कानपुरः शहर में किस तरह गरीब बेटियों की शादी करने की सरकारी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है. दलालों और राजस्वकर्मियों की मिलीभगत से इस योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है. लगातार ऐसे फर्जी आवेदन लगातार होते चले आ रहे हैं. जब इस मामले पर एक आवेदक के घर पर जांच अधिकारी जांच करने पहुंचे तो उन्होंने बताया मैंने कोई ऐसा आवेदन नहीं किया है. वहीं से इस बड़े फर्जीवाड़े को अधिकारियों ने पकड़ लिया उसके बाद इस बड़े घोटाले का पता लगा.
सीडीओ ने कराई फाइलों की जांच
वहीं कानपुर के सीडीओ ने कुछ फाइलों की जांच कराई जिसके 11 साल की बेटी है. उस पिता को भी शादी अनुदान के लिए आवेदन फॉर्म बना दिया गया. जिस दंपती को बेटी नहीं थी. उनका भी फॉर्म भर दिया गया. पड़ताल में पता चला कि जिनकी बेटियों की शादी पांच से 10 साल पहले हो गई है. उनके आवेदन फॉर्म भी अनुदान के लिए स्वीकृत कर दिए गए हैं. बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन भी सामने आए हैं जो दर्ज कराए गए पते पर रहते ही नहीं हैं.
घर के पते पर नहीं मिला कोई आवेदक
बृजेन्द्र के नाम से आवेदन किया गया है, लेकिन उस पते पर बृजेन्द्र नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता था. वहीं चकेरी के सनिगवां रोड के पते से आवेदन करने वाले अमन भी इस पते पर नहीं रहते थे. ऐसे एक दो नहीं बल्कि दो दर्जन से अधिक लोग हैं. इनके नाम का कोई व्यक्ति संबंधित पते पर नहीं मिला, लेकिन उन्हें भी सही घोषित किया गया है. इसी तरह दो दर्जन से अधिक मामले समाज कल्याण विभाग के ऐसे हैं. जिनकी बेटियों की या तो शादी हो गई है या बेटी शादी योग्य नहीं है, लेकिन लेखपालों ने आंख मूंदकर जांच की और उन्हें भी सही घोषित कर दिया एसडीएम ने उनकी रिपोर्ट को सच मानकर आगे भी बढ़ा दिया.
इस तरह से आम जनता कर सकती है ऑनलाइन आवेदन
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाला कोई भी व्यक्ति आय प्रमाण पत्र लगाकर बेटी की शादी के लिए मिलने वाले अनुदान के लिए आवेदन कर सकता है. ये प्रक्रिया ऑनलाइन होती है. उसकी जांच लेखपाल करता है. मानक पूरे हो रहे हैं या नहीं इसकी भी जांच की जाती है यदि आवेदक सही होता है तो एसडीएम डिजिटल हस्ताक्षर कर उसे समाज कल्याण विभाग को ऑनलाइन भेजते हैं. इसके बाद अनुदान स्वीकृत होता है.
लेखपाल का बड़ा फर्जीवाड़ा
बर्रा निवासी प्रदीप कुमार की कोई बेटी नहीं है. इन के नाम से बिटिया की शादी के लिए अलग अलग फार्म भरा गया. लेखपाल ने उन्हें सही घोषित किया. इसी तरह श्याम नगर के ओमप्रकाश की बेटी अभी शादी योग्य नहीं है. उसको भी सही बनाया गया. सीडीओ डॉ. महेंद्र कुमार को शक हुआ तो उन्होंने जांच कराई और मामला पकड़ में आ गया. इसी तरह सीडीओ द्वारा कराई गई जांच में ही पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के दो फार्म के आवेदन को सही बनाने का मामला पकड़ में आ चुका है.
जांच में खुलेगा बड़ा खेल
तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. दो लेखपालों को निलंबित किया गया है. इसे देखते हुए कानपुर के जिलाधिकारी ने जांच के आदेश देते हुए साल 2019-20 और साल 2020-21 के कुल 1700 से अधिक मामलों की जांच के लिए समिति गठित कर दी गई है. समाज कल्याण विभाग की शादी अनुदान योजना में रैंडम आधार पर जांच कराई गई, जिसमें कुछ आवेदन फर्जी पाए गए. जिनका आवेदन पत्र भी नहीं थे, उन्हें भी शादी का अनुदान दे दिया गया. इस मामले का संज्ञान लिया गया है जांच पूरी होने के बाद जो भी इसमें दोषी पाए जाते हैं. उनके ऊपर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.