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सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय पाठक का वेतन पास, तरह-तरह के कयासों का दौर शुरू

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक का वेतन पास हो गया है. ऐसे में अब विवि में तरह-तरह के कयासों का दौर शुरू हो गया है.

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प्रोफेसर विनय पाठक
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Published : Jan 7, 2023, 11:37 AM IST

कानपुर: छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक का करीब दो माह का वेतन विश्वविद्यालय प्रशासन ने पास कर दिया है. प्रो. पाठक की सैलरी रिलीज होने का मामला कुछ ही देर में बहुत अधिक चर्चाओं में आ गया और फिर विवि के कर्मी व अफसर तरह-तरह के कयास लगाते रहे. कर्मियों का कहना था, कि प्रो. पाठक पर जब से भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और लखनऊ में उस मामले को लेकर एफआइआर दर्ज हुई है, तब से वह कैंपस नहीं आए, न ही अपने कार्यालय पहुंचे. ऐसे में उनका वेतन पास हो जाना हैरानी भरा फैसला है.

हालांकि इस मामले पर सीएसजेएमयू के पूर्व वित्त अधिकारी पीएस चौधरी ने बताया कि प्रोफेसर पाठक ने पांच जनवरी तक मेडिकल लीव एप्लाई कर रखी थी. उन लीव के आधार पर ही उनका वेतन जारी किया गया. बोले, राजभवन ने उनके चिकित्सीय अवकाश को स्वीकृत किया था. कहीं न कहीं इस पूरे मामले की जानकारी विवि के सभी आला प्रशासनिक अफसरों को थी, लेकिन अन्य किसी अफसर ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.

प्रोफेसर विनय पाठक के मामले में एसटीएफ ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है. जांच के दौरान कानपुर विवि के कई प्रोफेसरों से भी पूछताछ हुई है. विवि कैंपस के अंदर यह चर्चा भी जोरों पर है, कि प्रोफेसर पाठक ने अपने चहेते प्रोफेसरों को मनचाहे पद पर बैठा दिया. प्रोफेसर पाठक को लेकर विवि में यह सवाल बहुत तेजी से उठ रहा है, कि आखिर प्रोफसेर पाठक अपने मामले में बचेंगे या नपेंगे. उनके मामले को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश संबंधी कवायद भी शुरू हो गई है.

कानपुर: छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक का करीब दो माह का वेतन विश्वविद्यालय प्रशासन ने पास कर दिया है. प्रो. पाठक की सैलरी रिलीज होने का मामला कुछ ही देर में बहुत अधिक चर्चाओं में आ गया और फिर विवि के कर्मी व अफसर तरह-तरह के कयास लगाते रहे. कर्मियों का कहना था, कि प्रो. पाठक पर जब से भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और लखनऊ में उस मामले को लेकर एफआइआर दर्ज हुई है, तब से वह कैंपस नहीं आए, न ही अपने कार्यालय पहुंचे. ऐसे में उनका वेतन पास हो जाना हैरानी भरा फैसला है.

हालांकि इस मामले पर सीएसजेएमयू के पूर्व वित्त अधिकारी पीएस चौधरी ने बताया कि प्रोफेसर पाठक ने पांच जनवरी तक मेडिकल लीव एप्लाई कर रखी थी. उन लीव के आधार पर ही उनका वेतन जारी किया गया. बोले, राजभवन ने उनके चिकित्सीय अवकाश को स्वीकृत किया था. कहीं न कहीं इस पूरे मामले की जानकारी विवि के सभी आला प्रशासनिक अफसरों को थी, लेकिन अन्य किसी अफसर ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.

प्रोफेसर विनय पाठक के मामले में एसटीएफ ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है. जांच के दौरान कानपुर विवि के कई प्रोफेसरों से भी पूछताछ हुई है. विवि कैंपस के अंदर यह चर्चा भी जोरों पर है, कि प्रोफेसर पाठक ने अपने चहेते प्रोफेसरों को मनचाहे पद पर बैठा दिया. प्रोफेसर पाठक को लेकर विवि में यह सवाल बहुत तेजी से उठ रहा है, कि आखिर प्रोफसेर पाठक अपने मामले में बचेंगे या नपेंगे. उनके मामले को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश संबंधी कवायद भी शुरू हो गई है.

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