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कानपुर: लॉकडाउन में किताबें पढ़कर व्यतीत कर सकते हैं वक्त

23 अप्रैल को वर्ल्ड बुक डे के रूप में मनाया जाता है. वहीं पूरे देश में लोगों ने गुरुवार को वर्ल्ड बुक डे मनाया. इसे कॉपीराइट डे के रूप में भी मनाया जाता है. वरिष्ठ अधिवक्ता रामकरन सिंह ने बताया कि किताबें हम लोगों की सच्ची साथी होती है. लॉकडाउन के दौरान लोग किताबें पढ़कर समय गुजार सकते हैं.

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Published : Apr 24, 2020, 1:44 PM IST

Updated : May 24, 2020, 10:15 AM IST

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कानपुर में विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया

कानपुर: जहां एक ओर पूरा विश्व कोरोना वायरस से जूझ रहा है. वहीं पूरा भारत देश भी इसकी चपेट में है. इस क्रम में पूरे देश मेें लॉकडाउन जारी है. लोगों ने आज यानी 23 अप्रैल को वर्ल्ड बुक डे मनाया. यूनेस्को में शेक्सपियर जैसे लेखकों को सम्मान देने के लिए 23 अप्रैल को वर्ल्ड बुक डे के रूप में मनाया जाता है. वर्ल्ड बुक डे को कॉपीराइट डे भी कहा जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य किताबों का आनंद लेने और पढ़ने की कला को बढ़ावा देना है. इस दिन लोगों को किताबों को पढ़ने का महत्व बताया जाता है. एक तरह से देखा जाए तो किताबें हम लोगों की सच्ची साथ ही होती है. हमारी सबसे अच्छी मित्र होती है.

किताबें एकत्रित करने का है शौक

वरिष्ठ अधिवक्ता रामकरन सिंह ने बताया कि बचपन से ही मुझे किताबों के प्रति अलग जुनून था और किताबें इक्कठा करता था. छात्र जीवन में भी जो किताब नई आती थी उसे सबसे पहले लेने पहुंच जाता था. आज भी मेरे पास तीन-चार लाइब्रेरी है जिनमें हजारों किताबें हैं. इनमें मुख्य रूप से कानून की किताबें, समाजशास्त्र, राजनीति, आध्यात्मिक और धार्मिक किताबें भी शामिल है.

लॉकडाउन में किताबें पढ़कर बीत रहा समय

रोजमर्रा में इतने व्यस्ततम समय में किताबें पढ़ने का मौका नहीं मिल पाता था. किताबें एकत्रित करने का मुझे जुनून था. मुझे पढ़ने का इतना मौका नहीं मिल पाता था, लेकिन अब लॉकडाउन में दिनभर समय रहता है तो ज्यादातर समय किताबें पढ़कर ही व्यतीत करता हूं.

कानपुर: जहां एक ओर पूरा विश्व कोरोना वायरस से जूझ रहा है. वहीं पूरा भारत देश भी इसकी चपेट में है. इस क्रम में पूरे देश मेें लॉकडाउन जारी है. लोगों ने आज यानी 23 अप्रैल को वर्ल्ड बुक डे मनाया. यूनेस्को में शेक्सपियर जैसे लेखकों को सम्मान देने के लिए 23 अप्रैल को वर्ल्ड बुक डे के रूप में मनाया जाता है. वर्ल्ड बुक डे को कॉपीराइट डे भी कहा जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य किताबों का आनंद लेने और पढ़ने की कला को बढ़ावा देना है. इस दिन लोगों को किताबों को पढ़ने का महत्व बताया जाता है. एक तरह से देखा जाए तो किताबें हम लोगों की सच्ची साथ ही होती है. हमारी सबसे अच्छी मित्र होती है.

किताबें एकत्रित करने का है शौक

वरिष्ठ अधिवक्ता रामकरन सिंह ने बताया कि बचपन से ही मुझे किताबों के प्रति अलग जुनून था और किताबें इक्कठा करता था. छात्र जीवन में भी जो किताब नई आती थी उसे सबसे पहले लेने पहुंच जाता था. आज भी मेरे पास तीन-चार लाइब्रेरी है जिनमें हजारों किताबें हैं. इनमें मुख्य रूप से कानून की किताबें, समाजशास्त्र, राजनीति, आध्यात्मिक और धार्मिक किताबें भी शामिल है.

लॉकडाउन में किताबें पढ़कर बीत रहा समय

रोजमर्रा में इतने व्यस्ततम समय में किताबें पढ़ने का मौका नहीं मिल पाता था. किताबें एकत्रित करने का मुझे जुनून था. मुझे पढ़ने का इतना मौका नहीं मिल पाता था, लेकिन अब लॉकडाउन में दिनभर समय रहता है तो ज्यादातर समय किताबें पढ़कर ही व्यतीत करता हूं.

Last Updated : May 24, 2020, 10:15 AM IST
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