कानपुर: पेठा का नाम जुबा पर आते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है. ये जितना ही खाने में स्वादिष्ट होता है, उससे कहीं ज्यादा ये हमारे स्वास्थ के लिए भी फायदेमंद होता है. इसमें कई पोषक तत्व भी होते हैं. इसकी वजह से हमारे शरीर की इम्युनिटी भी बढ़ती है. वहीं, शहर के एक्सप्रेस रोड पर भी पेठे का मुख्य बाजार है. यहां काफी मात्रा की पेठे को तैयार किया जाता है.
ईटीवी भारत संवाददाता से विशेष बातचीत में पेठा कारोबारी महेश चंद्र गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले कानपुर में ही पेठे का कारोबार शुरू हुआ था. महेश चंद्र गुप्ता विगत 25 वर्षों से इस पेठे के कारोबार को कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पेठा गर्मी में ज्यादा खाया जाता है. क्योंकि, ये काफी ठंडा होता है. इसके अलावा जिन्हें शुगर है उनके लिए भी ये काफी फायदेमंद होता है. उन्होंने कहा कि इस बार बारिश की वजह से यहां पर पैदा हुआ कुम्हड़ा खराब हो गया है, जिसकी वजह से अब बेंगलुरु व कोलकाता से कुम्हड़ा/पेठा मंगाना पड़ रहा है. इसकी वजह से ही पेठे के दामों में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी भी हुई है. इसीलिए लोग भी बाजारों में पेठे की खरीदारी के लिए इस बार कम आ रहे हैं.
कैसे तैयार होता है पेठा
कारोबारी महेश चंद्र गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले जो कच्चा पेठा आता है, जिसे स्थानीय भाषा में कुम्हड़ा कहा जाता है उसकी सबसे पहले कुटाई होती है. फिर उसे गर्म पानी में डालकर उबाला जाता है. अच्छे से उबल जाने के बाद उसे फिर चूने के पानी में डाला जाता है. उसके बाद चासनी बनाकर उसमें डाल दिया जाता है. उसके बाद पेठा तैयार हो जाता है. उन्होंने कहा कि लोग इसे व्रत में भी खाते हैं. इसलिए इसमें किसी अन्य चीज का उपयोग नहीं किया जाता है. इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार के पेठों को तैयार किया जाता है. इसमें पान पेठा, अंगूर पेठा, केसरिया पेठा, गरी पेठा के साथ-साथ पेठे की कई अन्य वैरायटी को भी तैयार किया जाता है. इसे तैयार करने के बाद लखनऊ, बहराइच, बांदा, फतेहपुर समेत कई अन्य जिलों में भेजा जाता है.
एक नजर इस बार के दामों पर
पेठा पिछली साल (रुपये) इस साल (रुपये)
व्रत पेठा 40 80
पान पेठा 100 200
अंगूर पेठा 100 200
केसरिया पेठा 100 200
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