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Kanpur Zoo के 50 साल के इतिहास में पहली बार मॉर्निग वॉकर्स पर लगी रोक, ये है वजह

कानपुर जू के 50 साल के इतिहास में पहली बार मॉर्निग वॉकर्स पर रोक लगी है. आखिर इसके पीछे क्या वजह है चलिए जानते हैं.

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Published : Jan 30, 2023, 6:26 PM IST

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50 सालों के इतिहास में पहली बार ज़ू आने वाले मॉर्निग वॉकर्स पर रोक

कानपुर: शहर में जो चिड़ियाघर है, वह पिछले कई दिनों से लगातार सुर्खियों में बना है. 50 सालों के इतिहास में दो दिनों पहले ही ऐसा हुआ जब जू के अंदर से लाखों रुपये का कैशबॉक्स गायब हुआ. जब तक प्रशासनिक अफसर इस मामले को संभालते, तब तक केंद्रीय जू प्राधिकरण ने पत्र जारी कर जू में मार्निंग वाकर्स के प्रवेश को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया. इसके पीछे यह वजह बताई गई, कि जू में साफ-सफाई व सुरक्षा के नजरिए से यह फैसला सेंट्रल जू अथारिटी ने किया है.

हालांकि, अब प्रशासनिक अफसर बहुत अधिक परेशान हैं. मार्निंग वाकर्स का कहना है वह जू की हरियाली और सुंदरता और सुबह के समय स्वच्छ हवा में खुली सांस लेने के लिए सालों से आ रहे हैं. इनकी संख्या भी अच्छी खासी है, यही वजह है कि जू के अफसरों को मार्निंग वाकर्स से ही सालाना एक लाख रुपये से अधिक का राजस्व मिलता है. हालांकि, अब निदेशक ने आदेश जारी कर दिए हैं, कि कोई नया पास जारी नहीं किया जाएगा.

सालाना पास के एक हजार और छमाही के लगते 500 रुपये: जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि मार्निंग वाकर्स के लिए सालाना पास जहां एक हजार रुपये का बनता रहा है, वहीं छह माह के लिए यह राशि महज 500 रुपये थी लेकिन, अब किसी भी मार्निंग वाकर्स को हम प्रवेश नहीं देंगे. जो फैसला सीजेडए ने लिया है, वह देशभर के सभी प्राणिउद्यान में लागू किया गया है. दिल्ली से लेकर लखनऊ तक में कई माह पहले ही यह कदम उठा लिया गया था. अब, कानपुर में फैसला सभी को मानना होगा. हालांकि, स्वरूप नगर निवासी दीपाली शहलोत ने कहा कि वह सालों से जू में सुबह मार्निंग वाक के लिए जाती रही हैं. वहां की हरियाली उन्हें भाती है मगर, अब उक्त निर्णय से वह बेहद खफा हैं. इस मामले को लेकर मार्निंग वाकर्स जल्द ही डीएम से भी मिलेंगे.

ये भी पढ़ेंः Gorakhnath Temple Attack : अहमद मुर्तजा अब्बासी को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

कानपुर: शहर में जो चिड़ियाघर है, वह पिछले कई दिनों से लगातार सुर्खियों में बना है. 50 सालों के इतिहास में दो दिनों पहले ही ऐसा हुआ जब जू के अंदर से लाखों रुपये का कैशबॉक्स गायब हुआ. जब तक प्रशासनिक अफसर इस मामले को संभालते, तब तक केंद्रीय जू प्राधिकरण ने पत्र जारी कर जू में मार्निंग वाकर्स के प्रवेश को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया. इसके पीछे यह वजह बताई गई, कि जू में साफ-सफाई व सुरक्षा के नजरिए से यह फैसला सेंट्रल जू अथारिटी ने किया है.

हालांकि, अब प्रशासनिक अफसर बहुत अधिक परेशान हैं. मार्निंग वाकर्स का कहना है वह जू की हरियाली और सुंदरता और सुबह के समय स्वच्छ हवा में खुली सांस लेने के लिए सालों से आ रहे हैं. इनकी संख्या भी अच्छी खासी है, यही वजह है कि जू के अफसरों को मार्निंग वाकर्स से ही सालाना एक लाख रुपये से अधिक का राजस्व मिलता है. हालांकि, अब निदेशक ने आदेश जारी कर दिए हैं, कि कोई नया पास जारी नहीं किया जाएगा.

सालाना पास के एक हजार और छमाही के लगते 500 रुपये: जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि मार्निंग वाकर्स के लिए सालाना पास जहां एक हजार रुपये का बनता रहा है, वहीं छह माह के लिए यह राशि महज 500 रुपये थी लेकिन, अब किसी भी मार्निंग वाकर्स को हम प्रवेश नहीं देंगे. जो फैसला सीजेडए ने लिया है, वह देशभर के सभी प्राणिउद्यान में लागू किया गया है. दिल्ली से लेकर लखनऊ तक में कई माह पहले ही यह कदम उठा लिया गया था. अब, कानपुर में फैसला सभी को मानना होगा. हालांकि, स्वरूप नगर निवासी दीपाली शहलोत ने कहा कि वह सालों से जू में सुबह मार्निंग वाक के लिए जाती रही हैं. वहां की हरियाली उन्हें भाती है मगर, अब उक्त निर्णय से वह बेहद खफा हैं. इस मामले को लेकर मार्निंग वाकर्स जल्द ही डीएम से भी मिलेंगे.

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