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तीन साल से सरकारी नलकूप खराब, कब सही कराएंगे 'साहब' - कौशांबी किसान

कौशांबी में सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से किसानों ने तकरीबन 30 बीघे खेत में खेती करना छोड़ दिया है. इससे खेतों की जमीन बंजर हो चुकी है. किसानों ने की बार-बार पानी की समस्या को लेकर अधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन अभी तक उनकी समस्या का समाधान नहीं किया जा सका है.

किसानों को हो रही पानी की समस्या
किसानों को हो रही पानी की समस्या
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Published : Feb 8, 2021, 2:33 PM IST

कौशांबी: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद में सिंचाई के लिए सरकारी नलकूप लगाए गए थे. इनमें से ज्यादातर बंद पड़े हैं. समस्या से अवगत कराने के बाद भी विभागीय अफसर और माननीय समस्या को दूर नहीं करा रहे हैं. सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने की से किसानों ने तकरीबन 30 बीघे खेत में खेती करना छोड़ दिया है. सालों से खेती नहीं होने से ये खेत बंजर होने लगे हैं. इतना ही नहीं लगभग 70 बीघे के काश्तकारों को निजी नलकूपों का सहारा लेना पड़ रहा है. इससे खेती की लागत बढ़ रही है.

किसानों ने बताई समस्या
किसानों को हो रही परेशानी

सिराथू तहसील के महंदापुर (नारा) और बलीपुर गांव में वर्ष 2007 में चौधरी चरण सिंह नलकूप योजना के तहत नलकूप लगाया गया था. इससे सैकड़ों बीघे खेत की सिंचाई होती थी. सिंचाई के एवज में किसानों को हर साल सिर्फ 60 रुपये देने पड़ते थे. समय के साथ वाटर लेवल नीचे जाने की वजह से तकरीबन 3 साल पहले यह दोनों नलकूप ठप हो गए. इसकी वजह से किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

किसानों की भूमि हुई बंजर

नलकूप खराब और पानी न मिलने की वजह से तकरीबन 30 बीघे में किसानोंं ने खेती करना छोड़ दिया है. खेती बंद किए जाने से अब यह भूमि बंजर हो चुकी है. इससे किसानों की आय पर भी असर पड़ा है.

निजी नलकूपों से सिंचाई से खर्ज बढ़ा

किसानों की मानें तो उन्हें खेती किसानी करने के लिए निजी नलकूपों का सहारा लेना पड़ रहा है. निजी नलकूपों के ज्यादातर पाइप फटे रहते हैं. इसके कारण सिचांई के लिए कई घंटे पानी चलवाना पड़ता है. इससे किसानों की जेब ढीली हो रही है. उनकी आय पर भी इसका असर पड़ता है.


निजी नलकूप को देने पड़ते है 100 से 150 रुपये प्रति घंटे

सरकारी नलकूप खराब होने की वजह से किसानों को निजी नलकूप का सहारा लेना पड़ रहा है. इसके कारण उनकी जेब खाली हो रही है. किसानों को निजी नलकूप चालकों को 100 रुपये से 150 रुपये प्रति घंटे देने पड़ते हैं.

अधिकारियों से की शिकायत

किसान धर्मपाल की मानें तो उन्होंने सरकारी नलकूप को ठीक कराने के लिए अधिकारियों और माननीय को कई पत्र दिए हैं. इसके बाद भी किसानों की समस्या का समाधान नहीं कराया जा सका है. उन्होंने सांसद विनोद सोनकर को भी पत्र लिखा था. इसके बाद सांसद ने अधिकारियों को नलकूप ठीक करवाने के आदेश दिए. इसके बाद भी नलकूप सही नहीं हुए हैं.

कब मिलेगा समाधान

ईटीवी भारत ने किसानों की समस्या के बारे में सांसद विनोद सोनकर को अवगत कराया तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. सांसद विनोद सोनकर ने कहा कि नलकूप का संचालन प्रयागराज से होता है. उन्होंने पत्र लिखा है. जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा.

कौशांबी: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद में सिंचाई के लिए सरकारी नलकूप लगाए गए थे. इनमें से ज्यादातर बंद पड़े हैं. समस्या से अवगत कराने के बाद भी विभागीय अफसर और माननीय समस्या को दूर नहीं करा रहे हैं. सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने की से किसानों ने तकरीबन 30 बीघे खेत में खेती करना छोड़ दिया है. सालों से खेती नहीं होने से ये खेत बंजर होने लगे हैं. इतना ही नहीं लगभग 70 बीघे के काश्तकारों को निजी नलकूपों का सहारा लेना पड़ रहा है. इससे खेती की लागत बढ़ रही है.

किसानों ने बताई समस्या
किसानों को हो रही परेशानी

सिराथू तहसील के महंदापुर (नारा) और बलीपुर गांव में वर्ष 2007 में चौधरी चरण सिंह नलकूप योजना के तहत नलकूप लगाया गया था. इससे सैकड़ों बीघे खेत की सिंचाई होती थी. सिंचाई के एवज में किसानों को हर साल सिर्फ 60 रुपये देने पड़ते थे. समय के साथ वाटर लेवल नीचे जाने की वजह से तकरीबन 3 साल पहले यह दोनों नलकूप ठप हो गए. इसकी वजह से किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

किसानों की भूमि हुई बंजर

नलकूप खराब और पानी न मिलने की वजह से तकरीबन 30 बीघे में किसानोंं ने खेती करना छोड़ दिया है. खेती बंद किए जाने से अब यह भूमि बंजर हो चुकी है. इससे किसानों की आय पर भी असर पड़ा है.

निजी नलकूपों से सिंचाई से खर्ज बढ़ा

किसानों की मानें तो उन्हें खेती किसानी करने के लिए निजी नलकूपों का सहारा लेना पड़ रहा है. निजी नलकूपों के ज्यादातर पाइप फटे रहते हैं. इसके कारण सिचांई के लिए कई घंटे पानी चलवाना पड़ता है. इससे किसानों की जेब ढीली हो रही है. उनकी आय पर भी इसका असर पड़ता है.


निजी नलकूप को देने पड़ते है 100 से 150 रुपये प्रति घंटे

सरकारी नलकूप खराब होने की वजह से किसानों को निजी नलकूप का सहारा लेना पड़ रहा है. इसके कारण उनकी जेब खाली हो रही है. किसानों को निजी नलकूप चालकों को 100 रुपये से 150 रुपये प्रति घंटे देने पड़ते हैं.

अधिकारियों से की शिकायत

किसान धर्मपाल की मानें तो उन्होंने सरकारी नलकूप को ठीक कराने के लिए अधिकारियों और माननीय को कई पत्र दिए हैं. इसके बाद भी किसानों की समस्या का समाधान नहीं कराया जा सका है. उन्होंने सांसद विनोद सोनकर को भी पत्र लिखा था. इसके बाद सांसद ने अधिकारियों को नलकूप ठीक करवाने के आदेश दिए. इसके बाद भी नलकूप सही नहीं हुए हैं.

कब मिलेगा समाधान

ईटीवी भारत ने किसानों की समस्या के बारे में सांसद विनोद सोनकर को अवगत कराया तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. सांसद विनोद सोनकर ने कहा कि नलकूप का संचालन प्रयागराज से होता है. उन्होंने पत्र लिखा है. जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा.

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