कानपुर: कुछ दिनों पहले शहर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से यह खबर सामने आई थी, कि यहां एलर्जी के मरीजों पर एक आयुर्वेदिक दवा इम्बो को लेकर शोध किया गया है. जिसके सफल परिणाम मिले है. इस इम्बो दवा को तैयार करने वाले पद्म श्री वैद्य डॉ.बालेंदु प्रकाश सोमवार को रुद्रपुर से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचे. इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि यह आयुर्वेदिक दवा, महज एक मिनट में ही अपना असर दिखाती है. जबकि इम्बो की एलोपैथिक दवा असर दिखाने में 30 मिनट का समय लेती है.
दवा में इन चीजों का किया गया प्रयोगः उन्होंने बताया कि इम्बो को तैयार करने के लिए मंडूर नाम का पदार्थ लिया जाता है. जिसमें आयरन की मात्रा दो प्रतिशत से भी कम होती है. फिर मंडूर के कुछ भाग को गौमूत्र में तपाया जाता है, फिर उसमें सात तत्वों से तैयार भस्म मिलाते है. इसके बाद इम्बो बन जाती है. उन्होंने दावा किया, कि इम्बो की मदद से कैंसर, फाइब्रोमाल्जिया, माइग्रेन, एलर्जी के सभी तरह के मरीजों को ठीक किया जा सकता है.
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ट्रेडिशन प्लस टेक्नोलॉजी से बनेगा इनोवेशन, जल्द करेंगे करार: पद्म श्री वैद्य डॉ.बालेंदु प्रकाश ने बताया कि बहुत जल्द हम जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज संग करार करेंगे. मेडिकल कॉलेज के पास जहां टेक्नोलॉजी है, वहीं हमारे पास ट्रेडिशन है. जब ट्रेडिशन प्लस टेक्नोलॉजी होगा तो निश्चित तौर पर इनोवेशन होगा. उन्होंने कहा कि हमारा मकसद है कि हम आयुर्वेदिक दवाओं से मरीजों को जल्द से जल्द ठीक करें. हम एलोपैथिक दवाओं या उस पद्धति से होने वाले इलाज का विरोध नहीं कर रहे है.
नव्वल की दवा देने से कम हो जाता बुखार, बढ़ती है प्लेटलेट्स: पद्म श्री डॉ.बालेंदु प्रकाश से यह सवाल किया गया कि डेंगू पर किस आयुर्वेदिक दवा से नियंत्रण पाया जा सकता है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नव्वल की एक पुड़िया ही डेंगू के इलाज में कारगर है. इससे 104 बुखार भी कम हो जाता है. साथ ही प्लेटलेट्स भी बढ़ जाती हैं.
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