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कानपुर: सावन के आखिरी सोमवार पर आनंदेश्वर धाम में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब - sawan news

उत्तर प्रदेश के कानपुर में सावन के आखिरी सोमवार पर आनंदेश्वर धाम में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए और मनोकामना पूरी करने के लिये बाबा पर दूध, फल, भांग और धतूरा अर्पित किया.

भक्तों का उमड़ा जनसैलाब
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Published : Aug 12, 2019, 10:05 AM IST

कानपुर: औद्योगिक नगरी में सावन के आखिरी सोमवार पर आनंदेश्वर धाम में भक्तों का जनसैलाब उमड़ा. रात से ही श्रद्धालु भक्त लम्बी कतारों में खड़े होकर ब्रह्ममूर्त की मंगला आरती के लिये शामिल हुए.

जानकारी देते संवाददाता.

सोनभद्र: सावन के अंतिम सोमवार पर जलाभिषेक के लिए बाल कावड़ियों का जत्था रवाना

महादेव करते हैं वास
सावन के अंतिम सोमवार को बाबा के जलाभिषेक के लिए हजारों की संख्या में भक्तों ने हाजिरी लगाई. मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना के साथ सभी भक्तों ने भोले बाबा के दर्शन किए. भक्तों ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगाकर अपने व परिवार की खुशियों की कामना की. इस अवसर पर आस-पास के जिलों से भक्त महादेव के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

खुदाई में निकला बाबा का शिवलिंग
इस मंदिर के प्रति लोगों की अपार आस्था है. पुराणों में उल्लेख है कि परमट स्थित मां गंगा के तट पर स्थित शिव धाम में देवों के देव महादेव वास करते हैं. इस स्थान पर एक आनंदी नाम की गाय रोजाना आती थी. जहांं स्वतः गाय के थन से दूध निकलकर जमीन पर गिर जाया करता था. किसानों ने गाय के दूध गिरने वाले स्थान पर खुदाई की तो बाबा का शिवलिंग निकला. जिसके बाद आनंदी गाय के नाम पर मंदिर का नाम आनंदेश्वर पड़ा और इसके बाद यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक बन गया.

मुरादाबाद: 20 साल से कांवड़ बनाता है यह मुस्लिम युवक
सावन के सोमवार पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन कर बाबा से मनचाहा फल प्राप्त करते हैं. वहीं श्रद्धालु अभय मिश्रा ने बताया कि बाबा आनंदेश्वर के सुप्रसिद्ध मंदिर में लोगों की अपार आस्था है. यहां भक्तों द्वारा सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

कानपुर: औद्योगिक नगरी में सावन के आखिरी सोमवार पर आनंदेश्वर धाम में भक्तों का जनसैलाब उमड़ा. रात से ही श्रद्धालु भक्त लम्बी कतारों में खड़े होकर ब्रह्ममूर्त की मंगला आरती के लिये शामिल हुए.

जानकारी देते संवाददाता.

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महादेव करते हैं वास
सावन के अंतिम सोमवार को बाबा के जलाभिषेक के लिए हजारों की संख्या में भक्तों ने हाजिरी लगाई. मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना के साथ सभी भक्तों ने भोले बाबा के दर्शन किए. भक्तों ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगाकर अपने व परिवार की खुशियों की कामना की. इस अवसर पर आस-पास के जिलों से भक्त महादेव के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

खुदाई में निकला बाबा का शिवलिंग
इस मंदिर के प्रति लोगों की अपार आस्था है. पुराणों में उल्लेख है कि परमट स्थित मां गंगा के तट पर स्थित शिव धाम में देवों के देव महादेव वास करते हैं. इस स्थान पर एक आनंदी नाम की गाय रोजाना आती थी. जहांं स्वतः गाय के थन से दूध निकलकर जमीन पर गिर जाया करता था. किसानों ने गाय के दूध गिरने वाले स्थान पर खुदाई की तो बाबा का शिवलिंग निकला. जिसके बाद आनंदी गाय के नाम पर मंदिर का नाम आनंदेश्वर पड़ा और इसके बाद यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक बन गया.

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सावन के सोमवार पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन कर बाबा से मनचाहा फल प्राप्त करते हैं. वहीं श्रद्धालु अभय मिश्रा ने बताया कि बाबा आनंदेश्वर के सुप्रसिद्ध मंदिर में लोगों की अपार आस्था है. यहां भक्तों द्वारा सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

Intro:कानपुर:औद्योगिक नगरी में सावन के आखिरी सोमवार में आनंदेश्वर धाम में भक्तों का उमड़ा जनसैलाब

कानपुर में सावन के आखिरी सोमवार में बाबा आनंदेश्वर मंदिर में हजारो की संख्या में श्रद्धालु भक्तो की भीड़ देखने को मिली। हजारो की संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किये और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिये बाबा पर दूध फल भांग धतूरा अर्पित किया।


Body:रात से ही श्रद्धालु भक्त लम्बी लम्बी लाइनों में खड़े होकर ब्रह्ममूर्त की मंगला आरती के लिये शामिल हुए ।और बाबा के दर्शन कर मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना की।सभी भक्तो ने भोले बाबा के दर्शन प्राप्त करने के लिए सावन के सोमवार को पहुंचे। और बाबा के दरबार मे अपनी हाजिरी लगा कर अपने व परिवार की खुशियो की मन्नत मांगी ।महानगर के आस-पास के जिलों से भक्त महादेव के दर्शन करने सावन के आखिरी सोमवार को पहुँचे। लोगो ने बताया की इस मंदिर की बहुत पुरानी लोगो की आस्था है ।पुराणों में उल्लेख है कि परमट स्थित माँ गंगा के तट पर स्थित शिव धाम में देवो के देव महादेव वास करते है।इस स्थान पर एक आनंदी नाम की गाय रोजना आती तो स्वतः गाय के थन से दूध निकल कर जमीन पर गिर जाया करता था।जिज्ञासा वस किसानो ने गाय के दूध गिरने वाले स्थान पर खुदाई करी तो बाबा का शिव लिंग निकाला जिसके बाद आनंदी गाय के नाम पर मंदिर का नाम आनदेश्वर पड़ा और इसके बाद लोगो की आस्था का प्रतीक बना। आज सावन के सोमवार में लाखो की संख्या में श्रद्धालु दर्शन का लाभ उठाते है और बाबा से मनचाहा फल प्राप्त करते है।वहीँ एक श्रद्धालु अभय मिश्रा ने बताया की कानपुर में बाबा आनंदेश्वर का सुप्रसिद्ध मंदिर में लोगो की अपार आस्था है और बाबा के जो भी भक्त सच्चे दरबार में आता है उसकी मनोकामना बाबा जरूर पूरी करते है।

बाईट-- अभय मिश्रा ...भक्त

रजनीश दीक्षित
कानपुर ।



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