कानपुर: भारतीय संस्कृति को आत्मसात करना हम सभी की जिम्मेदारी है. मेरे लिए मैं खुद अपनी जिम्मेदारी समझूंगा और आप अपने लिए खुद समझिए. यह बातें शुक्रवार को फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने कही. मोतीझील स्थित लाजपत भवन में एनएलके ग्रुप आफ स्कूल्स के 75 साल पूरे होने पर आयोजित कथा संगम कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए आशुतोष राणा से मीडिया ने जैसे ही उनसे पठान फिल्म के विवाद को लेकर सवाल किया तो उन्होंने किसी तरह का जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को कथा संगम कार्यक्रम का समापन है और मुझे एक कलाकार के रूप में यहां बुलाया गया तो मैं यहां आया हूं.
जैसे ही छात्रों के बीच सफेद कुर्ता-पायजामा, काली सदरी, आंखों पर नारंगी लेंस का चश्मा व माथे पर लाल तिलक लगाकर आशुतोष राणा पहुंचे तो हर कोई उनका कायल हो गया. छात्रों व शिक्षकों ने तालियों की तेज आवाज से उनका स्वागत किया तो आशुतोष राणा ने फिल्मी अंदाज में उनका अभिवादन कर अपना जवाब दिया. देर शाम तक लाजपत भवन में आशुतोष राणा की एक झलक पाने के लिए लोग बेताब दिखे.
आशुतोष राणा ने कार्यक्रम के दौरान अपने अनूठे अंदाज में छात्रों से संवाद किया. कहा, वो यहां कुछ सिखाने नहीं आए हैं, खुद कुछ सीखने आए हैं. कार्यक्रम में एनएलके ग्रुप से वीणा सभरवाल, महेंद्र सभरवाल, निदेशक डॉ. अभिषेक चतुर्वेदी, संचिता कपूर आदि उपस्थित रहीं.