कानपुर: शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में आईआईटी कानपुर को पांचवां स्थान मिला है. साल 2021 से लेकर अब तक आईआईटी कानपुर की पांचवीं रैंक बरकरार है. जबकि मैनेजमेंट के क्षेत्र में आईआईटी कानपुर की रैंकिंग तीन स्थान नीचे खिसक गई. 2022 में मैनेजमेंट को लेकर आईआईटी कानपुर की 20वीं रैंक थी, जबकि साल 2023 में यह रैंक 23वीं दर्ज हुई.
साल 2018 से अब तक के ओवरआल आंकड़ों को देखें तो आईआईटी कानपुर की रैंकिंग में लगातार सुधार हुआ है. आईआईटी कानपुुर के निदेशक प्रो.अभय करंदीकर का कहना है कि अब और अधिक सुधार करेंगे. दरअसल, आईआईटी कानपुर को संस्थान के नवाचारों के लिए जाना जाता है. पीएम मोदी से लेकर केंद्र व राज्य के कई मंत्री आईआईटी कानपुर के शोध कार्यों को सराह चुके हैं.
मुंबई से बहुत कम अंक से पीछे रह गई आईआईटी कानपुर: एनआईआरएफ की ओर से आईआईटी कानपुर की जो रैंकिंग जारी की गई, उसमें आईआईटी कानपुर को 80.65 अंक दिए गए. जबकि आईआईटी मुंबई को 80.74 अंक मिले. ऐसे में 0.9 अंक से ही आईआईटी कानपुर की रैंकिंग और बेहतर नहीं हो सकी. अगर, आईआईटी कानपुर को 80.74 अंक मिल जाते तो आईआईटी कानपुर की रैंकिंग तीसरी दर्ज होती.
आईआईटी कानपुर के ये शोध रहे हैं बेहद चर्चित: बता दें कि आईआईटी कानपुर में जहां इन दिनों आर्टीफिशियल हार्ट तैयार करने पर काम हो रहा है. वहीं, आईआईटी कानपुर के रिसर्च प्रोजेक्ट्स में शामिल आरसीसी बेस्ड फ्लोटिंग सोलर ग्रिड, भू-परीक्षक, शुद्धम वाटर प्यूरीफायर कम कूलर, स्वासा मास्क, शाकाहारी चिकन, प्लास्टिक से तैयार होने वाला प्लाईवुड, लिकोट्रानिक्स पेन समेत कई ऐसे शोध हुए हैं, जिन्होंने ख्याति प्राप्त की है. आईआईटी कानपुर की ओर से कोरोना महामारी में तैयार हुए आक्सीजन कंसंट्रेटर, वेंटीलेटर समेत अन्य उपकरणों की विदेशों में जबर्दस्त मांग रही है. आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार किए गए गणितीय सूत्र मॉडल से कोरोना की हर लहर का विश्लेषण कर लोगों को सुरक्षा संबंधी उपायों की जानकारी दी गई.
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