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फिर सामने आई जल निगम अफसरों की लापरवाही, गंगा में पहुंचा दो करोड़ लीटर दूषित पानी

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 28, 2023, 8:23 PM IST

कानपुर में जल निगम अफसरों की लापरवाही से गंगा में दो करोड़ लीटर दूषित पानी (Contaminated Water in Ganga) पहुंच गया. वहीं, डीएम ने कहा कि अगर इसके लिए जल निगम के अफसर जिम्मेदार होंगे को उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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कानपुर: भले ही पीएम मोदी और सीएम योगी के आला अफसर यह दावा करें कि कानपुर में गंगा पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त हो गई हैं. लेकिन, ऐसा हकीकत में बिल्कुल नहीं है. शहर में बुधवार देर शाम उस समय हद हो गई, जब खुद प्रमुख सचिव ट्रीटमेंट प्लांटों का निरीक्षण कर रहे थे और अचानक ही केस्को की ओर से प्लांट की लाइट काट दी गई. इस समस्या के चलते फौरन ही करोड़ों लीटर दूषित जल सीधे गंगा में पहुंच गया और अफसर एक दूसरे का मुंह ताकते रहे.

वहीं, हैरान करने वाली बात यह है कि गंगा में गंदगी पहुंच गई और जल निगम अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. जब जिला प्रशासन के आला अफसरों ने जल निगम अफसरों को फटकार लगाई तो सामने आया कि जल निगम पर केवल 275 करोड़ रुपये बिजली का ही बिल बकाया है. इसमें से बुधवार देर रात 50 लाख रुपये बिल जमा किया गया. लेकिन, गंगा में जो नालों व सीवरेज वाटर पहुंच गया उसके लिए किसी ने कोई जिम्मेदारी नहीं ली. शहर में अब लोगों का कहना है कि गंगा को दूषित करने में जल निगम अफसरों का हाथ है. अफसर चाहते ही नहीं कि गंगा साफ हों.

जल निगम अफसरों की टीम करा रही किरकिरी: ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब गंगा में दूषित नालों या सीवरेज वाटर पहुंचा हो. कुछ दिनों पहले जब सीएम योगी आए थे, तब भी जाजमऊ स्थित पंपिंग स्टेशन की मोटर अचानक खराब हुई थी और लाखों लीटर गंदा पानी गंगा में पहुंच गया था. ऐसे में जल निगम के अफसर आए दिन ही कोई न कोई बहाना बनाते हैं और अपनी गलतियों पर पर्दा ढक लेते हैं.

डीएम विशाख जी ने कहा कि जल निगम अफसरों की कार्यशैली को लेकर नोटिस भेजा जाएगा. गंगा को दूषित करने के लिए अगर अफसर जिम्मेदार हैं तो सख्त कार्रवाई होगी.

यह भी पढ़ें: यूपी के 34 IPS अफसरों का प्रमोशन: वैभव कृष्ण, कलानिधि नैथानी जैसे तेजतर्रार अधिकारी DIG बने, देखें- पूरी लिस्ट

यह भी पढ़ें: अयोध्या के 14 कोसी परिक्रमा क्षेत्र में शराबबंदी: दुकानों को हटाने के आदेश, 45KM के दायरे में नहीं बिकेगी शराब

कानपुर: भले ही पीएम मोदी और सीएम योगी के आला अफसर यह दावा करें कि कानपुर में गंगा पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त हो गई हैं. लेकिन, ऐसा हकीकत में बिल्कुल नहीं है. शहर में बुधवार देर शाम उस समय हद हो गई, जब खुद प्रमुख सचिव ट्रीटमेंट प्लांटों का निरीक्षण कर रहे थे और अचानक ही केस्को की ओर से प्लांट की लाइट काट दी गई. इस समस्या के चलते फौरन ही करोड़ों लीटर दूषित जल सीधे गंगा में पहुंच गया और अफसर एक दूसरे का मुंह ताकते रहे.

वहीं, हैरान करने वाली बात यह है कि गंगा में गंदगी पहुंच गई और जल निगम अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. जब जिला प्रशासन के आला अफसरों ने जल निगम अफसरों को फटकार लगाई तो सामने आया कि जल निगम पर केवल 275 करोड़ रुपये बिजली का ही बिल बकाया है. इसमें से बुधवार देर रात 50 लाख रुपये बिल जमा किया गया. लेकिन, गंगा में जो नालों व सीवरेज वाटर पहुंच गया उसके लिए किसी ने कोई जिम्मेदारी नहीं ली. शहर में अब लोगों का कहना है कि गंगा को दूषित करने में जल निगम अफसरों का हाथ है. अफसर चाहते ही नहीं कि गंगा साफ हों.

जल निगम अफसरों की टीम करा रही किरकिरी: ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब गंगा में दूषित नालों या सीवरेज वाटर पहुंचा हो. कुछ दिनों पहले जब सीएम योगी आए थे, तब भी जाजमऊ स्थित पंपिंग स्टेशन की मोटर अचानक खराब हुई थी और लाखों लीटर गंदा पानी गंगा में पहुंच गया था. ऐसे में जल निगम के अफसर आए दिन ही कोई न कोई बहाना बनाते हैं और अपनी गलतियों पर पर्दा ढक लेते हैं.

डीएम विशाख जी ने कहा कि जल निगम अफसरों की कार्यशैली को लेकर नोटिस भेजा जाएगा. गंगा को दूषित करने के लिए अगर अफसर जिम्मेदार हैं तो सख्त कार्रवाई होगी.

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