कानपुर: शहर के रायपुरवा स्थित साड़ी कारोबारी मनीष कानोडिया के बेटे कुशाग्र कानोडिया की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी. हत्या से पहले मृतक कुशाग्र के घर पर जो गार्ड तैनात था, उसने शिवा को घर पर सोमवार देर रात पत्थर फेंकते देखा था. वहीं, गार्ड ने ही पहचाना था कि जिस स्कूटी से शिवा पहुंचा था, उसी स्कूटी से अक्सर रचिता उस रायपुरवा स्थित अपार्टमेंट में पहुंचती थी जहां मृतक कुशाग्र का घर है.
इस पूरे मामले को लेकर गार्ड राजेश कुमार ने बताया कि देर शाम अचानक एक युवक आया. उसने मुंह पर रूमाल बांधा हुआ था और हेलमेट पहने हुआ था. कहां जाना है, यह टोकने पर जवाब दिया, मनीष भैया ने भेजा है. एक कागज उनके घर पर देना है, क्या आप दे देंगे? गार्ड राजेश ने कहा कि हम नहीं देंगे, आप खुद दे आइए और ये रूमाल और हेलमेट हटा दीजिए. गार्ड से कुछ दूर पहुंचकर शिवा ने रूमाल और हेलमेट हटा दिया. ऐसे में गार्ड की नजर स्कूटी पर पड़ी तो नंबर प्लेट के आगे वाले हिस्से पर कालिख पुती थी, जबकि पिछले हिस्से पर रूमाल बंधा था.
गार्ड राजेश ने रूमाल हटाया तो नंबर दिखा- यूपी 78 ईडी 2204. नंबर से ही गार्ड स्कूटी को पहचान गया और जैसे ही शिवा वहां से निकला तो गार्ड ने सबसे पहले सूचना साड़ी कारोबरी मनीष के मित्र को दी. फिर, वहीं से पुलिस सक्रिय हो गई और शिवा के साथ ही प्रभात तक पहुंच गई. जब प्रभात से सख्ती बरती गई तो प्रभात ने रचिता व शिवा संग कुशाग्र की हत्या की बात कबूल ली. वहीं, डीसीपी सेंट्रल प्रमोद कुमार ने बताया कि जांच में सामने आया कि स्कूटी मुख्य आरोपी प्रभात शुक्ला के नाम पर थी. प्रभात ने रचिता व शिवा संग मिलकर धोखे से कुशाग्र की हत्या कर दी. जो पत्र घर पर मिला था, उसमें प्रभात की हैंडराइटिंग भी मिली.
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