कानपुर: कानपुर देहात में शनिवार को टिड्डी दल के हमले के बाद प्रशासन ने अलर्ट जारी किया था. रविवार को टिड्डियों का दल शिवराजपुर में मंडराता देख किसानों में खलबली मच गई. किसान और आसपास के लोग खेत पर बर्तन और शंख बजाकर टिड्डी दल को भगाने का प्रयास किया. किसानों ने कृषि विभाग को फोनकर टिड्डी दल के गांव में पहुंचने की जानकारी दी. सूचना पर कृषि विभाग की टीम भी मौके से पहुंच गई. करीब तीन घंटे बाद टिड्डी दल गंगा नदी पार कर उन्नाव की ओर चला गया.
टिड्डी दल से बचाव के उपाय
टिड्डी दल को भगाने के लिए थालियां, ढोल, नगाड़े, लाउटस्पीकर या दूसरी चीजों के माध्यम से शोरगुल मचाएं, ताकि वे आवाज सुनकर खेत से भाग जाएं. टिड्डी ने जिस स्थान पर अपने अंडे दिये हों, वहां 25 किग्रा 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस को मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें. टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 100 किग्रा धान की भूसी को 0.5 किग्रा फेनीट्रोथीयोन और 5 किग्रा गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डाल दें. इसके जहर से दिड्डी दल मर जाते हैं.
टिड्डी दल के खेत की फसल पर बैठने पर, उस पर 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस का छिड़काव करें. कीट की रोकथाम के लिए 50 प्रतिशत ई.सी. फेनीट्रोथीयोन या मेलाथियोन और 20 प्रतिशत ई.सी. क्लोरपाइरिफोस 1 लीटर दवा को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें.
जिलाधिकारी ने दी जानकारी
डीएम ब्रह्मदेव राम तिवारी बताया कि टिड्डी दल सबेरे 10 बजे के बाद ही अपना डेरा बदलता है. इसलिए, इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस का छिड़काव करें. 500 ग्राम NSKE या 40 मिली नीम के तेल को 10 ग्राम कपड़े धोने के पाउडर के साथ, या फिर 20 -40 मिली नीम से तैयार कीटनाशक को 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से टिड्डे फसलों को नहीं खा पाते. फसल कट जाने के बाद खेत की गहरी जुताई करें. इससे इनके अंडे नष्ट हो जाते हैं.