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बिकरु कांड : कुख्यात विकास दुबे के भाई दीपक के शस्त्र लाइसेंस पर फर्जी हस्ताक्षर - शस्त्र लाइसेंस में एक चौकाने वाला खुलासा

बिकरु कांड को लेकर शस्त्र लाइसेंस में एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है. एसआईटी की जांच में अपने लिखित बयान में 82 वर्षीय सीओ ब्रजन सिंह ने बताया कि कुख्यात विकास दुबे के भाई दीपक दुबे के शस्त्र लाइसेंस की सत्यापन रिपोर्ट में अपने हस्ताक्षर को फर्जी करार दिया है. देखें ये रिपोर्ट-

बिकरु कांड
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Published : Mar 24, 2021, 12:04 PM IST

कानपुर : बिकरु कांड को लेकर शस्त्र लाइसेंस में एक चौकाने वाला खुलासा एक रिटायर्ड सीओ ने किया है. एसआईटी की जांच में अपने लिखित बयान में 82 वर्षीय रिटायर्ड सीओ ब्रजन सिंह ने कुख्यात विकास दुबे के भाई दीपक दुबे के शस्त्र लाइसेंस की सत्यापन रिपोर्ट में अपने हस्ताक्षर को फर्जी बताया है.


एसआईटी ने बिल्हौर सर्किल के 11 सीओ को माना दोषी

बिकरु कांड को लेकर गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट में विकास दुबे के आपराधिक रसूख को बढ़ावा देने में बिल्हौर सर्किल में तैनात रहे 11 क्षेत्राधिकारियों को अपनी जांच में दोषी पाया था, जिसकी जांच एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार कर रहे हैं. 1997 में बिल्हौर सर्किल में तैनात रहे सीओ ब्रजन सिंह जो कि अब रिटायर हो गए है उनको कुख्यात विकास दुबे के भाई दीपक दुबे के डबल बैरल बंदूक के शस्त्र लाइसेंस में पुलिस रिपोर्ट लगाने के आरोप में उनकी भूमिका की जांच चल रही है. इसके चलते उन्होंने अपनी सफाई में एसपी पश्चिम के कार्यालय पर लिखित बयान में बताया कि दीपक दुबे के शस्त्र लाइसेंस की सत्यापन को लेकर जो पुलिस रिपोर्ट पर दी गई थी, उस पर उनके हस्ताक्षर नहीं है. लेकिन, उनके हस्ताक्षर से मेल जरूर खाते हैं. साथ ही रिटायर सीओ ब्रजन सिंह ने अपनी 82 वर्षीय उम्र का हवाला देते हुए लिखा कि उनको ज्यादा कुछ याद भी नहीं है.

इसे भी पढ़ें- कानपुर: गुड़ मंडी की एक दुकान में लगी भीषण आग

किसी जमाने में चलाता था रेडियो और घड़ी की दुकान

बिकरु कांड के कुख्यात विकास दुबे जो जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया था, उसके इतिहास को लेकर रिटायर सीओ ब्रजेन सिंह ने एक और सनसनीखेज खुलासा किया. दरअसल, जब वो 1997 में बिल्हौर सर्किल में तैनात थे, उस वक्त विकास दुबे कानपुर देहात में रेडियो और घड़ियों की दुकान चलाता था. इतना ही नहीं, लोगों से पुलिस से काम कराने के लिए रकम भी ले लेता था. जब उनको इस बात का पता चला तो उन्होंने विकास दुबे पर सख्ती की. इसके बाद उसने अपना ठिकाना बदल कर अपने पैतृक गांव चौबेपुर चला गया.

इसे भी पढ़ें- ठेके में बनाई जा रही थी अवैध शराब, छापेमारी में हुआ खुलासा



क्या है बिकरु कांड?

गौरतलब हो कि पिछले साल की 2 जुलाई की रात थाना चौबेपुर के बिल्कुल गांव में विकास दुबे के घर दबिश देने गई. पुलिस टीम पर विकास दुबे और उसके साथियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर एक डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार डाला था.

कानपुर : बिकरु कांड को लेकर शस्त्र लाइसेंस में एक चौकाने वाला खुलासा एक रिटायर्ड सीओ ने किया है. एसआईटी की जांच में अपने लिखित बयान में 82 वर्षीय रिटायर्ड सीओ ब्रजन सिंह ने कुख्यात विकास दुबे के भाई दीपक दुबे के शस्त्र लाइसेंस की सत्यापन रिपोर्ट में अपने हस्ताक्षर को फर्जी बताया है.


एसआईटी ने बिल्हौर सर्किल के 11 सीओ को माना दोषी

बिकरु कांड को लेकर गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट में विकास दुबे के आपराधिक रसूख को बढ़ावा देने में बिल्हौर सर्किल में तैनात रहे 11 क्षेत्राधिकारियों को अपनी जांच में दोषी पाया था, जिसकी जांच एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार कर रहे हैं. 1997 में बिल्हौर सर्किल में तैनात रहे सीओ ब्रजन सिंह जो कि अब रिटायर हो गए है उनको कुख्यात विकास दुबे के भाई दीपक दुबे के डबल बैरल बंदूक के शस्त्र लाइसेंस में पुलिस रिपोर्ट लगाने के आरोप में उनकी भूमिका की जांच चल रही है. इसके चलते उन्होंने अपनी सफाई में एसपी पश्चिम के कार्यालय पर लिखित बयान में बताया कि दीपक दुबे के शस्त्र लाइसेंस की सत्यापन को लेकर जो पुलिस रिपोर्ट पर दी गई थी, उस पर उनके हस्ताक्षर नहीं है. लेकिन, उनके हस्ताक्षर से मेल जरूर खाते हैं. साथ ही रिटायर सीओ ब्रजन सिंह ने अपनी 82 वर्षीय उम्र का हवाला देते हुए लिखा कि उनको ज्यादा कुछ याद भी नहीं है.

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किसी जमाने में चलाता था रेडियो और घड़ी की दुकान

बिकरु कांड के कुख्यात विकास दुबे जो जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया था, उसके इतिहास को लेकर रिटायर सीओ ब्रजेन सिंह ने एक और सनसनीखेज खुलासा किया. दरअसल, जब वो 1997 में बिल्हौर सर्किल में तैनात थे, उस वक्त विकास दुबे कानपुर देहात में रेडियो और घड़ियों की दुकान चलाता था. इतना ही नहीं, लोगों से पुलिस से काम कराने के लिए रकम भी ले लेता था. जब उनको इस बात का पता चला तो उन्होंने विकास दुबे पर सख्ती की. इसके बाद उसने अपना ठिकाना बदल कर अपने पैतृक गांव चौबेपुर चला गया.

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क्या है बिकरु कांड?

गौरतलब हो कि पिछले साल की 2 जुलाई की रात थाना चौबेपुर के बिल्कुल गांव में विकास दुबे के घर दबिश देने गई. पुलिस टीम पर विकास दुबे और उसके साथियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर एक डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार डाला था.

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