनकर के नामांकन में खुद प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय, केंद्रीय मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी पहुंचे थे. नामांकन में पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी अच्छा खासा जोश दिखाकर यह संकेत देने की कोशिश की है कि वह यह सीट पार्टी कार्यकर्ता किसी भी हालत में जाने नहीं देंगे. हालांकि ऊंट किस करवट बैठेगा या तो समय बताएगा पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की सीट बचाने की पूरी कोशिश है. यही कारण है कि यहां प्रधानमंत्री मोदी व अमित शाह की चुनावी सभाएं कराने की पार्टी पूरी कोशिश में लगी हुई है.

रघुराज प्रताप सिंह की भी प्रतिष्ठा दांव पर
यहां से जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इसका कारण यह है कि कुंडा विधानसभा सीट से लगातार 25 वर्षों से विधायक रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के सामने अपनी नई पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का खाता खोलने की बड़ी चुनौती है. राजा भैया के वर्चस्व व मतदाताओं के बीच प्रभाव रखने वाली सीटें प्रतापगढ़ व कौशांबी ही हैं. नवगठित पार्टी का यह पहला चुनाव है. इस वजह से भी अगर पार्टी कौशांबी व प्रतापगढ़ लोकसभा सीट जीत का वरण करती है तो उसके लिए या संजीवनी का काम करेगी. यही कारण है कि राजा भैया ने अपनी पूरी शक्ति इस चुनाव में झोंक दी है.

कौशांबी सांसद सीट राजा भैया के जीत के लिए इसलिए मायने रखती है क्योंकि कौशांबी लोकसभा में राजा भैया के प्रभावशाली क्षेत्र माने जाने वाली कुंडा और बाबागंज विधानसभा सीट इसी लोकसभा में आती है. जनसत्ता का लोकतांत्रिक से चुनाव लड़ रहे पूर्व सपा सांसद शैलेंद्र के नामांकन में खुद राजा भैया आए थे. उनकी उपस्थिति व कार्यकर्ताओं का जोश पार्टी को कितनी सीटें दिला पाएगा या तो भविष्य के गर्भ में है. पर इस चुनाव में पार्टी अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज कराए इसके लिए जीत जरूरी है.

माया सरकार में मंत्री रहे इंद्रजीत सरोज की भी मैदान में
मायावती सरकार में रसूखदार मंत्री रहे इंद्रजीत सरोज सपा और बसपा गठबंधन से मैदान में हैं इंद्रजीत सरोज बसपा में राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं. वर्तमान में वह सपा में भी राष्ट्रीय महासचिव है. कौशांबी के इलाहाबाद से अलग जनपद बनने के पीछे उनका बड़ा योगदान रहा. यह बात अलग है कि नया जिला बनने के बाद जनपद के विकास की जो गति अपेक्षित थी वह नहीं रही. जिला आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. ऐसे में इंद्रजीत सरोज की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इंद्रजीत सरोज कौशांबी से गठबंधन के प्रत्याशी हैं. यह सीट सपा के खाते में गई है. यही कारण है कि सपा और बसपा दोनों इस सीट से विजय हासिल करने की कोशिश करेगी.

कौशांबी: आजादी के बाद महाशय मसूरिया दीन की कर्मभूमि रही कौशांबी संसदीय सीट पर इस बार के लोकसभा चुनाव यूपी के तीन सियासी दिग्गजों के बीच फंसी हुई है. इन सीटों पर चुनाव भले ही प्रत्याशी लड़ रहे हों पर यूपी के तीन सियासी दिग्गज यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और सपा के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज की प्रतिष्ठा दांव पर है.

कौशांबी सीट से उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य प्रतिष्ठा दांव पर है. इसका कारण यह है कि यह उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद है. डिप्टी सीएम सिराथू के रहने वाले हैं. यहां से भाजपा के टिकट पर बीजेपी अनसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व निवर्तमान सांसद विनोद सोनकर चुनाव लड़ रहे हैं. केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद से पार्टी के उम्मीदवार के हारने का गलत संदेश जाएगा. लोग यही कहेंगे कि अपने घर की सीट भी केशव प्रसाद मौर्य नहीं बचा पाए. लिहाजा विनोद सोनकर को जिताने के लिए पार्टी संगठन ने पूरा जोर लगा रखा है.

खुद महेंद्र नाथ पांडेय पहुंचे थे नामांकन में
इसी कारण विनोद सोनकर के नामांकन में खुद प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय, केंद्रीय मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी पहुंचे थे. नामांकन में पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी अच्छा खासा जोश दिखाकर यह संकेत देने की कोशिश की है कि वह यह सीट पार्टी कार्यकर्ता किसी भी हालत में जाने नहीं देंगे. हालांकि ऊंट किस करवट बैठेगा या तो समय बताएगा पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की सीट बचाने की पूरी कोशिश है. यही कारण है कि यहां प्रधानमंत्री मोदी व अमित शाह की चुनावी सभाएं कराने की पार्टी पूरी कोशिश में लगी हुई है.

रघुराज प्रताप सिंह की भी प्रतिष्ठा दांव पर
यहां से जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इसका कारण यह है कि कुंडा विधानसभा सीट से लगातार 25 वर्षों से विधायक रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के सामने अपनी नई पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का खाता खोलने की बड़ी चुनौती है. राजा भैया के वर्चस्व व मतदाताओं के बीच प्रभाव रखने वाली सीटें प्रतापगढ़ व कौशांबी ही हैं. नवगठित पार्टी का यह पहला चुनाव है. इस वजह से भी अगर पार्टी कौशांबी व प्रतापगढ़ लोकसभा सीट जीत का वरण करती है तो उसके लिए या संजीवनी का काम करेगी. यही कारण है कि राजा भैया ने अपनी पूरी शक्ति इस चुनाव में झोंक दी है.

कौशांबी सांसद सीट राजा भैया के जीत के लिए इसलिए मायने रखती है क्योंकि कौशांबी लोकसभा में राजा भैया के प्रभावशाली क्षेत्र माने जाने वाली कुंडा और बाबागंज विधानसभा सीट इसी लोकसभा में आती है. जनसत्ता का लोकतांत्रिक से चुनाव लड़ रहे पूर्व सपा सांसद शैलेंद्र के नामांकन में खुद राजा भैया आए थे. उनकी उपस्थिति व कार्यकर्ताओं का जोश पार्टी को कितनी सीटें दिला पाएगा या तो भविष्य के गर्भ में है. पर इस चुनाव में पार्टी अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज कराए इसके लिए जीत जरूरी है.

माया सरकार में मंत्री रहे इंद्रजीत सरोज की भी मैदान में
मायावती सरकार में रसूखदार मंत्री रहे इंद्रजीत सरोज सपा और बसपा गठबंधन से मैदान में हैं इंद्रजीत सरोज बसपा में राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं. वर्तमान में वह सपा में भी राष्ट्रीय महासचिव है. कौशांबी के इलाहाबाद से अलग जनपद बनने के पीछे उनका बड़ा योगदान रहा. यह बात अलग है कि नया जिला बनने के बाद जनपद के विकास की जो गति अपेक्षित थी वह नहीं रही. जिला आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. ऐसे में इंद्रजीत सरोज की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इंद्रजीत सरोज कौशांबी से गठबंधन के प्रत्याशी हैं. यह सीट सपा के खाते में गई है. यही कारण है कि सपा और बसपा दोनों इस सीट से विजय हासिल करने की कोशिश करेगी.

Intro:आजादी के बाद महाशय मसूरिया दीन की कर्मभूमि रही कौशांबी संसदीय सीट पर इस बार के लोकसभा चुनाव यूपी के तीन सियासी दिग्गजों के बीच फसी हुई है । इन सीटों पर चुनाव भले ही प्रत्याशी लड़ रहे हो पर यूपी के तीन सियासी दिग्गज यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और सपा के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत इंद्रजीत सरोज की प्रतिष्ठा दांव पर है।


Body:उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य प्रतिष्ठा दांव पर है। इसका कारण यह है कि यह उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद है । वह सिराथू के रहने वाले हैं। यहां से भाजपा के टिकट पर बीजेपी अनसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व निवर्तमान सांसद विनोद सोनकर चुनाव लड़ रहे हैं। केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद से पार्टी के उम्मीदवार के हारने का गलत संदेश जाएगा। लोग यही कहेंगे कि अपने घर की सीट भी केशव प्रसाद मौर्य नहीं बचा पाए लिहाजा विनोद सोनकर को जिताने के लिए पार्टी संगठन ने पूरा जोर लगा रखा है । इसी कारण से विनोद सोनकर के नामांकन में खुद प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे इसके अलावा केंद्रीय मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी पहुंचे थे। नामांकन में पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी अच्छा खासा जोश दिखाकर यह संकेत देने की कोशिश की है कि वह यह सीट पार्टी कार्यकर्ता किसी भी हालत में जाने नहीं देंगे। हालांकि ऊंट किस करवट बैठेगा या तो समय बताएगा पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की सीट बचाने की पूरी कोशिश है यही कारण है कि यहां प्रधानमंत्री मोदी व अमित शाह की चुनावी सभाएं कराने की पार्टी पूरी कोशिश में लगी हुई है। यहाँ से जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह की भी प्रतिष्ठा दाव पर लगी है इसका कारण यह है कि कुंडा विधानसभा सीट से लगातार 25 वर्षों से विधायक रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के सामने अपनी नई पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का खाता खोलने की बड़ी चुनौती है। राजा भैया के वर्चस्व व मतदाताओं के बीच प्रभाव रखने वाली सीटें प्रतापगढ़ व कौशांबी ही है। नवगठित पार्टी का यह पहला चुनाव है। इस वजह से भी अगर पार्टी कौशांबी व प्रतापगढ़ लोकसभा सीट जीत का वरण करती है तो उसके लिए या संजीवनी का काम करेगी। यही कारण है कि राजा भैया ने अपनी पूरी शक्ति इस चुनाव में झोंक दी है। कौशांबी सांसद सीट राजा भैया के जीत के लिए इसलिए मायने रखती है क्योंकि कौशांबी लोकसभा में राजा भैया के प्रभावशाली क्षेत्र माने जाने वाली कुंडा और बाबागंज विधानसभा सीट इसी लोकसभा में आती है । जनसत्ता का लोकतांत्रिक से चुनाव लड़ रहे पूर्व सपा सांसद शैलेंद्र के नामांकन में खुद राजा भैया आए थे। उनकी उपस्थिति व कार्यकर्ताओं का जोश पार्टी को कितनी सीटें दिला पाएगा या तो भविष्य के गर्भ में है। पर इस चुनाव में पार्टी अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज कराए इसके लिए जीत जरूरी है।


Conclusion:मायावती सरकार में रसूखदार मंत्री रहे इंद्रजीत सरोज सपा और बसपा गठबंधन से मैदान में हैं इंद्रजीत सरोज बसपा में राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं। वर्तमान में वह सपा में भी राष्ट्रीय महासचिव है। कौशांबी के इलाहाबाद से अलग जनपद बनने के पीछे उनका बड़ा योगदान रहा । यह बात अलग है कि नया जिला बनने के बाद जनपद के विकास की जो गति अपेक्षित थी वह नहीं रही । जिला आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। ऐसे में इंद्रजीत सरोज की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इंद्रजीत सरोज कौशांबी से गठबंधन के प्रत्याशी हैं । यह सीट सपा के खाते में गई है यही कारण है कि सपा और बसपा दोनों इस सीट से विजय हासिल करने की कोशिश करेगी। कुल मिलाकर इस सीट से जीत किसकी होगी या तो समय बताएगा पर यूपी के तीन सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा जरूर यहां से दांव पर लगी हुई है। पीटूसी सत्येंद्र खरे कौशाम्बी THANKS REGARDS SATYENDRA KHARE KAUSHAMBI 09726405658
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