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Sharadiya Navratri 2023: इस मंदिर में मां की मूर्ति से टपकता है पानी, जिसे पीने से आंख और पेट रोग हो जाते हैं ठीक - festival of navratri

शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2023) पर पूरे देश में मां दुर्गा की आराधना की जा रही है. इसी कड़ी में कानपुर में मां दुर्गा के एक रूप का मंदिर है, जिसकी मान्यता दूर-दूर तक फैली है. इस स्पेश रिपोर्ट में पढ़िए मंदिर की विशेषता और आस्था.

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मां की मूर्ति से रिसता है जल
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 18, 2023, 8:52 PM IST

मां की मूर्ति से रिसता है जल, मंदिर के महंत विजय मिश्रा ने दी जानकारी

कानपुर: पूरे देश में नवरात्र का पर्व (Festival of Navratri) पूरे उल्लास और उमंग के साथ मनाया जा रहा है. हर घरों में मां की आराधना की जा रही है. वहीं, बड़े-बड़े पंडालों में मां की मूर्ति स्थापित कर प्रतिदिन भक्त पूजा अर्चना कर रहे हैं. बड़ी संख्या में प्रतिदिन श्रद्धालु मंदिरों में फूल, प्रसाद, नारियल लेकर पहुंचकर पूजा अर्चना कर रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको ऐसे मां दुर्गा के एक मंदिर के बताने जा रहे हैं, जहां का पानी पीने से ही कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, ऐसा दावा किया है.

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जल का आचमन करने से समस्याएं होती है दूर

दो मुखारबिंदु वाली है माता की मूर्तिः कानपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित घाटमपुर में एक कुष्मांडा देवी का मंदिर है, जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है. मंदिर के महंत विजय मिश्रा का दावा है कि मां की मूर्ति से यहां जल का रिसाव होता है. कहा जाता है कि ऐसे मरीज जो सालों से नेत्र और पेट रोग से पीड़ित हैं वह अगर इस जल का आचमन (ग्रहण) कर लेते हैं तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. मंदिर के महंत का यह भी दावा है कि यहां जो माता की मूर्ति है, वह दो मुखारबिंदु वाली है. इस तरह का स्वरूप और ऐसा मंदिर पूरी दुनिया में नहीं है. यही वजह है कि नवरात्र में देश और दुनिया के हजारों भक्त मां के सामने माथा टेकने आते हैं. शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी की पूजा सर्वत्र होती है, इस मंदिर में लाखों की संख्या में भक्त अपनी अर्जी लेकर पहुंचते हैं.

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बंजारों का गढ़ पर प्रकट हुई थी मां की मूर्ति: मंदिर के महंत विजय मिश्रा ने बताया कि एक समय ऐसा था जब मंदिर के स्थान पर बंजारों का गढ़ हुआ करता था. उसके बाद मां की मूर्ति प्रकट हुई और फिर मंदिर की स्थापना हो गई. लेकिन, बंजारों को सालों पुराने मंदिर से ऐसा लगाव है कि वह कार्तिक पूर्णिमा पर हमेशा आते हैं और सबसे पहले मां की पूजा करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर में बहुत बड़े स्तर पर मेले का आयोजन भी होता है. जिसमें कानपुर और आसपास के अन्य शहरों से भक्त आकर यहां शामिल होते हैं.

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मां की मूर्ति से रिसता है जल, मंदिर के महंत विजय मिश्रा ने दी जानकारी

कानपुर: पूरे देश में नवरात्र का पर्व (Festival of Navratri) पूरे उल्लास और उमंग के साथ मनाया जा रहा है. हर घरों में मां की आराधना की जा रही है. वहीं, बड़े-बड़े पंडालों में मां की मूर्ति स्थापित कर प्रतिदिन भक्त पूजा अर्चना कर रहे हैं. बड़ी संख्या में प्रतिदिन श्रद्धालु मंदिरों में फूल, प्रसाद, नारियल लेकर पहुंचकर पूजा अर्चना कर रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको ऐसे मां दुर्गा के एक मंदिर के बताने जा रहे हैं, जहां का पानी पीने से ही कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, ऐसा दावा किया है.

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जल का आचमन करने से समस्याएं होती है दूर

दो मुखारबिंदु वाली है माता की मूर्तिः कानपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित घाटमपुर में एक कुष्मांडा देवी का मंदिर है, जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है. मंदिर के महंत विजय मिश्रा का दावा है कि मां की मूर्ति से यहां जल का रिसाव होता है. कहा जाता है कि ऐसे मरीज जो सालों से नेत्र और पेट रोग से पीड़ित हैं वह अगर इस जल का आचमन (ग्रहण) कर लेते हैं तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. मंदिर के महंत का यह भी दावा है कि यहां जो माता की मूर्ति है, वह दो मुखारबिंदु वाली है. इस तरह का स्वरूप और ऐसा मंदिर पूरी दुनिया में नहीं है. यही वजह है कि नवरात्र में देश और दुनिया के हजारों भक्त मां के सामने माथा टेकने आते हैं. शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी की पूजा सर्वत्र होती है, इस मंदिर में लाखों की संख्या में भक्त अपनी अर्जी लेकर पहुंचते हैं.

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बंजारों का गढ़ पर प्रकट हुई थी मां की मूर्ति: मंदिर के महंत विजय मिश्रा ने बताया कि एक समय ऐसा था जब मंदिर के स्थान पर बंजारों का गढ़ हुआ करता था. उसके बाद मां की मूर्ति प्रकट हुई और फिर मंदिर की स्थापना हो गई. लेकिन, बंजारों को सालों पुराने मंदिर से ऐसा लगाव है कि वह कार्तिक पूर्णिमा पर हमेशा आते हैं और सबसे पहले मां की पूजा करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर में बहुत बड़े स्तर पर मेले का आयोजन भी होता है. जिसमें कानपुर और आसपास के अन्य शहरों से भक्त आकर यहां शामिल होते हैं.

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