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Hindi Diwas: कवि अशोक चक्रधर का दावा, संविधान बनाते समय ही हुई थी हिंदी की जड़ में गड़बड़ी - कानपुर में कवि अशोक चक्रधर

हिंदी दिवस पर पद्मश्री और प्रख्यात कवि अशोक चक्रधर सीएसजेएमयू पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदी की गड़बड़ी संविधान में ही हुई थी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 14, 2023, 10:07 PM IST

पद्मश्री और प्रख्यात कवि अशोक चक्रधर मीडिया को जानकारी देते हुए

कानपुर: देश का संविधान 26 जनवरी को जब बना था, उस समय संविधान तैयार करने वालों के हस्ताक्षर होने थे. नियमत: पहला हस्ताक्षर राष्ट्रपति का होना था, लेकिन पं.जवाहर लाल नेहरु ने बिना गैप दिए ही अंग्रेजी में पहला हस्ताक्षर कर दिया. उनके बाद 13 अन्य विशिष्टजनों ने जो हस्ताक्षर किए वह भी अंग्रेजी में किए. अगर, उस समय हिंदी में सभी ने हस्ताक्षर किए होते तो शायद मौजूदा दौर में अंग्रेजी से अधिक हिंदी का चलन होता. ये भी कह सकते हैं कि अंग्रेजी भाषा से अधिक हिंदी की जड़ें गहरी होती हैं. मगर, मेरा दावा है संविधान बनने के दौर से ही हिंदी की जड़ में गड़बड़ी हुई और वह जड़ें बहुत गहरी हैं. पर जो कहते हैं, हिंदी जाएगी, उन्हें मैं बताना चाहूंगा कि आने वाले समय में देश-देशांतर में हिंदी का विकास होगा. छत्रपति शाहू जी महाराज विवि में हिंदी दिवस पर आयोजित कवि सम्मेलन में शामिल होने आए मुख्य अतिथि पद्मश्री और प्रख्यात कवि अशोक चक्रधर ने ये बातें कहीं.

छत्रपति शाहू जी महाराज विवि में हिंदी दिवस कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ.
छत्रपति शाहू जी महाराज विवि में हिंदी दिवस कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ.

संविधान पर 230 लोगों ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए थेः अशोक चक्रधर ने कहा कि उस संविधान की मूल प्रति की प्रतिलिपि आज भी उनके पास है. जबकि कुल 100 से 125 प्रतिलिपियां तैयार हुई थीं. उन्होंने कहा कि जिन 14 विशिष्टजनों ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर कर दिए थे, उनकी मंशा ही नहीं थी कि वह हिंदी में अपना नाम लिखें. इसी मामले पर उन्होंने महात्मा गांधी को लेकर कहा, कि वह अड़े थे कि हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो. महात्मा गांधी कहते थे कि बिना राष्ट्रभाषा के देश गूंगा है. संविधान में कुल 273 हस्ताक्षर हुए थे, उनमें से 230 लोगों ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए थे और 40 से अधिक लोगों ने हिंदी में, जिसमें पुरुषोत्तम दास टंडन का नाम अग्रणी रहा.

हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थी.
हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थी.

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हिंदी जन-जन की भाषा है, इसे सभी अपनाएं: पद्मश्री अशोक चक्रधर ने कहा कि हिंदी जन-जन की भाषा है. इसे सभी को अपनाना चाहिए. अंग्रेजी भाषा में तो केवल 10 लाख शब्द ही हैं. हां, उस भाषा का चलन अधिक है, इसलिए लोग अंग्रेजी से जल्द प्रभावित हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि प्रयागराज हाईकोर्ट के तमाम निर्णय हिंदी में सामने आने लगे हैं. इससे हिंदी का दिनोंदिन विस्तार होगा. पीएम मोदी ने कुछ दिनों पहले जिस तरह जी-20 सम्मेलन के दौरान अपना संबोधन हिंदी में प्रस्तुत किया, वह अद्भुत और सराहनीय रहा. इस दौरान विवि में आयोजित कवि सम्मेलन कार्यक्रम में कवियों ने अपनी कविताओं की प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. यहां प्रमुख सचिव समाज कल्याण डॉ.हरिओम, विशेष सचिव उच्च शिक्षा डॉ.अखिलेश मिश्र, प्रतिकुलपति प्रो.सुधीर अवस्थी, कुलसचिव डॉ.अनिल यादव, डॉ.सुरेश अवस्थी समेत अन्य विशिष्टजन मौजूद रहे.

यह भी पढ़े-स्टालिन को लेकर डॉ. संजय निषाद बोले, अंग्रेज चले गए लेकिन अपने लोग छोड़ गए

पद्मश्री और प्रख्यात कवि अशोक चक्रधर मीडिया को जानकारी देते हुए

कानपुर: देश का संविधान 26 जनवरी को जब बना था, उस समय संविधान तैयार करने वालों के हस्ताक्षर होने थे. नियमत: पहला हस्ताक्षर राष्ट्रपति का होना था, लेकिन पं.जवाहर लाल नेहरु ने बिना गैप दिए ही अंग्रेजी में पहला हस्ताक्षर कर दिया. उनके बाद 13 अन्य विशिष्टजनों ने जो हस्ताक्षर किए वह भी अंग्रेजी में किए. अगर, उस समय हिंदी में सभी ने हस्ताक्षर किए होते तो शायद मौजूदा दौर में अंग्रेजी से अधिक हिंदी का चलन होता. ये भी कह सकते हैं कि अंग्रेजी भाषा से अधिक हिंदी की जड़ें गहरी होती हैं. मगर, मेरा दावा है संविधान बनने के दौर से ही हिंदी की जड़ में गड़बड़ी हुई और वह जड़ें बहुत गहरी हैं. पर जो कहते हैं, हिंदी जाएगी, उन्हें मैं बताना चाहूंगा कि आने वाले समय में देश-देशांतर में हिंदी का विकास होगा. छत्रपति शाहू जी महाराज विवि में हिंदी दिवस पर आयोजित कवि सम्मेलन में शामिल होने आए मुख्य अतिथि पद्मश्री और प्रख्यात कवि अशोक चक्रधर ने ये बातें कहीं.

छत्रपति शाहू जी महाराज विवि में हिंदी दिवस कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ.
छत्रपति शाहू जी महाराज विवि में हिंदी दिवस कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ.

संविधान पर 230 लोगों ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए थेः अशोक चक्रधर ने कहा कि उस संविधान की मूल प्रति की प्रतिलिपि आज भी उनके पास है. जबकि कुल 100 से 125 प्रतिलिपियां तैयार हुई थीं. उन्होंने कहा कि जिन 14 विशिष्टजनों ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर कर दिए थे, उनकी मंशा ही नहीं थी कि वह हिंदी में अपना नाम लिखें. इसी मामले पर उन्होंने महात्मा गांधी को लेकर कहा, कि वह अड़े थे कि हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो. महात्मा गांधी कहते थे कि बिना राष्ट्रभाषा के देश गूंगा है. संविधान में कुल 273 हस्ताक्षर हुए थे, उनमें से 230 लोगों ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए थे और 40 से अधिक लोगों ने हिंदी में, जिसमें पुरुषोत्तम दास टंडन का नाम अग्रणी रहा.

हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थी.
हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थी.

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हिंदी जन-जन की भाषा है, इसे सभी अपनाएं: पद्मश्री अशोक चक्रधर ने कहा कि हिंदी जन-जन की भाषा है. इसे सभी को अपनाना चाहिए. अंग्रेजी भाषा में तो केवल 10 लाख शब्द ही हैं. हां, उस भाषा का चलन अधिक है, इसलिए लोग अंग्रेजी से जल्द प्रभावित हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि प्रयागराज हाईकोर्ट के तमाम निर्णय हिंदी में सामने आने लगे हैं. इससे हिंदी का दिनोंदिन विस्तार होगा. पीएम मोदी ने कुछ दिनों पहले जिस तरह जी-20 सम्मेलन के दौरान अपना संबोधन हिंदी में प्रस्तुत किया, वह अद्भुत और सराहनीय रहा. इस दौरान विवि में आयोजित कवि सम्मेलन कार्यक्रम में कवियों ने अपनी कविताओं की प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. यहां प्रमुख सचिव समाज कल्याण डॉ.हरिओम, विशेष सचिव उच्च शिक्षा डॉ.अखिलेश मिश्र, प्रतिकुलपति प्रो.सुधीर अवस्थी, कुलसचिव डॉ.अनिल यादव, डॉ.सुरेश अवस्थी समेत अन्य विशिष्टजन मौजूद रहे.

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