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कानपुर में पाकिस्तानी नागरिक ने राम जानकी मंदिर बेचा, खरीदार ने तोड़कर बनाया होटल, नोटिस जारी - मुख्तार बाबा को नोटिस

कानपुर के बेकनगंज थाना क्षेत्र के राम जानकी मंदिर को पाकिस्तानी नागरिक ने बेच दिया. इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने खरीददार मुख्तार बाबा को नोटिस जारी किया है. कैसे हुआ ये सब, आइए जानते हैं.

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Published : May 19, 2022, 11:37 AM IST

Updated : May 19, 2022, 3:34 PM IST

कानपुर: कानपुर में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. पाकिस्तान के एक नागरिक ने बेकनगंज थाना क्षेत्र के एक राम जानकी मंदिर को बेच दिया. इसके बाद हरकत में आए शत्रु संपत्ति संरक्षक कार्यालय ने कार्रवाई करते हुए मंदिर और दो अन्य संपत्तियों को 'शत्रु' संपत्ति के रूप में सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके अलावा खरीदार मुख्तार बाबा को नोटिस जारी किया है.

1982 में बेची थी संपत्तिः जानकारी के अनुसार कानपुर के बेकनगंज इलाके में संपत्ति को 1982 में पाकिस्तानी नागरिक आबिद रहमान ने कानपुर के मुख्तार बाबा को बेच दिया था. उस वक्त मुख्तार बाबा की मंदिर परिसर में एक साइकिल मरम्मत की दुकान थी. आबिद रहमान 1962 में पाकिस्तान चले गए थे, जहां उनका परिवार पहले से ही रह रहा था. आबिद रहमान संपत्ति बेचने के लिए कुछ समय के लिए लौटे और मुख्तार बाबा को संपत्ति बेच दी. मुख्तार बाबा ने संपत्ति खरीदने के बाद वहां रह रहे 18 हिंदू परिवारों को परिसर से बेदखल कर दिया और उस पर होटल बना लिया.

जानकारी देते एसीएम सात दीपक पाल.

पाकिस्तानी नागरिक ने जो जमीन बेची थी वह कानपुर नगर निगम के रिकॉर्ड में अभी भी एक मंदिर के रूप में सूचीबद्ध है. पिछले साल शत्रु संपति संरक्षण संघर्ष समिति द्वारा शिकायत दर्ज किए जाने के बाद इस मामले में जांच शुरू हुई थी. तत्कालीन जिलाधिकारी ने जॉइंट मजिस्ट्रेट से मामले की जांच करने को कहा था. बाद में रिपोर्ट को शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक के कार्यालय में भेज दिया गया.

ये भी पढ़ें: ज्ञानवापी केस: रिपोर्ट में मस्जिद की दीवार पर शेषनाग, देवी-देवताओं की कलाकृति का जिक्र

महमूद उमर का दावा, कागजात उनके पासः शत्रु संपत्ति के संरक्षक के कार्यालय के मुख्य पर्यवेक्षक और सलाहकार कर्नल संजय साहा ने बताया है कि जिन लोगों ने मंदिर को खरीदा है और उसे तोड़कर होटल बनाने वालों को भी नोटिस जारी किया है. इन लोगों को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है. वहीं, इस मामले में मुख्तार बाबा के बेटे महमूद उमर ने कहा कि उनके पास सभी आवश्यक कागजात हैं और जल्द ही उनके द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देंगे.

10 दिनों का दिया गया समय: शत्रु संपत्ति प्रभारी व एसीएम-सात दीपक पाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि उनके कार्यालय में सितंबर-अक्टूबर 2021 में 99/14 ए रामजानकी मंदिर का मामला शिकायत के रूप में आया था. इस मामले की जब एसडीएम से जांच कराई गई तो सामने आया कि इस मंदिर परिसर की देखरेख केयरटेकर के रूप में इशहाक बाबा नाम का व्यक्ति करता था. उसके बाद उनका पुत्र- मुख्तार बाबा जो कि साइकिल के पंक्चर बनाने का काम करता था, उसने इस जमीन को पाकिस्तानी नागरिक आबिद रहमान को 1982 में दे दी. आबिद ने पूरी संपत्ति अपनी मां हजारा बेगम के नाम पर करा ली. इसके बाद सभी संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया. मौजूदा समय में उस स्थान पर बाबा स्वीट हाउस नाम से दुकान है. हालांकि अब इस मामले में वहां रहने वाले 32 लोगों को नोटिसें भेजी गई हैं. सभी को 10 दिनों का समय दिया गया है. अगर 10 दिनों में कोई संतोषजनक जवाब न मिला तो इसे शत्रु संपत्ति मान लिया जाएगा और नियमानुसार कार्रवाई होगी.

सीईपीआई के सदस्यों को देंगे जानकारी: एसीएम सात दीपक पाल ने बताया कि इस मामले की पूरी जानकारी कस्टोडियन एनमी प्रापर्टी ऑफ इंडिया के सदस्यों को दी जाएगी. इनका मुख्यालय मुंबई में स्थित है, वहीं क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ में है. उस जमीन का कुल क्षेत्रफल कितना है, इसकी जानकारी के लिए सीईपीआई की ओर से ड्रोन सर्वे की प्रक्रिया को जल्द शुरू किया जाएगा. जिला प्रशासन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक शहर में अब कुल 20 शत्रु संपत्तियां हो गई हैं. इस मामले के साथ ही दो अन्य शत्रु संपत्तियों- 88/21 नाला रोड व 99/187 कंघी मोहाल की भी जांच कराई गई है.

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कानपुर: कानपुर में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. पाकिस्तान के एक नागरिक ने बेकनगंज थाना क्षेत्र के एक राम जानकी मंदिर को बेच दिया. इसके बाद हरकत में आए शत्रु संपत्ति संरक्षक कार्यालय ने कार्रवाई करते हुए मंदिर और दो अन्य संपत्तियों को 'शत्रु' संपत्ति के रूप में सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके अलावा खरीदार मुख्तार बाबा को नोटिस जारी किया है.

1982 में बेची थी संपत्तिः जानकारी के अनुसार कानपुर के बेकनगंज इलाके में संपत्ति को 1982 में पाकिस्तानी नागरिक आबिद रहमान ने कानपुर के मुख्तार बाबा को बेच दिया था. उस वक्त मुख्तार बाबा की मंदिर परिसर में एक साइकिल मरम्मत की दुकान थी. आबिद रहमान 1962 में पाकिस्तान चले गए थे, जहां उनका परिवार पहले से ही रह रहा था. आबिद रहमान संपत्ति बेचने के लिए कुछ समय के लिए लौटे और मुख्तार बाबा को संपत्ति बेच दी. मुख्तार बाबा ने संपत्ति खरीदने के बाद वहां रह रहे 18 हिंदू परिवारों को परिसर से बेदखल कर दिया और उस पर होटल बना लिया.

जानकारी देते एसीएम सात दीपक पाल.

पाकिस्तानी नागरिक ने जो जमीन बेची थी वह कानपुर नगर निगम के रिकॉर्ड में अभी भी एक मंदिर के रूप में सूचीबद्ध है. पिछले साल शत्रु संपति संरक्षण संघर्ष समिति द्वारा शिकायत दर्ज किए जाने के बाद इस मामले में जांच शुरू हुई थी. तत्कालीन जिलाधिकारी ने जॉइंट मजिस्ट्रेट से मामले की जांच करने को कहा था. बाद में रिपोर्ट को शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक के कार्यालय में भेज दिया गया.

ये भी पढ़ें: ज्ञानवापी केस: रिपोर्ट में मस्जिद की दीवार पर शेषनाग, देवी-देवताओं की कलाकृति का जिक्र

महमूद उमर का दावा, कागजात उनके पासः शत्रु संपत्ति के संरक्षक के कार्यालय के मुख्य पर्यवेक्षक और सलाहकार कर्नल संजय साहा ने बताया है कि जिन लोगों ने मंदिर को खरीदा है और उसे तोड़कर होटल बनाने वालों को भी नोटिस जारी किया है. इन लोगों को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है. वहीं, इस मामले में मुख्तार बाबा के बेटे महमूद उमर ने कहा कि उनके पास सभी आवश्यक कागजात हैं और जल्द ही उनके द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देंगे.

10 दिनों का दिया गया समय: शत्रु संपत्ति प्रभारी व एसीएम-सात दीपक पाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि उनके कार्यालय में सितंबर-अक्टूबर 2021 में 99/14 ए रामजानकी मंदिर का मामला शिकायत के रूप में आया था. इस मामले की जब एसडीएम से जांच कराई गई तो सामने आया कि इस मंदिर परिसर की देखरेख केयरटेकर के रूप में इशहाक बाबा नाम का व्यक्ति करता था. उसके बाद उनका पुत्र- मुख्तार बाबा जो कि साइकिल के पंक्चर बनाने का काम करता था, उसने इस जमीन को पाकिस्तानी नागरिक आबिद रहमान को 1982 में दे दी. आबिद ने पूरी संपत्ति अपनी मां हजारा बेगम के नाम पर करा ली. इसके बाद सभी संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया. मौजूदा समय में उस स्थान पर बाबा स्वीट हाउस नाम से दुकान है. हालांकि अब इस मामले में वहां रहने वाले 32 लोगों को नोटिसें भेजी गई हैं. सभी को 10 दिनों का समय दिया गया है. अगर 10 दिनों में कोई संतोषजनक जवाब न मिला तो इसे शत्रु संपत्ति मान लिया जाएगा और नियमानुसार कार्रवाई होगी.

सीईपीआई के सदस्यों को देंगे जानकारी: एसीएम सात दीपक पाल ने बताया कि इस मामले की पूरी जानकारी कस्टोडियन एनमी प्रापर्टी ऑफ इंडिया के सदस्यों को दी जाएगी. इनका मुख्यालय मुंबई में स्थित है, वहीं क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ में है. उस जमीन का कुल क्षेत्रफल कितना है, इसकी जानकारी के लिए सीईपीआई की ओर से ड्रोन सर्वे की प्रक्रिया को जल्द शुरू किया जाएगा. जिला प्रशासन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक शहर में अब कुल 20 शत्रु संपत्तियां हो गई हैं. इस मामले के साथ ही दो अन्य शत्रु संपत्तियों- 88/21 नाला रोड व 99/187 कंघी मोहाल की भी जांच कराई गई है.

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Last Updated : May 19, 2022, 3:34 PM IST
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