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Popular front of India : कानपुर में पीएफआई का अब काेई सदस्य नहीं, एटीएस ने किया दावा

पीएफआई पर लगे प्रतिबंध के बाद जिले में अब संगठन का काेई भी सक्रिय सदस्य नहीं है. सरकार के पास खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट पहुंच चुकी है.

कानपुर में भी अब काेई सदस्य नहीं रह गया है.
कानपुर में भी अब काेई सदस्य नहीं रह गया है.
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Published : Feb 23, 2023, 11:18 AM IST

कानपुर : जिले में पीएफआई के सक्रिय सदस्यों की सक्रियता लगातार सामने आती रही है. देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हाेने के कारण इस संंगठन काे बैन कर दिया गया. इसके बाद से लगाकर सदस्याें की संख्या कम हाेती जा रही है. कानपुर में भी अब काेई सदस्य नहीं रह गया है.

बता दें कि एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड (एटीएस) समेत अन्य खुफिया एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट इस बाबत सरकार को सौंप दी है. रिपोर्ट के मुताबिक अब अगर कहीं भी पीएफआई के सदस्यों की सक्रियता सामने आती है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. इस संबंध में सरकार ने शासनादेश भी जारी कर दिया है.

एटीएस के डिप्टी एसपी सुशील कुमार ने बताया कि कानपुर में पिछले कई सालों से पीएफआई सदस्य सक्रिय थे. साल 2020 में एटीएस समेत स्थानीय पुलिस ने सीएए कानून का विरोध करने को लेकर पांच सदस्यों- सैयद अब्दुल हई हाशमी, मो.उमर, फैजान मुमताज, सरवर आलम और मो.वासिफ को गिरफ्तार किया था.

साल 2022 में शहर के परेड चौराहा पर हुई हिंसा के मामले में कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के अफसरों ने सैफुल्लाह, मो. नसीम व मो.उमर को अरेस्ट किया. उसके बाद से पीएफआई को सूबे में प्रतिबंधित करने के लिए कवायद शुरू हुई. अंतत: सरकार ने इस संगठन की गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. अब, शहर में एटीएस के पास किसी पीएफआई सदस्य का कोई रिकार्ड नहीं है. पीएफआई को पूरे देश में प्रतिबंधित कर दिया गया है.

यह भी पढ़ें : यू-ट्यूब पर वीडियो देखकर बीटेक और पीएचडी धारक छाप रहे थे नकली नोट

कानपुर : जिले में पीएफआई के सक्रिय सदस्यों की सक्रियता लगातार सामने आती रही है. देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हाेने के कारण इस संंगठन काे बैन कर दिया गया. इसके बाद से लगाकर सदस्याें की संख्या कम हाेती जा रही है. कानपुर में भी अब काेई सदस्य नहीं रह गया है.

बता दें कि एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड (एटीएस) समेत अन्य खुफिया एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट इस बाबत सरकार को सौंप दी है. रिपोर्ट के मुताबिक अब अगर कहीं भी पीएफआई के सदस्यों की सक्रियता सामने आती है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. इस संबंध में सरकार ने शासनादेश भी जारी कर दिया है.

एटीएस के डिप्टी एसपी सुशील कुमार ने बताया कि कानपुर में पिछले कई सालों से पीएफआई सदस्य सक्रिय थे. साल 2020 में एटीएस समेत स्थानीय पुलिस ने सीएए कानून का विरोध करने को लेकर पांच सदस्यों- सैयद अब्दुल हई हाशमी, मो.उमर, फैजान मुमताज, सरवर आलम और मो.वासिफ को गिरफ्तार किया था.

साल 2022 में शहर के परेड चौराहा पर हुई हिंसा के मामले में कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के अफसरों ने सैफुल्लाह, मो. नसीम व मो.उमर को अरेस्ट किया. उसके बाद से पीएफआई को सूबे में प्रतिबंधित करने के लिए कवायद शुरू हुई. अंतत: सरकार ने इस संगठन की गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. अब, शहर में एटीएस के पास किसी पीएफआई सदस्य का कोई रिकार्ड नहीं है. पीएफआई को पूरे देश में प्रतिबंधित कर दिया गया है.

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