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कानपुर: फैज की कविता को लेकर घमासान, शिकायतकर्ता ने कहा आहत हुई भावना

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Published : Jan 3, 2020, 10:05 PM IST

कानपुर आईआईटी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया था. इस प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने फैज अहमद फैज की एक कविता पढ़ी. इसके खिलाफ आईआईटी प्रशासन से शिकायत की गई है कि यह हिन्दू भावनाओं के खिलाफ है.

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आईआईटी कानपुर.

कानपुरः आईआईटी में बीते 17 दिसंबर को हुए प्रोटेस्ट में फैज अहमद फैज की कविता को पढ़े जाने के बाद घमासान मचा हुआ है. प्रोटेस्ट की शिकायत करने वाले फैकल्टी डॉ. वाशी शर्मा ने बताया कि 17 तारीख को प्रोटेस्ट हुआ. इस प्रोटेस्ट के लिए आदेश भी नहीं लिया गया था.

वाशी शर्मा ने कहा कि प्रोटेस्ट में ऐसी कविता पढ़ी गई. जिसमें लगा कि इस कविता की आईआईटी में जरूरत नहीं है. उसके शब्दों में हिन्दू धर्म को आहत करने वाले शब्द थे. इससे किसी की भी भावना आहत हो सकती थी. यहां पर इसकी कोई जरूरत नहीं है. इसकी शिकायत आईआईटी प्रसाशन से की गई है.

जानकारी देते शिकायतकर्ता.

इसे भी पढ़ें- हिन्दुस्तान के बंटवारे के विरोधी फैज की नज्म कैसे हो गई हिंदू विरोधी!

कानपुर आईआईटी के छात्रों ने जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में 17 दिसंबर को आईआईटी कानपुर के परिसर में शांति मार्च निकाला था. इस मार्च के दौरान उन्होंने फैज की एक कविता पढ़ी गई थी. शिकायत पर निदेशक ने समिति का गठन किया गया है. समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की बात कही गई है.

कानपुरः आईआईटी में बीते 17 दिसंबर को हुए प्रोटेस्ट में फैज अहमद फैज की कविता को पढ़े जाने के बाद घमासान मचा हुआ है. प्रोटेस्ट की शिकायत करने वाले फैकल्टी डॉ. वाशी शर्मा ने बताया कि 17 तारीख को प्रोटेस्ट हुआ. इस प्रोटेस्ट के लिए आदेश भी नहीं लिया गया था.

वाशी शर्मा ने कहा कि प्रोटेस्ट में ऐसी कविता पढ़ी गई. जिसमें लगा कि इस कविता की आईआईटी में जरूरत नहीं है. उसके शब्दों में हिन्दू धर्म को आहत करने वाले शब्द थे. इससे किसी की भी भावना आहत हो सकती थी. यहां पर इसकी कोई जरूरत नहीं है. इसकी शिकायत आईआईटी प्रसाशन से की गई है.

जानकारी देते शिकायतकर्ता.

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कानपुर आईआईटी के छात्रों ने जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में 17 दिसंबर को आईआईटी कानपुर के परिसर में शांति मार्च निकाला था. इस मार्च के दौरान उन्होंने फैज की एक कविता पढ़ी गई थी. शिकायत पर निदेशक ने समिति का गठन किया गया है. समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की बात कही गई है.

Intro:कानपुर:-आईआईटी कानपुर में फैज की कविता को लेकर घमासान जारी शिकायतकर्ता प्रोफेसर ने कहा आहत हुई भावना

कानपुर आईआईटी में बीती17 दिसम्बर को हुए प्रोटेस्ट में फैज अहमद फैज की कविता को पढ़े जाने के बाद घमसान मचा हुआ है। प्रोटेस्ट की कंप्लेन करने वाले फैकल्टी वाशी शर्मा ने बताया कि 17 तारीख को प्रोटेस्ट हुआ जिसकी परमिशन भी नही थी।


Body:प्रोटेस्ट में ऐसी कविता गयी जिसमे लगा कि ये कविता गलत उस कविता की आईआईटी में जरूरत नही है। पाकिस्तानी कविता को यहां पर पढ़ा जाना गलत है। अगर उसके शब्दो को बदल कर हिन्दू भगवान का नाम जोड़ दिया जाए तो कोई उसको सहन नही करेगा। वो कविता पूरी तरह से आहत करने वाली है। यहां पर इसकी कोई जरूरत नही है। इसकी शिकायत आईआईटी प्रसाशन से की गई है। 

बाईट-डॉक्टर वाशी शर्मा - शिकायत कर्ता




Conclusion:गौरतलब रहे कि आईआईटी कानपुर के छात्रों ने जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में 17 दिसंबर को आईआईटी कानपुर के परिसर में शांति मार्च निकाला था और मार्च के दौरान उन्होंने फैज की यह कविता गायी थी जिसके बाद आईआईटी कानपुर में इसको लेकर कंट्रोवर्सी शुरू हो गई आईआईटी कानपुर के फैकल्टी सदस्यों की शिकायत पर आईआईटी कानपुर के निदेशक ने इस समिति का गठन किया गया है फैकल्टी के सदस्यों ने कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने यह हिंदू विरोधी गीत गाया था समिति इसकी जांच करेगी कि छात्रों ने शहर में जुलूस के दिन निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया क्या उन्होंने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट की और क्या फैज की कविता हिंदू विरोधी है ।
समिति की रिपोर्ट पर आईआईटी कानपुर कठोर कार्यवाही करेगा ।
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