कासगंज: यूपी के कासगंज में विकास की ऐसी तस्वीरें दिखने को मिली है, जिसे शायद ही पहले कभी आपने देखी होंगी. दरअसल, अधिकारियों की निरंकुशता के चलते यहां सरकार की कई योजनाएं जमीनी स्तर पर कारगर नहीं हो पा रही हैं. यही कारण है कि आज भी यहां लोग फूस के छपर में रहने को मजबूर हैं और खेतों में शौचालय के लिए जाते हैं. खैर, कासगंज के हर गांव में आपको ऐसी ही तस्वीरें देखने को मिलेंगी.
वहीं, विधानसभा चुनाव सिर पर है और सूबे की योगी सरकार विकास के मुद्दे पर प्रचार को मैदान में उतरी है. ऐसे में विकास की असल तस्वीरों को देखने निकली ईटीवी भारत की टीम कासगंज पहुंची, जहां तीन ग्राम पंचायतों के विकास का रियलिटी चेक किया गया.
सबसे पहले ईटीवी भारत की टीम कासगंज के पटियाली ब्लॉक की ग्राम पंचायत नगला अमीर पहुंचीं, जहां पूर्व ग्राम प्रधान के पिछले कार्यकाल का ऐसा गड़बड़झाला देखने को मिला, जिसे देख कर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल, नगला अमीर के रहने वाले लाभार्थी दुर्गपाल को कई वर्ष पूर्व शौचालय मिला था. लेकिन तत्कालीन ग्राम प्रधान अल्लू यादव ने शौचालय के आधे रुपये ही दिए, जिससे शौचालय आज भी अधूरा है.
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अब लाभार्थी ने उस शौचालय को स्टोर रूम बना लिया है और घरेलू रोजमर्रा की जरूरत की चीजों को इसमें रखता है. और तो और शौच को पूरा परिवार खेतों में जाता है. इतना ही नहीं पूरा परिवार फूस की झोपड़ी में रहने को मजबूर है, लेकिन सूबे के सीएम दावा करते हैं कि उन्होंने हर गरीब को पक्का घर दिया है. आलम यह है कि बरसात के दिनों में इस परिवार को पास में बने स्कूल या फिर सरकारी अस्पताल में शरण लेनी पड़ती है.
दूसरी तस्वीर ग्राम पंचायत ककराला की है, जहां एक परिवार कई वर्षों से प्लास्टिक की पन्नी के नीचे रह रहा है. बरसात के दिनों में इन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इन्हें जरूरत थी प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत एक घर की, लेकिन ब्लॉक के अधिकारी और कर्मचारियों ने इन्हें आवास न देकर इनकी जमीन पर बकरी पालन केंद्र बनवा दिया. बकरी पालन केंद्र भी ऐसा जिसकी न तो दीवारों पर प्लास्टर है और न ही फर्श बना हुआ है.
खैर, ये बकरी पालन केंद्र मानकों के बिल्कुल विपरीत है. वहीं, अब स्थिति यह है कि बकरी पालन केन्द्र में बकरी की जगह पूरा परिवार रह रहा है. घर के मुखिया जितेंद्र पुत्र नरेश सिंह और किरन ने बताया कि पांच बकरियां थीं, जिनमे कुछ मर गईं और कुछ बच्चों की बीमारियों के चलते उन्हें बेचनी पड़ी.
तीसरी तस्वीर पटियाली ब्लॉक की ग्राम पंचायत रतनपुर फंतियापुर की है, जहां के रहने वाले रामविलास के पास न तो खेती योग्य जमीन है और न ही रहने के लिए घर. और न ही शौचालय. ऐसे में पूरा परिवार फूस के बने छप्पर में रह रहा है और शौच के लिए परिवार के लोग समीप ही नहर पर जाते हैं. रात के समय परिवार को नहर पर शौच के लिए जाने में डर भी लगता है, लेकिन इसके अलावा कोई दूसरा उपाय भी नहीं है.
वहीं, चौथी तस्वीर भी इसी ग्राम पंचायत की है, जहां लगभग नौ वर्षों से अनीता के घर मे शौचालय तो बना है, लेकिन ग्राम प्रधान ने इसमें सीट नहीं रखवाई. जिसके कारण यह परिवार भी खेतों में शौच के लिए जाने को मजबूर है. हालांकि, जब इस पूरे मामले पर जिला पंचायत राज अधिकारी देवेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होने जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है.