कानपुर: पांडु नदी में नाले का पानी सीधे तौर पर जाता रहा और नगर निगम के अफसर हाथ पर हाथ धरे रहे. जब नदी का पानी प्रदूषित हुआ, तो उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों ने मामले का संज्ञान लिया और नगर निगम पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों का कहना है, पांच लाख रुपये प्रति माह की दर से जुर्माना लगाया गया. जुलाई से नवंबर तक देखा गया, तो नदी में बायोरेमिडिएशन का काम नहीं हुआ. इसके चलते नदी बुरी तरह से गंदी हुई.
दरअसल, शहर में गंगा बैराज, कैंट समेत अन्य स्थानों पर नालों का पानी सीधे गंगा व सहायक नदियों में पहुंच रहा है. नगर निगम के अफसर यह दावा जरूर करते हैं कि बायोरेमिडिएशन का काम कराया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि काम केवल कागजों पर हो रहा है.
पांडु नदी को दूषित करने के मामले में नगर निगम के पर्यावरण अभियंता आरके पाल ने कहा कि 'जुलाई से नवंबर के बीच लगातार बारिश रही. नियमानुसार बारिश के दौरान बायोरेमिडिएशन का काम नहीं कराया जाता है. अगर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जुर्माना लगाया गया है, तो वह उसके खिलाफ अपील करेंगे. वहीं, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी अमित मिश्रा ने कहा कि पांच लाख रुपये प्रति माह की दर से जुर्माना लगाने की संस्तुति वह नवंबर में ही कर चुके हैं.
शहर में पिछले कई सालों से गंगा को शुद्ध करने की कवायद चल रही है. नगर निगम व जिला प्रशासन से मिले आंकड़ों के मुताबिक अब तक 14.5 अरब रुपये खर्च किए जा चुके हैं. बावजूद इसके गंगा में पांच नालों का पानी सीधे तौर पर जा रहा है, जो करोड़ों लीटर गंदगी के समान है.
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