कौशांबी: मै चीखती रही लेकिन अस्पताल में कोई डॉक्टर मेरे पापा को देखने तक नहीं आया. आज उनके शव को लेकर जा रही हूं. रूह को रुला देने वाला बयान उस बेटी का है, जो कोरोना संक्रमित अपने बीमार पिता को लेकर जिला अस्पताल आई थी. लेकिन उसे क्या पता था कि डॉक्टरों की लापरवाही और अस्पताल की बदइंतजामी उसके पिता की जान ले लेगी. मरीज हरजोर सिंह पास के चित्रकूट जनपद स्थित बद्वराह गांव का रहने वाला था और बेहतर इलाज की आस लिए यहां आया था.
अस्पताल पर लापरवाही का आरोप
यह हाल है प्रदेश के उपमुख्मंत्री केशव प्रसाद मौर्या के गृह जनपद का, जहां के सरकारी अस्पताल में मरीज स्वस्थ्य होकर लौटे तो कोई चमत्कार से कम नहीं. इस अस्पताल के डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी बीते 4 मई को भी कोरोना ,संक्रमित एक महिला की मौत हो गई थी. पिछले साल 12 जनवरी को भी इसी अस्पताल में एक मरीज की हर्निया के ऑपरेशन के बाद मौत हो गई थी. गुस्साए परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था.
कोरोना संक्रमित के शव को बिना पैक किए परिजनों को सौंपा
ताजा मामले में डॉक्टरों की लापरवाही की हदें तो तब पार कर गई, जब शव को बिना पैक किए ही परिजनों के हवाले कर दिया. जबकि नियमानुसार कोरोना संक्रमित शव की पैकिंग की जाती है, ताकि कोई अन्य व्यक्ति संपर्क में आकर संक्रमित न हो. इस मरीज के इलाज में परिजन डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप तो लगा ही रहे हैं, अस्पताल प्रशासन का काम भी मानवता को शर्मशार कर देगा, जिसने एक एंबुलेंस तक मुहैया नहीं करवाया. नतीजा, परिजन शव को ट्रक में रखकर घर ले गए. इस पूरे मामले में जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहा है.
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परिजनों ने किया हंगामा
इसके बाद मृतक हरजोर सिंह की बेटी ने अस्पातल के बाहर जमकर हंगामा किया. उन्होंने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया. मृतक की बेटी ने कहा कि मेरे पिता को सांस लेने में दिक्कत थी, लेकिन कोरोना संक्रमित कह कर कोविड वार्ड में भर्ती कर दिया और कोई डॉक्टर देखने भी नहीं आया. जिसके कारण उनकी मौत हो गई.