कानपुर: अपने बच्चों की हिफाजत मां से बढ़ कर कोई नहीं कर सकता. लेकिन अगर मां बिछड़ जाए तो इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता. अब चाहें इंसान हो या बेजुबान जानवर मां की महत्वता से सभी अभिज्ञ हैं. कानपुर चिड़ियाघर में एक ऐसा ही बाघिन शविका लाई गई है, जो की पैदा होने के 6 महीने बाद अपनी मां से बिछड़ गई. इसे अभी ठीक से जंगल के नियमों का बोध नहीं था. डरी सहमी शाविक को जब चिड़ियाघर लाया गया तो अपने पिंजड़े से बाहर नहीं आ रही थी.
डॉ अनुराग सिंह ने बताया की पीलीभीत टाइगर रिजर्व (Pilibhit Tiger Reserve) के पास उदयपुर करन गांव है. जहां पिछले कई दिनों से ये शाविका देखी जा रही थी. ग्राम प्रधान की सूचना के बाद रेस्क्यू टीम वहां भेजी गई. तो उसकी स्थिति देख कर भावुक हो गई. 3 से 4 दिन उसी लोकेशन पर शाविका रखा गया. ताकि उसकी मां आकर उसे ले जाए. लेकिन मां शायद बच्चे से दूर चली गई थी. दिन प्रतिदिन शाविका की स्थिती बिगड़ रही थी. शिकार न कर पाने की वजह से भूखी भी थी. कहा कि काफी कोशिश करने के बाद जब शाविका की मां नहीं मिली तो रेस्क्यू टीम के सदस्य उसके पास गए. लेकिन उसने कोई अटैक भी नहीं किया. ऐसा लग रहा था, जैसे वो समर्पण करना चाहती है. उसके पास से कुछ सूखी हड्डियां मिली जो की पास एक मृत गाय की थी. इससे पता लगा की ये इतने दिनों तक इन्ही हड्डियों को खा कर जीवित थी.
डॉ अनुराग ने कहा कि, उसकी ये हालात देखते हुए टाइगर रिजर्व के अधिकारी उसे अपने साथ ले आया. डॉक्टर की निगरानी में रखने का फैसला लिया. इसके चलते उसे चिड़ियां घर लाया गया है. यहां उसे खाना और इलाज दोनों दिया जा रहा है. कहा कि पूर्णिमा के दिन इसे रेस्क्यू करके यहां लाया गया था. इसलिए इसका नाम लूना रखा गया है. लूना पूर्णिमा का पर्यायवाची शब्द होता है. अगर मौजूदा स्थिति की बात की जाए तो लूना अभी पूरी तरह से स्वस्थ है. अच्छी डाइट ले रही है. जल्द ही उसे बारे में छोड़ा जाएगा. जहां वह अठखेलियां करती नजर आएगी. साथ ही कानपुर जू की शान बनेगी.
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