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डॉ. अबरार के सिमी से जुड़े तार, पीएफआई का जिन्न भी आया बाहर

नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) की टीम ने कानपुर में डॉ. अबरार (NIA interrogated Dr Abrar in Kanpur) व उनके बेटों से पूछताछ कर छोड़ दिया था. अचानक एनआईए द्वारा पूछताछ के बाद अब स्थानीय स्तर पर पुलिस ने डॉ. अबरार की पुरानी फाइलें खोल ली है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 13, 2023, 4:29 PM IST

Updated : Oct 13, 2023, 11:01 PM IST

कानपुर: राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) की ओर से तीन दिनों पहले प्रदेश के तमाम शहरों में छापेमारी की गई थी. एनआईए टीम के सदस्यों के पास जो इनपुट था, उसके आधार पर अलग-अलग शहरों के लोगों को उठाया और घंटों तक पूछताछ की. इसी कड़ी में एनआईए की टीम कानपुर पहुंची थी और मूलगंज थाना क्षेत्र स्थित हीरामनपुरवा निवासी डॉ. अबरार व उनके दो बेटों से भी पूछताछ की.

डॉ. अबरार की फाइल फिर से खुलीः भले ही एनआईए की टीम अपनी कवायद कर कुछ घंटों में वापस लौट गई. एटीएस समेत अन्य खुफिया एजेंसियों को पता लगा है कि डॉ. अबरार का कनेक्शन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया से भी रहा है. जिसे देश-दुनिया में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) संगठन का ही बदला हुआ प्रारूप माना जाता है. एटीएस अफसरों के मुताबिक डॉ. अबरार यूनानी चिकित्सा के चिकित्सक हैं और उन्होंने अलीगढ़ में अपनी पढ़ाई पूरी की थी, जहां वह सिमी से जुड़े रहे. डॉ. अबरार पर पीएफआई संगठन पर फंडिंग का आरोप भी लगा था. एनआईए की पूछताछ से पहले शहर में साल 2001 में जब नई सड़क पर हिंसा हुई थी और उसमें एक प्रशानिक अफसर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में भी डॉ. अबरार से पूछताछ की जा चुकी है. अब, स्थानीय स्तर पर व एलआईयू अफसरों की टीम ने एक बार फिर से डॉ. अबरार की फाइल खोल ली है. उनकी गतिविधियों को देखा जा रहा है और जानकारियां जुटाने में भी पुलिस लग गई है.

इसे भी पढ़ें-NIA Team In Kanpur : डॉ. अबरार का दिल्ली क्राइम कनेक्शन, कई घंटे की पूछताछ

पिछले दो सालों में पीएफआई के आठ सक्रिय सदस्य गिरफ्तार: पिछले कुछ सालों में कानपुर के अंदर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के आठ सक्रिय सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा है. पांच सदस्यों को तो नागरिकता संशोधन अधिनियम और नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन के खिलाफ हिंसा भड़काने और चमनगंज स्थित एक पार्क में चल रहे प्रदर्शन को फंडिंग के आरोप में अरेस्ट किया गया था. कानपुर की एटीएस यूनिट के अफसर यह दावा कर चुके हैं कि अब पीएफआई का कोई सक्रिय सदस्य नहीं है. लेकिन जिस तरह डॉ. अबरार का कनेक्शन अचानक सामने आया, उसने अफसरों को एक बार फिर से लंबी कवायद करने पर विवश कर दिया है. वहीं, स्थानीय स्तर पर पुलिस के अफसरों का कहना है कि अब तक पीएफआई के सक्रिय सदस्यों- मोहम्मद उमर, सैयद अब्दुल हई हाशमी, फैजान मुमताज, मोहम्मद वासिफ व सरवर आलम को जेल भेजा जा चुका है.

इसे भी पढ़ें-NIA Raids At PFI Premises : NIA को छापेमारी के दौरान मिले अहम सबूत, घंटों की पूछताछ, मोबाइल व लैपटॉप जांच के लिए भेजा


हमारा काम है, शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखना. अगर कानून व्यवस्था में किसी तरह की दिक्कत होगी, तो निश्चित तौर पर हम उस गतिविधि को देखेंगे. एनआईए ने अपना काम किया है. हालांकि, अब स्थानीय स्तर पर पुलिस डा.अबरार की गतिविधि पर नजर रखेगी. -आनंद प्रकाश तिवारी, संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था

Body:समीर दीक्षित, 8934909090Conclusion:एनआईए की टीम ने पूछताछ के बाद डॉ. अबरार को छोड़ा. (फ़ाइल वीडियो)

कानपुर: राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) की ओर से तीन दिनों पहले प्रदेश के तमाम शहरों में छापेमारी की गई थी. एनआईए टीम के सदस्यों के पास जो इनपुट था, उसके आधार पर अलग-अलग शहरों के लोगों को उठाया और घंटों तक पूछताछ की. इसी कड़ी में एनआईए की टीम कानपुर पहुंची थी और मूलगंज थाना क्षेत्र स्थित हीरामनपुरवा निवासी डॉ. अबरार व उनके दो बेटों से भी पूछताछ की.

डॉ. अबरार की फाइल फिर से खुलीः भले ही एनआईए की टीम अपनी कवायद कर कुछ घंटों में वापस लौट गई. एटीएस समेत अन्य खुफिया एजेंसियों को पता लगा है कि डॉ. अबरार का कनेक्शन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया से भी रहा है. जिसे देश-दुनिया में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) संगठन का ही बदला हुआ प्रारूप माना जाता है. एटीएस अफसरों के मुताबिक डॉ. अबरार यूनानी चिकित्सा के चिकित्सक हैं और उन्होंने अलीगढ़ में अपनी पढ़ाई पूरी की थी, जहां वह सिमी से जुड़े रहे. डॉ. अबरार पर पीएफआई संगठन पर फंडिंग का आरोप भी लगा था. एनआईए की पूछताछ से पहले शहर में साल 2001 में जब नई सड़क पर हिंसा हुई थी और उसमें एक प्रशानिक अफसर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में भी डॉ. अबरार से पूछताछ की जा चुकी है. अब, स्थानीय स्तर पर व एलआईयू अफसरों की टीम ने एक बार फिर से डॉ. अबरार की फाइल खोल ली है. उनकी गतिविधियों को देखा जा रहा है और जानकारियां जुटाने में भी पुलिस लग गई है.

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पिछले दो सालों में पीएफआई के आठ सक्रिय सदस्य गिरफ्तार: पिछले कुछ सालों में कानपुर के अंदर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के आठ सक्रिय सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा है. पांच सदस्यों को तो नागरिकता संशोधन अधिनियम और नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन के खिलाफ हिंसा भड़काने और चमनगंज स्थित एक पार्क में चल रहे प्रदर्शन को फंडिंग के आरोप में अरेस्ट किया गया था. कानपुर की एटीएस यूनिट के अफसर यह दावा कर चुके हैं कि अब पीएफआई का कोई सक्रिय सदस्य नहीं है. लेकिन जिस तरह डॉ. अबरार का कनेक्शन अचानक सामने आया, उसने अफसरों को एक बार फिर से लंबी कवायद करने पर विवश कर दिया है. वहीं, स्थानीय स्तर पर पुलिस के अफसरों का कहना है कि अब तक पीएफआई के सक्रिय सदस्यों- मोहम्मद उमर, सैयद अब्दुल हई हाशमी, फैजान मुमताज, मोहम्मद वासिफ व सरवर आलम को जेल भेजा जा चुका है.

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हमारा काम है, शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखना. अगर कानून व्यवस्था में किसी तरह की दिक्कत होगी, तो निश्चित तौर पर हम उस गतिविधि को देखेंगे. एनआईए ने अपना काम किया है. हालांकि, अब स्थानीय स्तर पर पुलिस डा.अबरार की गतिविधि पर नजर रखेगी. -आनंद प्रकाश तिवारी, संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था

Body:समीर दीक्षित, 8934909090Conclusion:एनआईए की टीम ने पूछताछ के बाद डॉ. अबरार को छोड़ा. (फ़ाइल वीडियो)

Last Updated : Oct 13, 2023, 11:01 PM IST
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