कानपुर: प्रतिभा न तो उम्र की मोहताज होती है और न ही अमीरी-गरीबी देखती है, उसे तो बस लगन चाहिये. ये बात साबित कर दिखाई है कानपुर में ठेला लगाने वाले फूलचंद की बेटी संजना ने. संजना 2 अगस्त से भूटान में होने वाले हेपकीड़ो बॉक्सिंग मुकाबले में सब जूनियर वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. वह सब जूनियर वर्ग में देश भर के 42 खिलाड़ियों के साथ पदक के लिये दावा पेश करेंगी.
संजना की मां ने क्या कुछ कहा
संजना की मां लक्ष्मी ने बताया कि संजना अपने पिता व भाई के साथ फल के ठेले पर मदद करती है. उन्होंने कहा कि हम उसे वो मुकाम नहीं दे पाए, जिसकी वह हकदार थी, लेकिन अपनी लगन के बल पर वह शहर ही नहीं अपने देश का नाम दुनिया में रोशन करेगी.
संजना भले ही गरीब परिवार से ताल्लुकात रखती हो, लेकिन उसके हौसले काफी बुलंद हैं. उन्हीं हौसलों का नतीजा है कि उसने 2018 में हरदोई में हुये स्टेट मुकाबले में स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद तो संजना ने पदकों की झड़ी ही लगा दी. इस छोटी सी उम्र में संजना ने वो कर दिखाया जो शायद बड़े-बड़े नहीं कर सकते. संजना का सपना है कि आगे चलकर वह देश के लिये स्वर्ण पदक जीते. संजना का कहना है कि जिस जगह हम रहते हैं, वहां पर लड़कियों को बढ़ावा नहीं दिया जाता है, लेकिन मैं उन्हें दिखाना चाहती हूं कि अपनी लड़कियों को मेरे जैसा बनाएं.
जानिए कोच का क्या कहना है
संजना के हौसले की उड़ान को उस समय पंख लग गए जब उसकी मेहनत और लगन को देखते हुए उसके कोच आजाद ने उसको निशुल्क ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी. कोच आजाद का कहना है कि ट्रेनिंग कैम्प में इस बच्ची से मुलाकात हुई, तब पता चला कि यह बहुत गरीब घर से है. मैने तीन साल पहले इसको ट्रेनिंग देनी शुरू की थी. इसकी मेहनत और लगन का नतीजा रहा कि वह सात नेशनल में हारी नहीं, उसे सातो में मेडल मिले. संजना भूटान में होने वाले इंटरनेशनल हेपकीड़ो बॉक्सिंग में भाग लेने जा रही है. वह अगर भूटान में मेडल जीत जाएगी तो उसका एशियाड में चयन होगा.