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कौशांबी की सूखी नहरें, किसानों को दे रही हैं घाव गहरे

उत्तर प्रदेश के कौशांबी में नहरों में करीब दो दशक से पानी नहीं आ रहा. न किसानों की पुकार किसी को सुनाई दे रही, न इन सूखी फसलों की सूरत. अब देखना ये है कि क्या सरकार के खोखले वादे इन किसानों की पुकार सुनेंगे या यूं ही जूझते रहेंगे किसान इस सूखेपन से.

नहरों में करीब दो दशक से पानी नही आ रहा.
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Published : Oct 13, 2019, 1:56 AM IST

Updated : Oct 14, 2019, 6:09 PM IST

कौशांबी: आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी सियासत और सियासी दल के नेता किसानों के विकास की बात करते तो हैं ! मगर क्या सच में उनका विकास हो रहा है. एक तरफ नदियों का पानी उफान पर है. लोग बाढ़ की वजह से काफी परेशान हैं. वही गंगा-यमुना दो नदियों के बीच बसा कौशांबी जिले का किसान अपने खेतो में बूंद-बूंद पानी पहुंचाने के लिए तरस रहा है.

नहरों में करीब दो दशक से पानी नही आ रहा.

ऐसा नहीं है कि जिले में नहरों की कमी है. हर तरफ नहरों का जाल बिछा है, लेकिन फिर भी किसान की खेती पानी बिना सूख रही है. कौशांबी जिले में 7 बड़ी नहर और 20 छोटी नहरें हैं. नदियां उफान पर होने और जगह-जगह बाढ़ आने के दौर पर भी कौशांबी जिले की नहरें सूखी पड़ी हुई हैं. इस स्थिति में यह कहा जा सकता है कि नहरों में नेताओं के सियासी वायदों का ही पानी बह रहा है और किसानों की फसल सूख रही है.

जिले की सबसे प्रमुख नहर निचली रामगंगा और जोगापुर पंप कैनाल नहर में दो दशक से पानी नहीं आया. दोनों नहरें फतेहपुर जिले की सीमा से निकलती हैं. हैरत की बात तो यह कि नहर विभाग के कागजों मे हर साल सिल्ट सफाई के नाम पर लाखों रुपये निकाल लिया जाता है. जबकि हकीकत में जिले की दोनों प्रमुख नहरों मे बड़ी-बड़ी घास और खर पतवार सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए काफी हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिले के किसानों की दुखती रग नहर मे पानी के समस्या को दूर करने का वादा कर वोट बटोर लिया था, लेकिन नरेंद्र मोदी दूसरी बार भी प्रधानमंत्री तो बन गए पर कौशाम्बी जिले की प्रमुख नहरों मे पानी नहीं आ पाया. वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी जिले की नहरों में पानी लाने का वादा कर किसानों से नहरों को पुनर्जीवित करने के लिए करोड़ों की परियोजनाओं का शिलान्यास तो कर दिया, लेकिन एक साल से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी नहरों में पानी नहीं आ सका.

कहने को तो देश के नेता व अधिकारी इसी बात का ढिंढोरा हर जगह पीटते है कि किसानों के कंधों पर ही देश की आर्थिक स्थिति का बड़ा हिस्सा टिका हुआ है, बावजूद इसके किसानों की समस्या का सही तरह से निराकरण नहीं किया जाता. अब इस बाढ़ के दौर पर सूखी पड़ी नहरों को देखकर यह कहा जा सकता है कि नेता नहरों पर सिर्फ सियासी वादों का पानी बहाते दिख रहे हैं.

कौशांबी: आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी सियासत और सियासी दल के नेता किसानों के विकास की बात करते तो हैं ! मगर क्या सच में उनका विकास हो रहा है. एक तरफ नदियों का पानी उफान पर है. लोग बाढ़ की वजह से काफी परेशान हैं. वही गंगा-यमुना दो नदियों के बीच बसा कौशांबी जिले का किसान अपने खेतो में बूंद-बूंद पानी पहुंचाने के लिए तरस रहा है.

नहरों में करीब दो दशक से पानी नही आ रहा.

ऐसा नहीं है कि जिले में नहरों की कमी है. हर तरफ नहरों का जाल बिछा है, लेकिन फिर भी किसान की खेती पानी बिना सूख रही है. कौशांबी जिले में 7 बड़ी नहर और 20 छोटी नहरें हैं. नदियां उफान पर होने और जगह-जगह बाढ़ आने के दौर पर भी कौशांबी जिले की नहरें सूखी पड़ी हुई हैं. इस स्थिति में यह कहा जा सकता है कि नहरों में नेताओं के सियासी वायदों का ही पानी बह रहा है और किसानों की फसल सूख रही है.

जिले की सबसे प्रमुख नहर निचली रामगंगा और जोगापुर पंप कैनाल नहर में दो दशक से पानी नहीं आया. दोनों नहरें फतेहपुर जिले की सीमा से निकलती हैं. हैरत की बात तो यह कि नहर विभाग के कागजों मे हर साल सिल्ट सफाई के नाम पर लाखों रुपये निकाल लिया जाता है. जबकि हकीकत में जिले की दोनों प्रमुख नहरों मे बड़ी-बड़ी घास और खर पतवार सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए काफी हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिले के किसानों की दुखती रग नहर मे पानी के समस्या को दूर करने का वादा कर वोट बटोर लिया था, लेकिन नरेंद्र मोदी दूसरी बार भी प्रधानमंत्री तो बन गए पर कौशाम्बी जिले की प्रमुख नहरों मे पानी नहीं आ पाया. वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी जिले की नहरों में पानी लाने का वादा कर किसानों से नहरों को पुनर्जीवित करने के लिए करोड़ों की परियोजनाओं का शिलान्यास तो कर दिया, लेकिन एक साल से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी नहरों में पानी नहीं आ सका.

कहने को तो देश के नेता व अधिकारी इसी बात का ढिंढोरा हर जगह पीटते है कि किसानों के कंधों पर ही देश की आर्थिक स्थिति का बड़ा हिस्सा टिका हुआ है, बावजूद इसके किसानों की समस्या का सही तरह से निराकरण नहीं किया जाता. अब इस बाढ़ के दौर पर सूखी पड़ी नहरों को देखकर यह कहा जा सकता है कि नेता नहरों पर सिर्फ सियासी वादों का पानी बहाते दिख रहे हैं.

Intro:आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी सियासत और सियासी दल के नेता किसानों के नाम पर किसानों की विकास की सिर्फ वादे करते हैं। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है की एक और नदियों का पानी उफान पर है। लोग बाढ़ की वजह से काफी परेशान है। वही गंगा-यमुना दो नदियों के बीच बसा कौशांबी जिले का किसान अपने खेतों के लिए बूंद बूंद पानी को तरस रहा है। ऐसा नहीं कि जिले में नहरों की कमी है। हर तरफ नहरों का जाल बिछा हुआ है लेकिन फिर भी किसानों की फसल बिना पानी सूख रही है। पर बाढ़ के इस दौर पर भी कौशांबी जिले की नहरे सूखी पड़ी हुई हैं। सुखी नहरों को देख यही कहा जा सकता है कि नहरों में नेताओं के सियासी वादों का पानी बह रहा है और किसानों की फसल सूख रही है।




Body:नदियों के उफान पर होने के बावजूद प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशांबी की नहरों का हाल देखकर हर कोई हैरान है। यहां की सबसे प्रमुख नहर निचली रामगंगा व जोगापुर पंप कैनाल नहर में दो दशक से पानी नहीं आया। दोनों नेहरे फतेहपुर जिले की सीमा से निकलती हैं। हैरत की बात तो यह है कि नहर विभाग के कागजों में हर साल सिल्ट सफाई के नाम पर लाखों रुपए निकाल लिया जाता है। जबकि हकीकत में जिले की दोनों प्रमुख नहरों में बड़ी-बड़ी घास व खरपतवार सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए काफी हैं। बाढ़ के इस दौर पर भी यहां किनारे सूखी पड़ी हुई हैं। जिससे साफ जाहिर होता है कि जिले के अफसर और नेता इन नहरों में पानी लाना ही नहीं चाहते। कहने को देश के नेता वह अधिकारी इसी बात का ढिंढोरा हर जगह पीटते हैं कि किसानों के कंधे पर देश की आर्थिक स्थिति का एक बड़ा हिस्सा टिका है। फिर भी किसानों की समस्या का सही तरीके से निवारण नहीं किया जाता है। 4 मई 2014 को लोक सभा चुनाव के पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिले के किसानों की दुखती रग नहर में पानी की समस्या को दूर करने का वादा कर वोट बटोर लिया था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन गए। पर कौशांबी जिले की प्रमुख नहर में पानी नहीं आ पाया। जिससे किसान काफी दुखी हैं।

बाइट-- ओमप्रकाश किसान

उत्तर प्रदेश में बीजेपी कि सरकार बनी और खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 4 अप्रैल 2018 को कौशांबी दौरे पर पहुंचे। तब उन्होंने कौशांबी जिले के नहरों में जल्द पानी लाने का आश्वासन दिया। लोगों को उम्मीद जगी कि प्रदेश सरकार इस विषय में कुछ करेगी। प्रदेश सरकार ने नहरों को पुनर्जीवित करने के लिए करोड़ों की परियोजनाओं का शिलान्यास तो कर दिया। पर एक साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी नहरों में पानी नहीं आ सका। अधिकारियों द्वारा इसका कारण परियोजनाओं के लिए धन आवंटन न हो पाना बताया जा रहा है । सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता जगदीश लाल के मुताबिक घन आवंटन के बाद नहरों के पम्पो का पुनः स्थापित करने का काम किया जा सकता है जिसके बाद ही नहरों में पानी लाया जा सकता है।




Conclusion:सूखी पड़ी नहरो के संबंध में जब हमने कौशांबी जिले के सांसद विनोद सोनकर से सवाल किया तो उन्होंने इसके लिए पूरी तरीके से पूर्व की सरकारों को दोषी करार दिया। उन्होंने कहाँ कि अटल सरकार द्वारा नदी जोड़ो अभियान की शुरुआत की गई थी। अगर यह काम पूर्व की सरकार द्वारा समय से पूरा किया गया होता तो आज देश को बाढ़ से नही जूझ रहा होता और न ही नहरे सुखी होती। जब हमने देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणाओं की बात की तो उन्होंने बताया कि इसके लिए 200 करोड़ की परियोजना किसी स्वीकृति मिल चुकी है। जल्दी धन आवंटन किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर यह सवाल पूर्ववर्ती सरकारों से पूछा गया होता तो आज यह दिन देखना नहीं पड़ता।

बाइट-- विनोद सोनकर सांसद कौशाम्बी व राष्ट्रीय अध्यक्ष बीजेपी अनुचित मोर्चा


बाइट-- जगदीश लाल अधिशाषी अभियंता सिचाई खंड कौशाम्बी
Last Updated : Oct 14, 2019, 6:09 PM IST
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