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7 दिन, 5 एनकाउंटर, गिरफ्तारियां...पुलिस का आखिरी एक्शन अभी बाकी

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Published : Jul 9, 2020, 11:00 PM IST

कानपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस टीम पर हुए हमले के 7 दिन बाद विकास दुबे को एमपी के उज्जैन में गिरफ्तार कर लिया गया. कोर्ट में पेशी के बाद अब उसे यूपी लाया जा रहा है. जानिए 3 जुलाई की रात से अब तक का घटनाक्रम...

कानपुर कांड की पूरी कहानी.
कानपुर कांड की पूरी कहानी.

कानपुर: जिले के बिकरू गांव में दबिश देने गए 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद विकास दुबे 7 दिनों तक लापता रहा. उज्जैन में पकड़े जाने से पहले वह फरीदाबाद में देखा गया था. यूपी पुलिस ने उसकी तलाश में दिन-रात एक कर दिया. 40 टीमें हर पल कहीं न कहीं कार्रवाई करती रहीं. इन 7 दिनों में पुलिस ने दर्जनों गिरफ्तारियां कीं तो 5 एनकाउंटर भी किए...विकास दुबे को यूपी लाने के बाद पुलिस क्या एक्शन लेती है...इसका इंतजार सभी को है.

क्या हुआ था फायरिंग वाली रात

गुरुवार की रात...कैलेंडर के मुताबिक, रात 12 बजे के बाद 3 जुलाई की तारीख हो चुकी थी. हत्या के एक मामले में वॉन्टेड विकास दुबे को पकड़ने के लिए 3 थानों की पुलिस बिकरू गांव रवाना हो चुकी थी. इस टीम के लोगों को पता नहीं था कि उनके आने की खबर विकास को लग चुकी है और उसके 25-30 बदमाश असलहों के साथ छतों पर उन्हीं का इंतजार कर रहे हैं. जैसे ही पुलिस टीम वहां पहुंचती है तो विकास दुबे के घर के पास एक जेसीबी रास्ते में खड़ी मिलती है...फिर क्या था...एक इमारत की छत से पुलिस दल पर अंधाधुंध गोलीबारी होने लगती है. पुलिस टीम को पता चल चुका होता है कि अब वो लोग फंस चुके हैं. गोलियों की तड़तड़ाहट सुबह 3 बजे के करीब थम जाती है...बाद में खबर आती है कि पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा, तीन उप निरीक्षक और चार कांस्टेबल शहीद हो चुके हैं.

कानपुर कांड की पूरी कहानी.

3 जुलाई का घटनाक्रम...

3 जुलाई...दिन शुक्रवार...जब पुलिसवालों की मौत से महकमे की किरकिरी होने लगी तो कानपुर से लखनऊ तक खलबली मच गई. सीएम योगी भी सकते में आ गए और एक बार फिर ऑपरेशन क्लीन की परमिशन दे दी. पुलिस की 22 टीमें और 40 थानों की पुलिस कानपुर और इसके आसपास सक्रिय हो गई. दोपहर तक विकास के दो गुर्गों अतुल दुबे और प्रेम प्रकाश को काशीपुर के नवादा गांव में ढेर कर दिया गया.

जब ढहा दी गई विकास की लंका

4 जुलाई सुबह 8 बजे...पुलिस ने बिकरू स्थित विकास दुबे के घर की पड़ताल शुरू की. जिस जेसीबी से विकास और उसके गैंग ने पुलिस टीम का रास्ता रोका था, उसी से उसके घर को ढहा दिया गया. 4 जुलाई की रात पुलिस ने कल्याणपुर इलाके में हुई एक मुठभेड़ में विकास दुबे के नौकर दयाशंकर को पकड़ा. दयाशंकर अग्निहोत्री ने चौबेपुर थाने की करतूत को उजागर कर दिया. उसने बताया कि विकास की लंका का रखवाला चौबेपुर थाना ही था. दबिश के पहले भी थाने से फोन आया था. फोन करने वाले और कोई नहीं, बल्कि थाने के दो अधिकारी ही निकले. विकास के प्रति इनकी स्वामीभक्ति ने 3 जुलाई की रात 8 पुलिवालों की बलि ले ली, जबकि 7 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. जब फोन कॉल खंगाले गए तो शक के दायरे में एसओ विनय तिवारी और बीट प्रभारी के.के. शर्मा आए. दोनों को वारदात के छठे दिन गिरफ्तार कर लिया गया. आईजी कानपुर रेंज मोहित अग्रवाल ने चौबेपुर थाने में तैनात सभी 68 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया. चौबेपुर थाने की दरियादिली देखिए...चौबेपुर थाने में विकास के खिलाफ 60 मुकदमे दर्ज हैं..मगर जिले के टॉप 15 अपराधियों की सूची में इसका नाम तक नहीं था.

जांच टीम रही फुल एक्शन में

इधर, जांच टीम भी फुल एक्शन में रही. 3 जुलाई के बाद हर दिन विकास के एक-दो प्यादे या तो पकड़े जाते रहे या पुलिस की गोली खाकर जान देते रहे. 8 जुलाई को एसटीएफ ने विकास के भतीजे अमर दुबे को हमीरपुर में मार गिराया. प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय समेत कई बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया गया. 9 जुलाई को एक ओर रणबीर शुक्ला उर्फ बउवा दुबे इटावा में मारा गया, दूसरी ओर कानपुर के पनकी थाना क्षेत्र के भौती में पचास हजार के इनामी प्रभात भी एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया. पुलिस महकमे ने पिछले 7 दिनों में जो दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश तक जाल बिछाया था, उसके नतीजे आने लगे थे. यूपी के हाथरस, जालौन, बुलंदशहर. आजमगढ़, बहराइच. बनारस. मिर्जापुर. कानपुर देहात और बहराइच समेत कई जिलों हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के पोस्टर चस्पा किए गए. नेपाल बॉर्डर को सील कर दिया गया.

आखिर पकड़ा गया विकास

हर दिन विकास की गिरफ्तारी के लिए इनामी राशि बढती रही. 9 जुलाई....दिन बुधवार, उज्जैन में पकड़े जाने से पहले विकास 5 लाख रुपये का इनामी हो चुका था. हालांकि इससे पहले यूपी एसटीएफ मध्यप्रदेश के शहडोल से विकास के साले ज्ञानेंद्र निगम उर्फ राजू को उठा चुकी थी. फरीदाबाद से उसका दाहिना हाथ माने जाने वाला प्रभात मिश्रा दबोचा जा चुका था. बताया जा रहा है कि ज्ञानेंद्र और प्रभात के जरिए पुलिस विकास दुबे का नया ठिकाना जान चुकी थी. मगर इससे पहले ही मध्यप्रदेश पुलिस ने उज्जैन के महाकाल मंदिर से दबोच लिया. वहां एक फूल वाले ने उसकी पहचान कर पुलिस को सूचना दे दी. बताया जा रहा है कि यूपी पुलिस से बचने के लिए वह दूसरे राज्यों में ठिकाने तलाश रहा था. आखिरकार वह अपने मकसद में कामयाब रहा. कोर्ट में पेशी के बाद उसे उत्तर प्रदेश लाया जा रहा है.

कानपुर: जिले के बिकरू गांव में दबिश देने गए 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद विकास दुबे 7 दिनों तक लापता रहा. उज्जैन में पकड़े जाने से पहले वह फरीदाबाद में देखा गया था. यूपी पुलिस ने उसकी तलाश में दिन-रात एक कर दिया. 40 टीमें हर पल कहीं न कहीं कार्रवाई करती रहीं. इन 7 दिनों में पुलिस ने दर्जनों गिरफ्तारियां कीं तो 5 एनकाउंटर भी किए...विकास दुबे को यूपी लाने के बाद पुलिस क्या एक्शन लेती है...इसका इंतजार सभी को है.

क्या हुआ था फायरिंग वाली रात

गुरुवार की रात...कैलेंडर के मुताबिक, रात 12 बजे के बाद 3 जुलाई की तारीख हो चुकी थी. हत्या के एक मामले में वॉन्टेड विकास दुबे को पकड़ने के लिए 3 थानों की पुलिस बिकरू गांव रवाना हो चुकी थी. इस टीम के लोगों को पता नहीं था कि उनके आने की खबर विकास को लग चुकी है और उसके 25-30 बदमाश असलहों के साथ छतों पर उन्हीं का इंतजार कर रहे हैं. जैसे ही पुलिस टीम वहां पहुंचती है तो विकास दुबे के घर के पास एक जेसीबी रास्ते में खड़ी मिलती है...फिर क्या था...एक इमारत की छत से पुलिस दल पर अंधाधुंध गोलीबारी होने लगती है. पुलिस टीम को पता चल चुका होता है कि अब वो लोग फंस चुके हैं. गोलियों की तड़तड़ाहट सुबह 3 बजे के करीब थम जाती है...बाद में खबर आती है कि पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा, तीन उप निरीक्षक और चार कांस्टेबल शहीद हो चुके हैं.

कानपुर कांड की पूरी कहानी.

3 जुलाई का घटनाक्रम...

3 जुलाई...दिन शुक्रवार...जब पुलिसवालों की मौत से महकमे की किरकिरी होने लगी तो कानपुर से लखनऊ तक खलबली मच गई. सीएम योगी भी सकते में आ गए और एक बार फिर ऑपरेशन क्लीन की परमिशन दे दी. पुलिस की 22 टीमें और 40 थानों की पुलिस कानपुर और इसके आसपास सक्रिय हो गई. दोपहर तक विकास के दो गुर्गों अतुल दुबे और प्रेम प्रकाश को काशीपुर के नवादा गांव में ढेर कर दिया गया.

जब ढहा दी गई विकास की लंका

4 जुलाई सुबह 8 बजे...पुलिस ने बिकरू स्थित विकास दुबे के घर की पड़ताल शुरू की. जिस जेसीबी से विकास और उसके गैंग ने पुलिस टीम का रास्ता रोका था, उसी से उसके घर को ढहा दिया गया. 4 जुलाई की रात पुलिस ने कल्याणपुर इलाके में हुई एक मुठभेड़ में विकास दुबे के नौकर दयाशंकर को पकड़ा. दयाशंकर अग्निहोत्री ने चौबेपुर थाने की करतूत को उजागर कर दिया. उसने बताया कि विकास की लंका का रखवाला चौबेपुर थाना ही था. दबिश के पहले भी थाने से फोन आया था. फोन करने वाले और कोई नहीं, बल्कि थाने के दो अधिकारी ही निकले. विकास के प्रति इनकी स्वामीभक्ति ने 3 जुलाई की रात 8 पुलिवालों की बलि ले ली, जबकि 7 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. जब फोन कॉल खंगाले गए तो शक के दायरे में एसओ विनय तिवारी और बीट प्रभारी के.के. शर्मा आए. दोनों को वारदात के छठे दिन गिरफ्तार कर लिया गया. आईजी कानपुर रेंज मोहित अग्रवाल ने चौबेपुर थाने में तैनात सभी 68 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया. चौबेपुर थाने की दरियादिली देखिए...चौबेपुर थाने में विकास के खिलाफ 60 मुकदमे दर्ज हैं..मगर जिले के टॉप 15 अपराधियों की सूची में इसका नाम तक नहीं था.

जांच टीम रही फुल एक्शन में

इधर, जांच टीम भी फुल एक्शन में रही. 3 जुलाई के बाद हर दिन विकास के एक-दो प्यादे या तो पकड़े जाते रहे या पुलिस की गोली खाकर जान देते रहे. 8 जुलाई को एसटीएफ ने विकास के भतीजे अमर दुबे को हमीरपुर में मार गिराया. प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय समेत कई बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया गया. 9 जुलाई को एक ओर रणबीर शुक्ला उर्फ बउवा दुबे इटावा में मारा गया, दूसरी ओर कानपुर के पनकी थाना क्षेत्र के भौती में पचास हजार के इनामी प्रभात भी एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया. पुलिस महकमे ने पिछले 7 दिनों में जो दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश तक जाल बिछाया था, उसके नतीजे आने लगे थे. यूपी के हाथरस, जालौन, बुलंदशहर. आजमगढ़, बहराइच. बनारस. मिर्जापुर. कानपुर देहात और बहराइच समेत कई जिलों हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के पोस्टर चस्पा किए गए. नेपाल बॉर्डर को सील कर दिया गया.

आखिर पकड़ा गया विकास

हर दिन विकास की गिरफ्तारी के लिए इनामी राशि बढती रही. 9 जुलाई....दिन बुधवार, उज्जैन में पकड़े जाने से पहले विकास 5 लाख रुपये का इनामी हो चुका था. हालांकि इससे पहले यूपी एसटीएफ मध्यप्रदेश के शहडोल से विकास के साले ज्ञानेंद्र निगम उर्फ राजू को उठा चुकी थी. फरीदाबाद से उसका दाहिना हाथ माने जाने वाला प्रभात मिश्रा दबोचा जा चुका था. बताया जा रहा है कि ज्ञानेंद्र और प्रभात के जरिए पुलिस विकास दुबे का नया ठिकाना जान चुकी थी. मगर इससे पहले ही मध्यप्रदेश पुलिस ने उज्जैन के महाकाल मंदिर से दबोच लिया. वहां एक फूल वाले ने उसकी पहचान कर पुलिस को सूचना दे दी. बताया जा रहा है कि यूपी पुलिस से बचने के लिए वह दूसरे राज्यों में ठिकाने तलाश रहा था. आखिरकार वह अपने मकसद में कामयाब रहा. कोर्ट में पेशी के बाद उसे उत्तर प्रदेश लाया जा रहा है.

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