कौशाम्बी: यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी में बीजेपी के ब्लॉक प्रमुख प्रत्याशियों को चुनाव जिताने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का मामला सामने आया है. निर्दलीय प्रत्याशी सुधा सिंह के पति पूर्व ब्लॉक प्रमुख दिलीप पटेल ने बीजेपी पर आरोप लगाया है. आरोप है कि अपने प्रत्याशी को निर्विरोध जिताने के लिए दबाव बनाया जा रहा था और बातचीत हो रही थी.
पुलिस प्रशासन द्वारा बीडीसी सदस्यों के झूठे अपहरण का आरोप लगाकर घर में धाबा बोल दिया गया. इतना ही नही उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस ने जमकर तांडव भी किया और पुलिस ने सदस्यों की जमकर पिटाई भी की. वहीं इस पूरे मामले में एसपी का कहना है कि पुलिस बीडीसी सदस्यों के बंधक बनाने की सूचना पर पहुंची थी.
ये है पूरा मामला
मामला मोहब्बतपुर पाइंस थाना क्षेत्र के उदिहिन का है, जहां उदिहिन गांव के पास निर्दलीय प्रत्याशी सुधा सिंह के पति पूर्व ब्लॉक प्रमुख दिलीप पटेल का ईंट भट्ठा है. सैनी पुलिस को सूचना मिली कि ईंट भट्टे पर कुछ बीडीसी सदस्यों को बंधक बनाकर रखा गया है. सदस्यों के बंधक बनाए जाने की सूचना पर पुलिस ईंट भट्ठा पहुंची, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कुछ बीडीसी मौजूद मिले. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी सुधा सिंह के पति और पूर्व ब्लॉक प्रमुख दिलीप पटेल ने डिप्टी सीएम के भाइयों पर भी कई गंभीर आरोप लगाए. कहा कि अपने राजनीतिक जीवन में हमने पहली बार इतना तांडव देखा है, आगे और भी तांडव होगा. हम जेल न जाएं इसलिए हमने फैसला लिया है कि हम पर्चा वापस ले लें. यहां लोकतंत्र की हत्या हो रही है, ये अच्छी बात नहीं हैं.
इस हिंसक कार्रवाई से बीजेपी में भी फुट पड़ती नजर आ रही है. भाजपा यहां पहले से ही दो गुटों में बटी थी. सदस्यों पर पुलिसिया तांडव की जानकारी होते ही सिराथू विधायक शीतल प्रसाद पटेल सैनी कोतवाली पहुंच गए और उन्होंने इसका विरोध किया, जिसके बाद पुलिस ने सदस्यों को उनके परिजनों को सौंप दिया.
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रात में पुलिस द्वारा कुछ बीडीसी सदस्यों को थाने ले जाने की सूचना जैसे ही पूर्व ब्लॉक प्रमुख दिलीप पटेल के समर्थकों को मिली, तो समर्थक सैनी थाने पहुंच गए. वहां पहुंचकर जमकर नारेबाजी की. इसके साथ ही उन्होंने थाने का घेराव भी किया. थाने का घेराव किए जाने की जानकारी मिलने के बाद ही भाजपा विधायक शीतला प्रसाद पटेल भी थाने पहुंचे. जनपद के सरसावा ब्लॉक प्रमुख के नामांकन वाले दिन भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था. अमर सिंह पटेल ने पहले निर्दलीय प्रत्यशी के रूप में नामांकन किया, लेकिन थोड़ी देर बाद ही अमर सिंह भाजपा में शामिल हो गए. उसके पीछे क्षेत्र में चर्चा रही कि पूर्व ब्लॉक प्रमुख रहे अकबर सिंह और अमर सिंह पर एक क्षेत्र की महिला गैंगरेप का झूठा आरोप लगाकर पुलिस से शिकायत करने जा रही थी, लेकिन वक्त पर पार्टी बदलने से अमर सिंह और अकबर सिंह को राहत मिल गई.
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इस पूरे मामले में पुलिस अधीक्षक राधेश्याम विश्वकर्मा का कहना है कि पुलिस को कुछ सदस्यों के बंधक बनाए जाने की सूचना मिली थी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और सदस्यों को बरामद भी किया है. पुलिस ने थाने पर सदस्यों के लिए आकर उनके परिजनों को सौंप दिया है. अब सवाल यह उठता है कि अगर सदस्यों को बंधक बनाया गया था, तो पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं किया.
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