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नालों से कराह रही गंगा में कैसे करेंगे आचमन

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Published : Dec 19, 2020, 5:32 PM IST

Updated : Dec 19, 2020, 10:50 PM IST

पिछले दिनों दावा किया जा रहा था कि गंगा जल अब स्नान ही नहीं बल्कि आचमन करने योग्य है, लेकिन वास्तविकता बिलकुल विपरीत है. कानपुर में एक दो नहीं बल्कि 5 से अधिक घाटों के पास गंदे नाले का पानी गंगा में गिर रहा है. इसमें अटल घाट भी शामिल है, जिस घाट पर पीएम मोदी खुद रुके थे.

नालों से कराह रही गंगा
नालों से कराह रही गंगा

कानपुरः सरकार गंगा स्वच्छता को लेकर लगातार अपनी पीठ ठोक रही है, लेकिन जमीन पर हालात बदतर हैं. कानपुर में पीएम मोदी को आए एक साल हो चुका है. पीएम के आगमन पर गंगा सफाई के नाम पर सभी नालों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था, लेकिन जाते ही सब नाले फिर खुल गए. एक साल बीत जाने के बाद कोई स्थायी व्यवस्था नहीं हो सकी. वहीं अधिकारी काम के नाम पर सिर्फ शासन को प्रस्ताव बनाकर भेज रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बेहाल है.

नालों से कराह रही गंगा.

एक साल बाद भी शासन के पास सिर्फ भेज रहे प्रस्ताव
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक बीके गर्ग से जब इस संबंध में बात की तो उन्होंने शासन में प्रस्ताव भेजने की बात कही. उन्होंने कहा कि अधिकांश नाले पहले ही बंद हो चुके हैं, लेकिन अभी 5 नाले अस्थायी रूप से टैप किये गए हैं. उनके लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है. जल्द ही इन्हें भी बंद किया जाएगा.

2020 में 20 हजार करोड़ से साफ होनी थी गंगा
केंद्र सरकार 2020 में गंगा साफ करने के लिए भारी भरकम बजट 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई थी. बजट से अभी तक सिर्फ 25 फीसद काम हो सका है, लेकिन कागजों में लगातार गंगा अविरल होती जा रही है. सिर्फ कानपुर में ही कुछ को छोड़ अधिकांश नाले सीधे गंगा में गिर रहे हैं.

जहां हुई काउंसिल की पहली बैठक वहीं गंगा दूषित
14 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानपुर आए हुए थे. उस दौरान गंगा काउंसिल की पहली बैठक आयोजित की गई थी. बैठक की अध्यक्षता नरेंद्र मोदी ने खुद की थी. इस दौरान बिहार के भाजपा नेता सुशील मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रकाश जावड़ेकर भी मौजूद थे. इस दौरान गंगा सफाई को लेकर दिशा-निर्देश तो तय किए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति जस की तस है. जिस जगह पर काउंसिल की पहली मीटिंग हुई वहां भी गंगा साफ नहीं हो सकी.

यह नाले कर रहे गंगा जल को दूषित
2019 में पीएम के आगमन पर 100 से अधिक पुराने सीसामऊ नाले को बंद कर दिया गया था, लेकिन अस्थायी रूप से बंद कई नाले दोबारा शुरू हो गए हैं. इनसे प्रतिदिन करोड़ों लीटर गंदा पानी गंगा में मिल रहा है. इसमें अटल घाट के पास का नाला भी शामिल है. मुख्य रूप से रानी घाट, मैग्जीन घाट, सरसैया घाट और गोला घाट से नाले गिर रहे हैं.

कानपुरः सरकार गंगा स्वच्छता को लेकर लगातार अपनी पीठ ठोक रही है, लेकिन जमीन पर हालात बदतर हैं. कानपुर में पीएम मोदी को आए एक साल हो चुका है. पीएम के आगमन पर गंगा सफाई के नाम पर सभी नालों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था, लेकिन जाते ही सब नाले फिर खुल गए. एक साल बीत जाने के बाद कोई स्थायी व्यवस्था नहीं हो सकी. वहीं अधिकारी काम के नाम पर सिर्फ शासन को प्रस्ताव बनाकर भेज रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बेहाल है.

नालों से कराह रही गंगा.

एक साल बाद भी शासन के पास सिर्फ भेज रहे प्रस्ताव
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक बीके गर्ग से जब इस संबंध में बात की तो उन्होंने शासन में प्रस्ताव भेजने की बात कही. उन्होंने कहा कि अधिकांश नाले पहले ही बंद हो चुके हैं, लेकिन अभी 5 नाले अस्थायी रूप से टैप किये गए हैं. उनके लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है. जल्द ही इन्हें भी बंद किया जाएगा.

2020 में 20 हजार करोड़ से साफ होनी थी गंगा
केंद्र सरकार 2020 में गंगा साफ करने के लिए भारी भरकम बजट 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई थी. बजट से अभी तक सिर्फ 25 फीसद काम हो सका है, लेकिन कागजों में लगातार गंगा अविरल होती जा रही है. सिर्फ कानपुर में ही कुछ को छोड़ अधिकांश नाले सीधे गंगा में गिर रहे हैं.

जहां हुई काउंसिल की पहली बैठक वहीं गंगा दूषित
14 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानपुर आए हुए थे. उस दौरान गंगा काउंसिल की पहली बैठक आयोजित की गई थी. बैठक की अध्यक्षता नरेंद्र मोदी ने खुद की थी. इस दौरान बिहार के भाजपा नेता सुशील मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रकाश जावड़ेकर भी मौजूद थे. इस दौरान गंगा सफाई को लेकर दिशा-निर्देश तो तय किए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति जस की तस है. जिस जगह पर काउंसिल की पहली मीटिंग हुई वहां भी गंगा साफ नहीं हो सकी.

यह नाले कर रहे गंगा जल को दूषित
2019 में पीएम के आगमन पर 100 से अधिक पुराने सीसामऊ नाले को बंद कर दिया गया था, लेकिन अस्थायी रूप से बंद कई नाले दोबारा शुरू हो गए हैं. इनसे प्रतिदिन करोड़ों लीटर गंदा पानी गंगा में मिल रहा है. इसमें अटल घाट के पास का नाला भी शामिल है. मुख्य रूप से रानी घाट, मैग्जीन घाट, सरसैया घाट और गोला घाट से नाले गिर रहे हैं.

Last Updated : Dec 19, 2020, 10:50 PM IST
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