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औरैया में बनेगा यूपी का पहला सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर, राजकीय पक्षी को मिलेगा प्राकृतिक आवास

वन विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के 70 फीसद सारस कानपुर मंडल के ही क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने औरैया-इटावा मार्ग पर सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर बनाने का निर्णय लिया है.

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Published : May 10, 2023, 8:10 PM IST

सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर बनाने की तैयारी.

कानपुर: यूपी में बीते दिनों एक सारस की वजह से सियासी संग्राम छिड़ा हुआ था. अमेठी निवासी आरिफ व सारस की दोस्ती को देश और दुनिया के करोड़ों लोगों ने जान लिया. इस मामले में पूर्व सीएम अखिलेश यादव लगातार योगी सरकार को घेर रहे थे. लेकिन, यह बात अब हकीकत हो गई है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजकीय पक्षी सारस की संख्या बढ़ाने के लिए पहली बार सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर बनाने का फैसला किया गया है.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा औरैया-इटावा मार्ग पर सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर बनाने के लिए जमीन चिन्हित कर लिया गया है. कानपुर मंडल के मुख्य वन संरक्षक केके सिंह ने कुछ दिन पहले औरैया मार्ग पर जमीन का निरीक्षण किया था. इस प्रस्ताव को अब जल्द ही शासन को भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल एक हेक्टेयर लैंड पर आर्टिफिशियल वेटलैंड तैयार कराए जाएंगे. इसके बाद कुल 40 से 50 हेक्टेयर जमीन पर सेंटर बनेगा. जिसमें सारस के प्राकृतिक आवास की सारी सुविधाएं होंगी. अगर सरकार भविष्य में इस सेंटर को पर्यटन के नजरिए से संचालित करेगी तो लोग सारस को करीब से देख सकेंगे.

सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर
उत्तर प्रदेश में राजकीय पक्षी सारस की संख्या.

वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि एक दशक के अंदर सारस की संख्या में 57 फीसद तक बढ़ोतरी हुई है. साल 2012 में सारस की जनगणना हुई थी. तब सूबे में सारस की संख्या 11275 थी. जबकि साल 2021 की जनगणना में यह आंकड़ा 17665 तक पहुंच गया है. इसमें खास बात यह है कि साल 2020 में कोविड महामारी का दौर होने के चलते गणना नहीं हो सकी थी.

कानपुर जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि सारस की पहचान चोंच, पंख व पंजों से की जाती है. बच्चों की चोंच व सिर का रंग जहां पीला होता है, वहीं वयस्क सारस की चोंच स्लेटी व सिर का रंग गहरा लाल होता है. इसके साथ ही पंजे का रंग गुलाबी होता है. उन्होंने बताया कि सारस अपना पानी में बनाता है. वहीं, वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार भारत के 70 फीसद सारस कानपुर मंडल के जिलों में पाए जाते हैं.

इन जिलों में प्रमुख रूप से इटावा, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात व कानपुर आते हैं. जबकि 2021 की जनगणना में इटावा और औरैया में 3293, उन्नाव में 533, फर्रुखाबाद में 772, कानपुर देहात में 520 और मैनपुरी जनपद में 2737 सारस पाए गए. इस तरह 2021 में कुल 17665 सारस पाए गए.

यह भी पढ़ें- फिल्म 'द केरला स्टोरी' यूपी में टैक्स फ्री किए जाने पर काशी के संत समाज ने सीएम को कहा, "धन्यवाद"

सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर बनाने की तैयारी.

कानपुर: यूपी में बीते दिनों एक सारस की वजह से सियासी संग्राम छिड़ा हुआ था. अमेठी निवासी आरिफ व सारस की दोस्ती को देश और दुनिया के करोड़ों लोगों ने जान लिया. इस मामले में पूर्व सीएम अखिलेश यादव लगातार योगी सरकार को घेर रहे थे. लेकिन, यह बात अब हकीकत हो गई है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजकीय पक्षी सारस की संख्या बढ़ाने के लिए पहली बार सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर बनाने का फैसला किया गया है.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा औरैया-इटावा मार्ग पर सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर बनाने के लिए जमीन चिन्हित कर लिया गया है. कानपुर मंडल के मुख्य वन संरक्षक केके सिंह ने कुछ दिन पहले औरैया मार्ग पर जमीन का निरीक्षण किया था. इस प्रस्ताव को अब जल्द ही शासन को भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल एक हेक्टेयर लैंड पर आर्टिफिशियल वेटलैंड तैयार कराए जाएंगे. इसके बाद कुल 40 से 50 हेक्टेयर जमीन पर सेंटर बनेगा. जिसमें सारस के प्राकृतिक आवास की सारी सुविधाएं होंगी. अगर सरकार भविष्य में इस सेंटर को पर्यटन के नजरिए से संचालित करेगी तो लोग सारस को करीब से देख सकेंगे.

सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर
उत्तर प्रदेश में राजकीय पक्षी सारस की संख्या.

वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि एक दशक के अंदर सारस की संख्या में 57 फीसद तक बढ़ोतरी हुई है. साल 2012 में सारस की जनगणना हुई थी. तब सूबे में सारस की संख्या 11275 थी. जबकि साल 2021 की जनगणना में यह आंकड़ा 17665 तक पहुंच गया है. इसमें खास बात यह है कि साल 2020 में कोविड महामारी का दौर होने के चलते गणना नहीं हो सकी थी.

कानपुर जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि सारस की पहचान चोंच, पंख व पंजों से की जाती है. बच्चों की चोंच व सिर का रंग जहां पीला होता है, वहीं वयस्क सारस की चोंच स्लेटी व सिर का रंग गहरा लाल होता है. इसके साथ ही पंजे का रंग गुलाबी होता है. उन्होंने बताया कि सारस अपना पानी में बनाता है. वहीं, वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार भारत के 70 फीसद सारस कानपुर मंडल के जिलों में पाए जाते हैं.

इन जिलों में प्रमुख रूप से इटावा, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात व कानपुर आते हैं. जबकि 2021 की जनगणना में इटावा और औरैया में 3293, उन्नाव में 533, फर्रुखाबाद में 772, कानपुर देहात में 520 और मैनपुरी जनपद में 2737 सारस पाए गए. इस तरह 2021 में कुल 17665 सारस पाए गए.

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