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कासगंज के जिला बनने के 14 साल बाद भी एटा से नहीं मंगाए गए भू अभिलेख - एडवोकेट मुजाहिद हुसैन

एटा से अलग होकर कासगंज को जिला बने 14 साल बीत गये. लेकिन कासगंज जिले के समस्त भूलेख आज भी एटा में रखे हुए हैं. जिससे मुकदमों में नकल दाखिल करने के लिए लोगों को एटा जाना पड़ता है.

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एटा से नहीं मंगाए गए भू अभिलेख
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Published : Apr 24, 2022, 4:51 PM IST

कासगंजः यूपी के कासगंज में प्रशासन की बड़ी लापरवाही के चलते हजारों की संख्या में वादकारी और वकील पिछले 14 सालों से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. एटा से अगल होकर कासगंज को जिला बने 14 साल हो गये हैं. लेकिन कासगंज के समस्त भूलेख आज भी एटा में रखे हुए हैं. जिससे मुकदमों में नकल दाखिल करने के लिए नकल लेने एटा जाना पड़ता है और वादकारियों और वकीलों को नकल लेने के लिए तारीखे लेनी पड़ती हैं. लेकिन 14 साल बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने कासगंज के भूअभिलेखों को एटा से लाने की जहमत नहीं उठाई.

कासगंज को एटा से अलग कर नया जिला काशीराम नगर 17 अप्रैल 2008 को कासगंज, पटियाली, सहावर तहसील को मिला कर किया गया था. उस समय उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती थीं. जिले का नाम काशीराम रखने के विरोध में वकीलों और जनता ने प्रदर्शन किया. जिसके बाद 2012 में कांशीराम का नाम दोबारा कासगंज कर दिया गया. नया जिला बनने पर नये कलेक्ट्रेट, विकास भवन सहित अन्य सरकारी कार्यालयों का निर्माण किया गया. वहीं थोड़े दिन बाद ही भूअभिलेखागार का निर्माण भी किया गया.

एटा से नहीं मंगाए गए भू अभिलेख

अब जब कासगंज को जिला बने हुए 14 साल हो गए हैं. बावजूद इसके कासगंज जिले के भूअभिलेख एटा के भूअभिलेखागार में रखे हैं. जिससे वादकारियों और अधिवक्ताओं को पुराने दस्तावेज निकलवाने के लिए दूसरे जिले में जाना पड़ता है. जिससे मुकदमों की सुनवाई में देरी होती है. जिससे मुकदमों के निस्तारण में सालों लग जाते हैं. पटियाली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कुंअर पाल सिंह बताते हैं कि भू अभिलेख एटा जिले में रखे होने की वजह से मुकदमों में नकलें दाखिल करने के लिए तारीखें लेनी पड़तीं हैं. कई बार चक्कर लगाने पड़ते हैं. मुख्य रूप से भू अभिलेखों में बस्ता लेखपाल, जिल्द चकबंदी, नक्शा हैं और अन्य पत्रावलियां हैं जो प्रशासन को जल्द कासगंज के भूअभिलेखागार में लाकर रखनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें- आजम खां से जेल में मिलने पहुंचे सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा, जेल प्रशासन ने वापस लौटाया

एडवोकेट सोनेलाल बघेल, एडवोकेट राखी और एडवोकेट मुजाहिद हुसैन कहते हैं कि यह प्रशासन की गलती है. जब जिला बन गया भू अभिलेखागार भी बन गया, फिर अभी तक एटा से भूअभिलेख क्यों नहीं लाये गए. आधी पत्रावलियां कासगंज में हैं, आधी एटा में हैं. जिससे कभी कभी यही पता नहीं चलता कि आखिर जो नकल हमें लेनी है वह कहां होगी. वहीं जब इस बारे में वकीलों ने कासगंज जिलाधिकारी हर्षिता माथुर से शिकायत की, तो जिलाधिकारी ने कहा कि आपके द्वारा मामला मेरे संज्ञान में आया है. जल्द समस्त भूलेख एटा के भूलेखागार से कासगंज मंगवाए जाएंगे.

कासगंजः यूपी के कासगंज में प्रशासन की बड़ी लापरवाही के चलते हजारों की संख्या में वादकारी और वकील पिछले 14 सालों से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. एटा से अगल होकर कासगंज को जिला बने 14 साल हो गये हैं. लेकिन कासगंज के समस्त भूलेख आज भी एटा में रखे हुए हैं. जिससे मुकदमों में नकल दाखिल करने के लिए नकल लेने एटा जाना पड़ता है और वादकारियों और वकीलों को नकल लेने के लिए तारीखे लेनी पड़ती हैं. लेकिन 14 साल बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने कासगंज के भूअभिलेखों को एटा से लाने की जहमत नहीं उठाई.

कासगंज को एटा से अलग कर नया जिला काशीराम नगर 17 अप्रैल 2008 को कासगंज, पटियाली, सहावर तहसील को मिला कर किया गया था. उस समय उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती थीं. जिले का नाम काशीराम रखने के विरोध में वकीलों और जनता ने प्रदर्शन किया. जिसके बाद 2012 में कांशीराम का नाम दोबारा कासगंज कर दिया गया. नया जिला बनने पर नये कलेक्ट्रेट, विकास भवन सहित अन्य सरकारी कार्यालयों का निर्माण किया गया. वहीं थोड़े दिन बाद ही भूअभिलेखागार का निर्माण भी किया गया.

एटा से नहीं मंगाए गए भू अभिलेख

अब जब कासगंज को जिला बने हुए 14 साल हो गए हैं. बावजूद इसके कासगंज जिले के भूअभिलेख एटा के भूअभिलेखागार में रखे हैं. जिससे वादकारियों और अधिवक्ताओं को पुराने दस्तावेज निकलवाने के लिए दूसरे जिले में जाना पड़ता है. जिससे मुकदमों की सुनवाई में देरी होती है. जिससे मुकदमों के निस्तारण में सालों लग जाते हैं. पटियाली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कुंअर पाल सिंह बताते हैं कि भू अभिलेख एटा जिले में रखे होने की वजह से मुकदमों में नकलें दाखिल करने के लिए तारीखें लेनी पड़तीं हैं. कई बार चक्कर लगाने पड़ते हैं. मुख्य रूप से भू अभिलेखों में बस्ता लेखपाल, जिल्द चकबंदी, नक्शा हैं और अन्य पत्रावलियां हैं जो प्रशासन को जल्द कासगंज के भूअभिलेखागार में लाकर रखनी चाहिए.

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एडवोकेट सोनेलाल बघेल, एडवोकेट राखी और एडवोकेट मुजाहिद हुसैन कहते हैं कि यह प्रशासन की गलती है. जब जिला बन गया भू अभिलेखागार भी बन गया, फिर अभी तक एटा से भूअभिलेख क्यों नहीं लाये गए. आधी पत्रावलियां कासगंज में हैं, आधी एटा में हैं. जिससे कभी कभी यही पता नहीं चलता कि आखिर जो नकल हमें लेनी है वह कहां होगी. वहीं जब इस बारे में वकीलों ने कासगंज जिलाधिकारी हर्षिता माथुर से शिकायत की, तो जिलाधिकारी ने कहा कि आपके द्वारा मामला मेरे संज्ञान में आया है. जल्द समस्त भूलेख एटा के भूलेखागार से कासगंज मंगवाए जाएंगे.

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