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नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने इजाद की नई तकनीकि, बढ़ेगा चीनी का प्रोडक्शन - कानपुर लेटेस्ट न्यूज

कानपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के विशेषज्ञों ने एक नई तकनीक को इजाद किया है. इससे चीनी बनाने के लिए गन्ने के रस के शुद्धिकरण में लगने वाले समय में कमी आएगी. शुद्धिकरण के समय में कमी आने से चीनी की उत्पादकता भी बढ़ जाएगी.

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नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट
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Published : Feb 24, 2022, 1:00 PM IST

कानपुर: राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के विशेषज्ञों ने एक नई तकनीक को इजाद किया है. इस तकनीकि से चीनी बनाने के लिए गन्ने के रस के शुद्धिकरण में लगने वाले समय में कमी आएगी. पहले इस प्रक्रिया में करीब 3 घंटे का समय लगता था, लेकिन नई तकनीकि के जरिए अब करीब 30 से 45 मिनट के भीतर ही शुद्धिकरण किया जा सकेगा. शुद्धिकरण के समय में कमी आने से चीनी की उत्पादकता भी बढ़ जाएगी.


बता दें कि राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट) के विशेषज्ञों ने इस तकनीक को इजाद किया है. संस्था के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि संस्थान में एक फ्लोटेशन क्लैरिफायर तकनीक को विकसित किया गया है. इसमें शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया और केमिकल सिस्टम टेक्नोलॉजीज नई दिल्ली के विशेषज्ञों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने बताया कि इस तकनीक के क्रियान्वयन से अब गन्ने के रस की अशुद्धियों को तेजी के साथ साफ किया जा सकेगा.

यह भी पढ़ें- केजीएमयू और पाथ के बीच एमओयू साइन, अब संयुक्त रूप से होंगे शोध कार्य

प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि अभी तक पारंपरिक सेटलर में अधिक घनत्व होने के चलते अशुद्धियां समय के साथ नीचे बैठ जाती थीं. उन्हें साफ करने में ढाई से तीन घंटे का समय लग जाता था. इसके बाद रस ठंडा होता था और चीनी तैयार की जाती थी. हालांकि उसमें चीनी बहुत कम मात्रा में तैयार हो पाती थी. फ्लोटेशन तकनीक की मदद से अब कम समय लगेगा और अधिक से अधिक चीनी तैयार की जा सकेगी. इस तकनीक से सभी चीनी मिलों को फायदा होगा.

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कानपुर: राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के विशेषज्ञों ने एक नई तकनीक को इजाद किया है. इस तकनीकि से चीनी बनाने के लिए गन्ने के रस के शुद्धिकरण में लगने वाले समय में कमी आएगी. पहले इस प्रक्रिया में करीब 3 घंटे का समय लगता था, लेकिन नई तकनीकि के जरिए अब करीब 30 से 45 मिनट के भीतर ही शुद्धिकरण किया जा सकेगा. शुद्धिकरण के समय में कमी आने से चीनी की उत्पादकता भी बढ़ जाएगी.


बता दें कि राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट) के विशेषज्ञों ने इस तकनीक को इजाद किया है. संस्था के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि संस्थान में एक फ्लोटेशन क्लैरिफायर तकनीक को विकसित किया गया है. इसमें शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया और केमिकल सिस्टम टेक्नोलॉजीज नई दिल्ली के विशेषज्ञों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने बताया कि इस तकनीक के क्रियान्वयन से अब गन्ने के रस की अशुद्धियों को तेजी के साथ साफ किया जा सकेगा.

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प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि अभी तक पारंपरिक सेटलर में अधिक घनत्व होने के चलते अशुद्धियां समय के साथ नीचे बैठ जाती थीं. उन्हें साफ करने में ढाई से तीन घंटे का समय लग जाता था. इसके बाद रस ठंडा होता था और चीनी तैयार की जाती थी. हालांकि उसमें चीनी बहुत कम मात्रा में तैयार हो पाती थी. फ्लोटेशन तकनीक की मदद से अब कम समय लगेगा और अधिक से अधिक चीनी तैयार की जा सकेगी. इस तकनीक से सभी चीनी मिलों को फायदा होगा.

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