एटा: जनपद के कथित छेड़छाड़ और हथकड़ी लगाए जाने के मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट सुनील कुमार के निर्दोष पाए जाने पर मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार पर दो लाख का जुर्माना लगाया. साथ ही तत्काल जुर्माने की राशि पीड़ित के खाते में ट्रांसफर करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद सरकार ने अब पीड़ित के खाते में 2 लाख रुपये स्थानांतरित कर दिए हैं. बताया जाता है कि ऐसा प्रदेश में पहली बार हुआ है जब इस प्रकार के मामले में सरकार पर जुर्माना लगा हो.
मंगलवार को आरटीआई एक्टिविस्ट सुनील कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि 22 जून 2016 को उन्हें कथित छेड़खानी की साजिश में फंसाते हुए 23 जून को अवैधानिक तरीके से गिरफ्तार कर और 24 जून को हथकड़ी लगाकर जेल भेज दिया था. जेल से छूटने के बाद पीड़ित सुनील ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में मामले की शिकायत करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी. साथ ही हथकड़ी लगाकर ले जाने को गरिमामय जीवन जीने के अधिकार के हनन पर मुआवजे की मांग उठाई थी.
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इसके बाद आयोग ने तत्कालीन एसएसपी अजय शंकर रॉय को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब की थी. पुलिस की रिपोर्ट के बाद आयोग ने अपनी टीम से मामले की जांच कराई. पीड़ित ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई महत्वपूर्ण आदेशों के साथ दलील देकर पुलिस के कृत्य को असंवैधानिक और मानवाधिकारों के खिलाफ बताया.
यही नहीं, 6 साल तक चली जांच के बाद आयोग ने जिले के तत्कालीन एसएसपी अजय शंकर राय, थानाध्यक्ष कैलाश चंद्र दुबे, विवेचक मदन मुरारी द्विवेदी को दोषी पाते हुए संबंधितों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के डीजीपी को आदेश दिए. साथ ही प्रदेश के मुख्य सचिव को पीड़ित को दो लाख मुआवजा देने का भी आदेश दिया था.
वहीं, राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद शासन ने एसएसपी को मुआवजा राशि का बजट भेजते हुए 10 दिन के अंदर पीड़ित सुनील कुमार को मुआवजा राशि का भुगतान कर साक्ष्य उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे. वर्तमान में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उदय शंकर सिंह ने पीड़ित के खाते में दो लाख ट्रेज़री से जमा करा दिया है.
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