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Gallbladder Cancer: गंगा से सटे शहरों में बढ़ रहे गाल ब्लैडर कैंसर पर होगा अब शोध

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज गंगा से सटे शहरों में बढ़ रहे गाल ब्लैडर कैंसर (Gallbladder Cancer) पर शोध करेगा. इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड रिसर्च द्वारा हरी झंडी मिल गई है.

Gallbladder Cancer
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Published : Jan 21, 2023, 5:58 PM IST

गाल ब्लैडर कैंसर पर शोध किया जाएगा.

कानपुर: गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में पित्त की थैली में बढ़ रहे कैंसर रोग पर शोध किया जाएगा. गंगा के किनारे बसे शहरों में गाल ब्लैडर कैंसर के रोग के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में इनकी वजह जानने के लिए अब जीएसवीएम डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड रिसर्च को इसके लिए हरी झंडी भी मिल चुकी है. इसमें गंगा के तटीय क्षेत्रों और गंगा से दूर बसे शहरों के मरीजों को दो श्रेणियों में बांटकर अध्ययन किया जाएगा. प्राचार्य प्रो संजय काला ने बताया कि मरीज के रक्त में मौजूद हेवी मेटल्स जैसे लेड क्रोमियम कैङनियम की जांच कर मूल कारण की खोज की जाएगी.

प्राचार्य प्रो संजय काला ने बताया कि इस शोध के प्रथम चरण में गंगा किनारे स्थित शहर जैसे पटना और कानपुर के गाल ब्लैडर कैंसर मरीजों पर शोध किया जाएगा. दूसरे चरण में गंगा से दूर स्थित शहरों में रहने वाले मरीजों को शामिल किया जाएगा. इनके रक्त में हेवी मेटल्स के बाद डीएनए की जांच की जाएगी. शोध में प्राचार्य के साथ उनकी टीम में डॉक्टर चयनिका काला और डॉक्टर आनंद नारायण होंगे. प्राचार्य ने बताया कि गंगा से सटे शहरों में गाल ब्लैडर कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. पटना में सर्वाधिक मरीज सामने आए हैं. इसके बाद दूसरे स्थान पर कानपुर और आसपास के जिले हैं, जहां से सर्वाधिक मरीज सामने आए हैं. इस शोध की मदद से यह जानकारी जुटाने का मौका मिलेगा कि आखिर गंगा से सटे शहरों में रहने वाले लोगों में गाल ब्लैडर कैंसर बढ़ने का कारण क्या है. कहीं इसकी वजह खानपान तो नहीं. जिसका फैसला इस शोध के आधार पर लिया जाएगा.

प्राचार्य ने बताया कि जीएसवीएम में अनुवांशिक बीमारियों का इलाज खोजने की दिशा में भी काम किया जाएगा. पिछले दिनों मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) में आए प्रस्तावों पर जीएसवीएम ने रुचि दिखाई थी. प्राचार्य प्रोफेसर संजय काला ने बताया कि सभी विभागों में बातचीत चल रही है. एमआरयू में आए प्रस्तावों पर कई विभागों ने दिलचस्पी दिखाई थी, जिस पर शोध की शुरुआत की जाएगी. दिल में होने वाले बदलाव और कोलेस्ट्रॉल के साथ ही कैल्शियम जमने की समस्याओं के साथ स्त्री और प्रसूति रोग के निदान पर अध्ययन किया जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस प्रकार के शोध से जटिलता अनुवांशिक और हार्मोन से जुड़ी बीमारियों की वजह जानने के लिए आरएनए और डीएनए पर रिसर्च होंगे.

यह भी पढ़ें- Bikru Kand : आज जेल से रिहा होगी आरोपी खुशी दुबे, कई मामले में थी बंद

गाल ब्लैडर कैंसर पर शोध किया जाएगा.

कानपुर: गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में पित्त की थैली में बढ़ रहे कैंसर रोग पर शोध किया जाएगा. गंगा के किनारे बसे शहरों में गाल ब्लैडर कैंसर के रोग के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में इनकी वजह जानने के लिए अब जीएसवीएम डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड रिसर्च को इसके लिए हरी झंडी भी मिल चुकी है. इसमें गंगा के तटीय क्षेत्रों और गंगा से दूर बसे शहरों के मरीजों को दो श्रेणियों में बांटकर अध्ययन किया जाएगा. प्राचार्य प्रो संजय काला ने बताया कि मरीज के रक्त में मौजूद हेवी मेटल्स जैसे लेड क्रोमियम कैङनियम की जांच कर मूल कारण की खोज की जाएगी.

प्राचार्य प्रो संजय काला ने बताया कि इस शोध के प्रथम चरण में गंगा किनारे स्थित शहर जैसे पटना और कानपुर के गाल ब्लैडर कैंसर मरीजों पर शोध किया जाएगा. दूसरे चरण में गंगा से दूर स्थित शहरों में रहने वाले मरीजों को शामिल किया जाएगा. इनके रक्त में हेवी मेटल्स के बाद डीएनए की जांच की जाएगी. शोध में प्राचार्य के साथ उनकी टीम में डॉक्टर चयनिका काला और डॉक्टर आनंद नारायण होंगे. प्राचार्य ने बताया कि गंगा से सटे शहरों में गाल ब्लैडर कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. पटना में सर्वाधिक मरीज सामने आए हैं. इसके बाद दूसरे स्थान पर कानपुर और आसपास के जिले हैं, जहां से सर्वाधिक मरीज सामने आए हैं. इस शोध की मदद से यह जानकारी जुटाने का मौका मिलेगा कि आखिर गंगा से सटे शहरों में रहने वाले लोगों में गाल ब्लैडर कैंसर बढ़ने का कारण क्या है. कहीं इसकी वजह खानपान तो नहीं. जिसका फैसला इस शोध के आधार पर लिया जाएगा.

प्राचार्य ने बताया कि जीएसवीएम में अनुवांशिक बीमारियों का इलाज खोजने की दिशा में भी काम किया जाएगा. पिछले दिनों मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) में आए प्रस्तावों पर जीएसवीएम ने रुचि दिखाई थी. प्राचार्य प्रोफेसर संजय काला ने बताया कि सभी विभागों में बातचीत चल रही है. एमआरयू में आए प्रस्तावों पर कई विभागों ने दिलचस्पी दिखाई थी, जिस पर शोध की शुरुआत की जाएगी. दिल में होने वाले बदलाव और कोलेस्ट्रॉल के साथ ही कैल्शियम जमने की समस्याओं के साथ स्त्री और प्रसूति रोग के निदान पर अध्ययन किया जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस प्रकार के शोध से जटिलता अनुवांशिक और हार्मोन से जुड़ी बीमारियों की वजह जानने के लिए आरएनए और डीएनए पर रिसर्च होंगे.

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