कानपुर: हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर दबिश देने गए पुलिस टीम पर विकास दुबे और उसके साथियों ने जमकर फायरिंग की थी. इस हमले में डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए, जिसके बाद पूरे प्रदेश भर में हड़कंप मच गया. घटना के बाद प्रदेश के सभी आलाधिकारी मौके पर पहुंचे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कानपुर पहुंचे. उन्होंने शहीदों की शहादत को सलामी दी और उनके परिवार वालो के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की.
हत्याकांड पर उठ रहे सवाल
सवाल उठता है कि इतना बड़ा हत्याकांड कैसे हो गया ? आखिर क्या वजह रही कि पुलिसकर्मियों पर विकास दुबे और उसके शूटर भारी पड़ गए ? इस हत्याकांड की सबसे मुख्य वजह सामने आती है कि अपराधी विकास दुबे और उसको साथी पूरी तरीके से तैयार थे और उन्हें अपने साथियों साथियों को बुलाने का मौका मिल गया. उन्होंने एक नहीं बल्कि आसपास के तीन चार मकानों की छतों से चढ़कर घेराबंदी की थी. जैसे ही पुलिस पार्टी वहां पहुंची, उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग करना शुरू कर दिया, जिससे पुलिस के पास संभलने तक का वक्त नहीं मिला. खास बात यह थी कि एक लाख का इनामी विकास दुबे और उसके गुर्गे ने पेशेवर शूटरों की तरीके से ऊंचाई का भरपूर लाभ उठाते हुए पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया.
पुलिस विभाग से मिली थी सूचना
दूसरी मुख्य वजह यह भी रही कि विकास दुबे को पुलिस विभाग से ही किसी ने सूचना दी थी, जिससे वह सतर्क हो गया था. उसने अपने गुर्गों को पूरी तरीके से हमला करने के लिए तैयार कर दिया था. सभी पूरी तरीके से सतर्क थे और छतों पर छिपे हुए थे. जैसे ही पुलिस टीम दबिश देने के लिए पहुंची, उन्होंने फौरन छतों के ऊपर से हमला कर दिया. पुलिस छत के नीचे थी, इसलिए ऊपर से चल रही गोलियों का सामना नहीं कर पाई, जबकि पुलिस की गोलियों से अपराधी बच गए.
अपराधियों को मिला ऊंचाई का फायदा
कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने भी इस बात को माना है कि अपराधियों को ऊंचाई का फायदा मिला. यही पुलिस के लिए ड्रॉबैक रहा कि पुलिस नीचे थी और अपराधियों पर जिस वजह से हमारे 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए. वहीं विकास दुबे को पुलिस के आने की सूचना भी पहले ही मिल गई थी, जिससे वह सतर्क था. उसने अपने गुर्गे को पूरी तरीके से तैनात कर रखा था.
ये भी पढ़ें- कानपुर मुठभेड़: विकास दुबे के नौकर का बड़ा खुलासा, दबिश के पहले थाने से आया था फोन