ETV Bharat / state

IIT Kanpur: फरवरी में पीक पर होगी कोरोना की तीसरी लहर, अप्रैल में तेजी से घटेंगे केस...पढ़िए पूरी खबर - तीसरी लहर कब आ रही है

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने अपनी एक रिसर्च के जरिए दावा किया है कि कोरोना की तीसरी लहर का पीक फरवरी में आएगा. जितनी तेजी से केस बढ़ेंगे उतनी ही तेजी से केस घटेंगे भी. अप्रैल में यह लहर समाप्ति की ओर होगी.

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल
author img

By

Published : Jan 6, 2022, 7:11 PM IST

कानपुरः आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने अपनी एक रिसर्च के जरिए दावा किया है कि कोरोना की तीसरी लहर फरवरी में पीक पर होगी. जितनी तेजी से केस बढ़ेंगे उतनी ही तेजी से केस घटेंगे भी. अप्रैल में यह लहर समाप्ति की ओर होगी. उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस बार कि लहर पिछली लहर से कम घातक होगी. लोगों को अस्पताल कम जाना पड़ेगा. इसके पीछे उन्होंने ओमीक्रोन संकट से उबर रहे साउथ अफ्रीका के अध्ययन का हवाला दिया.

उन्होंने कहा कि फरवरी में जब कोरोना की तीसरी लहर पीक पर होगी तब देश में रोज करीब एक से डेढ़ लाख मामले सामने आ सकते हैं. तीसरी लहर दूसरी की अपेक्षा हल्की होगी.

उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में जिस तरीके से मामले सामने आ रहे हैं उन मामलों पर हम करीब से नजर रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों की वृद्धि दर नहीं दिखी. उन्होंने कहा कि साउथ अफ्रीका और भारत के लोगों की इम्युनिटी यूरोप के लोगों की तुलना में काफी अच्छी है. इस वजह से साउथ अफ्रीका की तरह देश में भी तेजी से ओमीक्रोन के मामले घटेंगे.

जानकारी देते आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल.

उन्होंने कहा कि हल्की पाबंदी, लॉकडाउन, रात का कर्फ्यू, भीड़ पर प्रतिबंध साथ ही संक्रमण के प्रसार में कमी ला सकता है. उन्होंने कहा कि पिछली लहर में पांच राज्यों में हुई चुनावी रैलियों के अध्ययन में पता चला था कि इससे संक्रमण की रफ्तार बहुत तेज नहीं हुई थी. मौजूदा समय में चुनाव आयोग को इस संबंध में फैसला लेना है.

उन्होंने लोगों से अपील की है कि भीड़भाड़ वाली जगह में न जाएं. मास्क लगाकर सामाजिक दूरी का पालन ही इससे सबसे बड़ा बचाव है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

साउथ अफ्रीका में ‘T-प्लान’ बना जीवन रक्षक

दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में पता चला है कि साउथ अफ्रीका ने ‘T-प्लान’ से ओमिक्रॉन को हराया. इसके तहत बोन मैरो में छिपी खास कोशिकाओं ‘T-सेल्स’ से साउथ अफ्रीका में ओमिक्रॉन हारा. हमारे शरीर में दो तरह की व्हाइट ब्लड सेल, B सेल्स और T सेल्स होती हैं. अगर वायरस से एंटीबॉडी हार भी जाए तो भी B सेल्स बीमारी की पहचान करती हैं और T सेल्स वायरस से लड़ने का काम करती हैं. केपटाउन यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक 70 से 80 फीसदी मरीजों में मौजूद T सेल्स ने वायरस के खिलाफ अच्छा रिस्पॉन्स किया. इसी को ओमीक्रोन के खिलाफ कारगर हथियार बताया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः लखीमपुर खीरी हिंसा : एसआईटी ने 12 किसानों को समन जारी किया

कानपुरः आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने अपनी एक रिसर्च के जरिए दावा किया है कि कोरोना की तीसरी लहर फरवरी में पीक पर होगी. जितनी तेजी से केस बढ़ेंगे उतनी ही तेजी से केस घटेंगे भी. अप्रैल में यह लहर समाप्ति की ओर होगी. उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस बार कि लहर पिछली लहर से कम घातक होगी. लोगों को अस्पताल कम जाना पड़ेगा. इसके पीछे उन्होंने ओमीक्रोन संकट से उबर रहे साउथ अफ्रीका के अध्ययन का हवाला दिया.

उन्होंने कहा कि फरवरी में जब कोरोना की तीसरी लहर पीक पर होगी तब देश में रोज करीब एक से डेढ़ लाख मामले सामने आ सकते हैं. तीसरी लहर दूसरी की अपेक्षा हल्की होगी.

उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में जिस तरीके से मामले सामने आ रहे हैं उन मामलों पर हम करीब से नजर रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों की वृद्धि दर नहीं दिखी. उन्होंने कहा कि साउथ अफ्रीका और भारत के लोगों की इम्युनिटी यूरोप के लोगों की तुलना में काफी अच्छी है. इस वजह से साउथ अफ्रीका की तरह देश में भी तेजी से ओमीक्रोन के मामले घटेंगे.

जानकारी देते आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल.

उन्होंने कहा कि हल्की पाबंदी, लॉकडाउन, रात का कर्फ्यू, भीड़ पर प्रतिबंध साथ ही संक्रमण के प्रसार में कमी ला सकता है. उन्होंने कहा कि पिछली लहर में पांच राज्यों में हुई चुनावी रैलियों के अध्ययन में पता चला था कि इससे संक्रमण की रफ्तार बहुत तेज नहीं हुई थी. मौजूदा समय में चुनाव आयोग को इस संबंध में फैसला लेना है.

उन्होंने लोगों से अपील की है कि भीड़भाड़ वाली जगह में न जाएं. मास्क लगाकर सामाजिक दूरी का पालन ही इससे सबसे बड़ा बचाव है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

साउथ अफ्रीका में ‘T-प्लान’ बना जीवन रक्षक

दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में पता चला है कि साउथ अफ्रीका ने ‘T-प्लान’ से ओमिक्रॉन को हराया. इसके तहत बोन मैरो में छिपी खास कोशिकाओं ‘T-सेल्स’ से साउथ अफ्रीका में ओमिक्रॉन हारा. हमारे शरीर में दो तरह की व्हाइट ब्लड सेल, B सेल्स और T सेल्स होती हैं. अगर वायरस से एंटीबॉडी हार भी जाए तो भी B सेल्स बीमारी की पहचान करती हैं और T सेल्स वायरस से लड़ने का काम करती हैं. केपटाउन यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक 70 से 80 फीसदी मरीजों में मौजूद T सेल्स ने वायरस के खिलाफ अच्छा रिस्पॉन्स किया. इसी को ओमीक्रोन के खिलाफ कारगर हथियार बताया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः लखीमपुर खीरी हिंसा : एसआईटी ने 12 किसानों को समन जारी किया

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.