कानपुर: जिले के संजीत यादव अपहरण हत्याकांड के 38 दिनों बाद सांसद सत्यदेव पचौरी संजीत के परिवार से मिलने पहुंचे. इस दौरान संजीत की मां ही सत्यदेव पचौरी से मिलीं, जबकि बहन और पिता से उनकी मुलाकात नहीं हुई. 22 जून को संजीत यादव का अपरहण हुआ था, जिसके 1 महीने बाद जाकर उसकी हत्या का खुलासा हुआ था.
सीएम के निर्देश पर मिलने पहुंचे सांसद
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कानपुर सांसद सत्यदेव पचौरी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. 38 दिनों के बाद सांसद पीड़ित परिवार से मिलने गए. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सीएम निर्देश न देते तो सांसद अपने संसदीय क्षेत्र की बड़ी घटनाओं में भी पीड़ितों से नहीं मिलने जाएंगे. मुआवजे की रकम को लेकर सांसद ने कहा कि जल्द ही संजीत के परिवार को प्रदेश सरकार मुआवजा देगी. इस दौरान प्रदेश में बढ़ रहे अपराध के सवाल पर वे बचते हुए नजर आए.
ये है पूरा मामला
संजीत 22 जून की रात नौबस्ता स्थित हॉस्पिटल से बर्रा पटेल चौक के पास स्थित पैथोलॉजी में सैंपल देने निकला था. सैंपल देकर उसे घर जाना था, लेकिन रास्ते से ही वह लापता हो गया. पीड़ित परिवार ने न्याय की गुहार के लिए कई दिनों तक थानों के चक्कर लगाए, लेकिन एफआईआर नहीं लिखी गई. पीड़ित परिवार ने चौराहों पर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया, तब जाकर एफआईआर लिखी गई. एफआईआर लिखने के बाद जांच कछुए की चाल की तरह धीरे-धीरे चलती रही.
न्याय मिलने में देरी होती देख पीड़ित परिवार एसएसपी ऑफिस पहुंचा, जहां परिवार को न्याय का आश्वासन तो मिला, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. संजीत की गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस ने कॉल डिटेल निकलवाई तो पता चला कि संजीत की बात राहुल नामक एक युवक और एक युवती सहित कई अन्य लोगों से हुई थी. पिता चमनलाल ने राहुल के खिलाफ बेटे के अपहरण का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी.
13 जुलाई को पिता ने पुलिस के कहने पर फिरौती के 30 लाख रुपये से भरा बैग भी अपहरणकर्ताओं के कहने पर गुजैनी पुल से नीचे फेंक दिया था. इसके बावजूद अपहृत बेटे का कुछ पता नहीं चला. इसके बाद पुलिस ने संजीत की हत्या की पुष्टि कर दी. वहीं पीड़ित परिवार ने घटना को लेकर सीबीआई जांच की मांग की है.