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कानपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में कव्वाली ने बांधा समां, देर न हो जाए गाने पर जमकर नाचे लोग - कुतबी ब्रदर्स कव्वाली

कानपुर लिट्रेचर फेस्टिवल के पहले दिन शहरवासियों ने खूब आनंद लिया. इस दौरान कुतबी ब्रदर्स के सदस्यों ने कव्वाली से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया.

कानपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में कव्वाली ने बांधा समां
कानपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में कव्वाली ने बांधा समां
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Published : Dec 24, 2022, 10:55 PM IST

कानपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में कव्वाली ने बांधा समां

कानपुर: लिट्रेचर सोसाइटी की ओर से कानपुर लिट्रेचर फेस्टिवल का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के पहले दिन कुतबी ब्रदर्स के सदस्यों ने कव्वाली से लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया. जी हां देर न हो जाए...कहीं देर न हो जाए... अल्लाह हो...अल्लाह हो...गानों पर लोग जमकर नाचे. इतना ही नहीं उनके रूमानी और सूफियाना अंदाज ने ऐसा समां बांधा, कि लोग देर रात झूमते रहे.

वहीं, इस लिट्रेचर फेस्टिवल के बाद से देर रात तक लोग तरह-तरह के कलाकारों से रूबरू हुए. सभी ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर फेस्टिवल का पूरा आनंद लिया. उद्घाटन सत्र में निर्देशक निर्मल चंदर ने सभी से बात की. उसके बाद आईपीएस चिरंजीव सिन्हा ने अपने संबोधन में आजादी के उन सिपाहियों को याद किया. फेस्टिवल में मौजूद चर्चित साहित्यकार डॉ.असगर वजाहत ने बताया कि उनके नाटक गोडसे एट गांधी डाट काम पर फिल्म निर्माता राजकुमार संतोषी ने फिल्म बनाई है, जो कि जनवरी में रिलीज होगी. फेस्टिवल में मुख्य रूप से डॉ. आलोक बाजपेई, भावना मिश्रा, डॉ.अनीता मिश्रा, स्क्रिप्ट राइटर अतुल तिवारी आदि मौजूद रहे.

डॉ.असगर वजाहत ने आगे बताया कि ऐसा नहीं है, कि बालीवुड की दुनिया में करियर बनाना है तो केवल आप अभिनेता ही बन सकते हैं. वहां खुद को स्थापित करने के लिए कई आयाम हैं. आप अपनी फिल्म बना सकते हैं. कई और काम कर सकते हैं, क्योंकि जो 30 साल पहले का बाजार था, वह अब पूरी तरह से बदल चुका है. अगर आप में टैलेंट हैं तो जरूरत है केवल अवसर की.

कानपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में कव्वाली ने बांधा समां

कानपुर: लिट्रेचर सोसाइटी की ओर से कानपुर लिट्रेचर फेस्टिवल का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के पहले दिन कुतबी ब्रदर्स के सदस्यों ने कव्वाली से लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया. जी हां देर न हो जाए...कहीं देर न हो जाए... अल्लाह हो...अल्लाह हो...गानों पर लोग जमकर नाचे. इतना ही नहीं उनके रूमानी और सूफियाना अंदाज ने ऐसा समां बांधा, कि लोग देर रात झूमते रहे.

वहीं, इस लिट्रेचर फेस्टिवल के बाद से देर रात तक लोग तरह-तरह के कलाकारों से रूबरू हुए. सभी ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर फेस्टिवल का पूरा आनंद लिया. उद्घाटन सत्र में निर्देशक निर्मल चंदर ने सभी से बात की. उसके बाद आईपीएस चिरंजीव सिन्हा ने अपने संबोधन में आजादी के उन सिपाहियों को याद किया. फेस्टिवल में मौजूद चर्चित साहित्यकार डॉ.असगर वजाहत ने बताया कि उनके नाटक गोडसे एट गांधी डाट काम पर फिल्म निर्माता राजकुमार संतोषी ने फिल्म बनाई है, जो कि जनवरी में रिलीज होगी. फेस्टिवल में मुख्य रूप से डॉ. आलोक बाजपेई, भावना मिश्रा, डॉ.अनीता मिश्रा, स्क्रिप्ट राइटर अतुल तिवारी आदि मौजूद रहे.

डॉ.असगर वजाहत ने आगे बताया कि ऐसा नहीं है, कि बालीवुड की दुनिया में करियर बनाना है तो केवल आप अभिनेता ही बन सकते हैं. वहां खुद को स्थापित करने के लिए कई आयाम हैं. आप अपनी फिल्म बना सकते हैं. कई और काम कर सकते हैं, क्योंकि जो 30 साल पहले का बाजार था, वह अब पूरी तरह से बदल चुका है. अगर आप में टैलेंट हैं तो जरूरत है केवल अवसर की.

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