ETV Bharat / state

कानपुर नगर: कोरोना अब लोगों को बना रहा डायबिटीज का मरीज

कानपुर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की डेथ ऑडिट टीम ने बताया था कि कोरोना में सबसे ज्यादा मौतें डायबिटीज की वजह से हुईं. यह कहा गया है कि कोरोना न सिर्फ फेफड़े, किडनी और लिवर को डैमेज कर रहा है. बल्कि कोरोना का असर पैंक्रियाज में भी हो रहा है, जिसकी वजह से कोरोना से रिकवर होने के बाद लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं.

etv bharat
गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय.
author img

By

Published : Sep 24, 2020, 6:31 PM IST

कानपुर नगर: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में मार्च से भर्ती हो रहे मरीजों में हो रही मौतों को लेकर डेथ ऑडिट टीम ने बताया था कि कोरोना में सबसे ज्यादा मौतें डायबिटीज की वजह से हुईं. उसके बाद एक अन्य अध्ययन रिपोर्ट में एक चौकने वाला तथ्य सामने आया, जिसमें यह कहा गया है कि कोरोना न सिर्फ फेफड़े, किडनी और लिवर को डैमेज कर रहा है. बल्कि कोरोना का असर पैंक्रियाज में भी हो रहा है, जिसकी वजह से कोरोना से रिकवर होने के बाद लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं.

कानपुर मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में भर्ती 10 मरीजों को डायबिटीज हो गयी है. वहीं इसमें अहम बात यह है कि इनके परिवार नहीं बल्कि तीन पीढ़ियों में किसी को डायबिटीज नहीं है. वहीं अब जहां कोरोना के लक्षण सिर्फ सर्दी, जुकाम, बुखार माने जाते हैं, लेकिन कई केस अब ऐसे भी आ रहे हैं, जिनमें गैस्ट्रिक प्रॉब्लम थी और वो भी कोरोना संक्रमित हो गए.

शुरुआत में मान रहे थे दवाओं का असर
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एसके गौतम का कहना है कि जब यह मरीज अस्पताल में भर्ती थे. शुरुआती दौर में डॉक्टर इनके बढ़े शुगर लेवल को दवाओं का असर मान रहे थे. क्योंकि मरीजों का शुगर लेवल स्टेरॉयड दवा के कारण बड़ा होगा. अध्ययन के बाद साफ हो गया कि कोरोना वायरस की वजह से इनको डायबिटीज हो गयी. इनमें से छह को नेगेटिव आने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि चार का हैलट हॉस्पिटल में इलाज हो रहा है.

डॉक्टर के मुताबिक पिछले महीने छह मरीजों को भर्ती कराया गया था तो उनमें शुगर लेवल 350 से 400 था. शुरुआती दौर में डॉक्टर हैरान हुए, लेकिन डॉक्टर ने इन्सुलिन और अन्य दवाओं के मिश्रण से कोरोना और शुगर लेवल पर काबू पाने की कोशिश की. वहीं मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने इनकी केस हिस्ट्री तैयार की. रिपोर्ट के मुताबिक 10 संक्रमित मरीजों के परिवार में किसी को भी डायबिटीज नहीं है, जिसके बाद भी यह यह इसकी चपेट में आ गए.

जिन 10 मरीज को हुई शुगर, घर में नहीं कोई डाबीटिक
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एस के गौतम का कहना है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद यह 10 युवक यहां पर भर्ती हुए थे. यह युवक कोरोना से तो रिकवर कर गए, लेकिन इनको डायबिटीज की बीमारी हो गई. इसमें सबसे अहम बात यह सामने आयी है कि इनमें जिन को भी शुगर हुई है, उनके परिवार में एक दो नहीं बल्कि तीन पीढ़ियों से किसी को भी शुगर नहीं था, लेकिन कोरोना से रिकवर होने के बाद यह डायबिटीज का शिकार हो गए.

पैंक्रियाज के बीटा सेल को कर रहा है प्रभावित
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एस के गौतम का कहना है कि जो कोविड के मरीज आ रहे हैं उन पर इलाज के दौरान के डॉक्टर्स ने पाया कि एजियोटेंसिन कंवरटिंग एंजाइम 2 रिसेप्टर के जरिए कोरोना पैंक्रियाज में प्रवेश करके उसे प्रभावित कर रहा है. जिस वजह से पैंक्रियाज में मौजूद अल्फा बीटा सेल्स की साईकल बिगड़ जाती है और व्यक्ति शुगर का रोगी हो जाता है. बता दें कि पैंक्रियाज में मौजूद बीटा सेल्स ब्लड में जा रही शुगर को इंसुलिन और भोजन को पचाने के लिए अल्फा सेल्स एंजाइम्स पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलते हैं.

कानपुर नगर: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में मार्च से भर्ती हो रहे मरीजों में हो रही मौतों को लेकर डेथ ऑडिट टीम ने बताया था कि कोरोना में सबसे ज्यादा मौतें डायबिटीज की वजह से हुईं. उसके बाद एक अन्य अध्ययन रिपोर्ट में एक चौकने वाला तथ्य सामने आया, जिसमें यह कहा गया है कि कोरोना न सिर्फ फेफड़े, किडनी और लिवर को डैमेज कर रहा है. बल्कि कोरोना का असर पैंक्रियाज में भी हो रहा है, जिसकी वजह से कोरोना से रिकवर होने के बाद लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं.

कानपुर मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में भर्ती 10 मरीजों को डायबिटीज हो गयी है. वहीं इसमें अहम बात यह है कि इनके परिवार नहीं बल्कि तीन पीढ़ियों में किसी को डायबिटीज नहीं है. वहीं अब जहां कोरोना के लक्षण सिर्फ सर्दी, जुकाम, बुखार माने जाते हैं, लेकिन कई केस अब ऐसे भी आ रहे हैं, जिनमें गैस्ट्रिक प्रॉब्लम थी और वो भी कोरोना संक्रमित हो गए.

शुरुआत में मान रहे थे दवाओं का असर
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एसके गौतम का कहना है कि जब यह मरीज अस्पताल में भर्ती थे. शुरुआती दौर में डॉक्टर इनके बढ़े शुगर लेवल को दवाओं का असर मान रहे थे. क्योंकि मरीजों का शुगर लेवल स्टेरॉयड दवा के कारण बड़ा होगा. अध्ययन के बाद साफ हो गया कि कोरोना वायरस की वजह से इनको डायबिटीज हो गयी. इनमें से छह को नेगेटिव आने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि चार का हैलट हॉस्पिटल में इलाज हो रहा है.

डॉक्टर के मुताबिक पिछले महीने छह मरीजों को भर्ती कराया गया था तो उनमें शुगर लेवल 350 से 400 था. शुरुआती दौर में डॉक्टर हैरान हुए, लेकिन डॉक्टर ने इन्सुलिन और अन्य दवाओं के मिश्रण से कोरोना और शुगर लेवल पर काबू पाने की कोशिश की. वहीं मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने इनकी केस हिस्ट्री तैयार की. रिपोर्ट के मुताबिक 10 संक्रमित मरीजों के परिवार में किसी को भी डायबिटीज नहीं है, जिसके बाद भी यह यह इसकी चपेट में आ गए.

जिन 10 मरीज को हुई शुगर, घर में नहीं कोई डाबीटिक
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एस के गौतम का कहना है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद यह 10 युवक यहां पर भर्ती हुए थे. यह युवक कोरोना से तो रिकवर कर गए, लेकिन इनको डायबिटीज की बीमारी हो गई. इसमें सबसे अहम बात यह सामने आयी है कि इनमें जिन को भी शुगर हुई है, उनके परिवार में एक दो नहीं बल्कि तीन पीढ़ियों से किसी को भी शुगर नहीं था, लेकिन कोरोना से रिकवर होने के बाद यह डायबिटीज का शिकार हो गए.

पैंक्रियाज के बीटा सेल को कर रहा है प्रभावित
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एस के गौतम का कहना है कि जो कोविड के मरीज आ रहे हैं उन पर इलाज के दौरान के डॉक्टर्स ने पाया कि एजियोटेंसिन कंवरटिंग एंजाइम 2 रिसेप्टर के जरिए कोरोना पैंक्रियाज में प्रवेश करके उसे प्रभावित कर रहा है. जिस वजह से पैंक्रियाज में मौजूद अल्फा बीटा सेल्स की साईकल बिगड़ जाती है और व्यक्ति शुगर का रोगी हो जाता है. बता दें कि पैंक्रियाज में मौजूद बीटा सेल्स ब्लड में जा रही शुगर को इंसुलिन और भोजन को पचाने के लिए अल्फा सेल्स एंजाइम्स पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.