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कानपुर: संजीत की हत्या के 5 दिन बाद घटनास्थल पर पहुंची फॉरेंसिक टीम

कानपुर के चर्चित संजीत यादव अपहरण और हत्याकांड मामले में 5 दिन बाद फॉरेंसिक टीम घटनास्थल पर पहुंची. घटनास्थल पर फॉरेंसिक टीम के साथ पीड़ित परिवार भी वहां मौजूद था.

घटनास्थल पर पहुंची फॉरेंसिक टीम
घटनास्थल पर पहुंची फॉरेंसिक टीम
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Published : Jul 28, 2020, 6:30 PM IST

कानपुर: जिले के चर्चित अपहरण और हत्याकांड संजीत यादव के मामले में घटना के खुलासे के 5 दिन बाद फॉरेंसिक टीम घटनास्थल पर पहुंची. 22 जून को संजीत यादव का अपहरण हुआ था. इसके ठीक 1 महीने 1 दिन बाद 23 जुलाई को इस घटना का खुलासा हुआ था. जिसके बाद मंगलवार 28 जुलाई को फॉरेंसिक टीम जांच के लिए घटनास्थल पर पहुंची. घटनास्थल पर फॉरेंसिक टीम के साथ पीड़ित परिवार भी वहां मौजूद था. बता दें कि इस मामले में कुल 11 पुलिसकर्मी निलंबित कर दिए गए हैं और एसएसपी का तबादला भी हो चुका है, लेकिन अभी तक संजीत के शव का पुलिस पता नहीं लगा पाई है. पिछले 5 दिनों से पांडु नदी में पुलिस का सर्च ऑपरेशन लगातार जारी है.

घटनास्थल पर पहुंची फॉरेंसिक टीम

पिता को पुलिस की थ्योरी पर विश्वास नहीं
कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र के संजीत कांड मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने के 5 दिन बाद फॉरेंसिक टीम उस घर में पहुंची जहां पर अपहरणकर्ताओं ने संजीत को रखा था. उनके द्वारा बताया गया था कि यहीं पर हत्या कर शव को ले जाकर पांडु नदी में फेंका था. फॉरेंसिक टीम को घर से खाली गिलास, कोल्ड ड्रिंक की बोतल और कपड़ा मिला है. फॉरेंसिक टीम के प्रभारी पी के श्रीवास्तव का कहना है कि घटना के बाद पूरे घर को साफ कर दिया गया था. केमिकल डालकर चेक किया गया तो जगह-जगह ब्लड मिला है. दीवारों में भी ब्लड के निशान मिले हैं. उसी घर पर पहुंचे पिता का कहना है कि उनको पुलिस की थ्योरी पर कोई विश्वास नहीं है. उनका कहना है कि यह सब बनावटी है, उनको सिर्फ अपने बच्चे का शव चाहिए.

ये है पूरा मामला
संजीत 22 जून की रात नौबस्ता स्थित हॉस्पिटल से बर्रा पटेल चौक के पास स्थित पैथोलॉजी में सैंपल देने निकला था. सैंपल देकर उसे घर जाना था, लेकिन रास्ते से ही वह लापता हो गया. पीड़ित परिवार ने न्याय की गुहार के लिए कई दिनों तक थानों के चक्कर लगाए, लेकिन एफआईआर नहीं लिखी गई. पीड़ित परिवार ने चौराहों पर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया, तब जाकर एफआईआर लिखी गई. एफआईआर लिखने के बाद जांच कछुए की चाल की तरह धीरे-धीरे चलती रही.

न्याय मिलने में देरी होती देख पीड़ित परिवार एसएसपी ऑफिस पहुंचा, जहां परिवार को न्याय का आश्वासन तो मिला, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. संजीत की गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस ने कॉल डिटेल निकलवाई तो पता चला कि संजीत की बात राहुल नामक एक युवक और एक युवती सहित कई अन्य लोगों से हुई थी. पिता चमनलाल ने राहुल के खिलाफ बेटे के अपहरण का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी.

13 जुलाई को पिता ने पुलिस के कहने पर फिरौती के 30 लाख रुपये से भरा बैग भी अपहरणकर्ताओं के कहने पर गुजैनी पुल से नीचे फेंक दिया था. इसके बावजूद अपहृत बेटा नहीं मिला. इसके बाद पुलिस ने संजीत की हत्या की पुष्टि कर दी.

कानपुर: जिले के चर्चित अपहरण और हत्याकांड संजीत यादव के मामले में घटना के खुलासे के 5 दिन बाद फॉरेंसिक टीम घटनास्थल पर पहुंची. 22 जून को संजीत यादव का अपहरण हुआ था. इसके ठीक 1 महीने 1 दिन बाद 23 जुलाई को इस घटना का खुलासा हुआ था. जिसके बाद मंगलवार 28 जुलाई को फॉरेंसिक टीम जांच के लिए घटनास्थल पर पहुंची. घटनास्थल पर फॉरेंसिक टीम के साथ पीड़ित परिवार भी वहां मौजूद था. बता दें कि इस मामले में कुल 11 पुलिसकर्मी निलंबित कर दिए गए हैं और एसएसपी का तबादला भी हो चुका है, लेकिन अभी तक संजीत के शव का पुलिस पता नहीं लगा पाई है. पिछले 5 दिनों से पांडु नदी में पुलिस का सर्च ऑपरेशन लगातार जारी है.

घटनास्थल पर पहुंची फॉरेंसिक टीम

पिता को पुलिस की थ्योरी पर विश्वास नहीं
कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र के संजीत कांड मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने के 5 दिन बाद फॉरेंसिक टीम उस घर में पहुंची जहां पर अपहरणकर्ताओं ने संजीत को रखा था. उनके द्वारा बताया गया था कि यहीं पर हत्या कर शव को ले जाकर पांडु नदी में फेंका था. फॉरेंसिक टीम को घर से खाली गिलास, कोल्ड ड्रिंक की बोतल और कपड़ा मिला है. फॉरेंसिक टीम के प्रभारी पी के श्रीवास्तव का कहना है कि घटना के बाद पूरे घर को साफ कर दिया गया था. केमिकल डालकर चेक किया गया तो जगह-जगह ब्लड मिला है. दीवारों में भी ब्लड के निशान मिले हैं. उसी घर पर पहुंचे पिता का कहना है कि उनको पुलिस की थ्योरी पर कोई विश्वास नहीं है. उनका कहना है कि यह सब बनावटी है, उनको सिर्फ अपने बच्चे का शव चाहिए.

ये है पूरा मामला
संजीत 22 जून की रात नौबस्ता स्थित हॉस्पिटल से बर्रा पटेल चौक के पास स्थित पैथोलॉजी में सैंपल देने निकला था. सैंपल देकर उसे घर जाना था, लेकिन रास्ते से ही वह लापता हो गया. पीड़ित परिवार ने न्याय की गुहार के लिए कई दिनों तक थानों के चक्कर लगाए, लेकिन एफआईआर नहीं लिखी गई. पीड़ित परिवार ने चौराहों पर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया, तब जाकर एफआईआर लिखी गई. एफआईआर लिखने के बाद जांच कछुए की चाल की तरह धीरे-धीरे चलती रही.

न्याय मिलने में देरी होती देख पीड़ित परिवार एसएसपी ऑफिस पहुंचा, जहां परिवार को न्याय का आश्वासन तो मिला, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. संजीत की गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस ने कॉल डिटेल निकलवाई तो पता चला कि संजीत की बात राहुल नामक एक युवक और एक युवती सहित कई अन्य लोगों से हुई थी. पिता चमनलाल ने राहुल के खिलाफ बेटे के अपहरण का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी.

13 जुलाई को पिता ने पुलिस के कहने पर फिरौती के 30 लाख रुपये से भरा बैग भी अपहरणकर्ताओं के कहने पर गुजैनी पुल से नीचे फेंक दिया था. इसके बावजूद अपहृत बेटा नहीं मिला. इसके बाद पुलिस ने संजीत की हत्या की पुष्टि कर दी.

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