कानपुर: अपनी तकनीकी और रिसर्च कार्यों के दम पर चीनी मिल में डंका बजाने वाला कानपुर का राष्ट्रीय शर्करा संस्थान अब पतित पावनी मां गंगा की ना सिर्फ निगहबानी करेगा बल्कि उसकी स्वच्छता को बढ़ाने के लिए भी अहम जिम्मेदारी निभाएगा. इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनएसआई यानी राष्ट्रीय शर्करा संस्थान को गंगा के किनारे स्थित 50 से अधिक चीनी मिलों और शराब की डिस्टलरी की जिम्मेदारी सौंपी है. इन मिलों व फैक्ट्रियों में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान का बनाया मॉडल स्थापित किया जाएगा.
कई राज्यों की फैक्ट्री पर रहेगी नजर
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के विशेषज्ञों की नजर उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक में गंगा किनारे की मिलों पर रहेगी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनएसआई की ओर से इस साल की शुरुआत में वाटर मैनेजमेंट सिस्टम के मॉडल का मैकेनिज्म देखने के बाद जिम्मेदारी दी है. सीपीसीबी यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने मॉडल की विशेषता को देखने के बाद इसे गंगा किनारे स्थित चीनी मिलों और शराब फैक्ट्रियों में लगाने का निर्णय लिया है.
नहीं जाएगा मिलों का प्रदूषित जल
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के डायरेक्टर प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने ईटीवी भारत को बताया कि चीनी मिलों और शराब की फैक्ट्रियों में उत्पादन के दौरान काफी मात्रा में प्रदूषित जल गंगा में जाता था. अब राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने इस जल को शोधित करने के लिए मॉडल वाटर मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया है. इस मॉडल में जल को शोधित करके दोबारा से चीनी उत्पादन और खेती की सिंचाई के काम में व्यवस्थित किया जा सकेगा. इस मॉडल को 52 मिलों में स्थापित किया जा रहा है. इसकी पूरी निगरानी संस्थान के द्वारा की जाएगी.