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IIT कानपुर के साथ दिल्ली सरकार का करार, ऐसे पता चलेगा क्यों बढ़ रहा प्रदूषण - केजरीवाल सरकार का आईआईटी कानपुर के साथ करार

वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार लगातार कोशिश कर रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए अब दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर के साथ करार किया है.

केजरीवाल सरकार का आईआईटी कानपुर के साथ करार
केजरीवाल सरकार का आईआईटी कानपुर के साथ करार
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Published : Oct 22, 2021, 10:36 PM IST

नई दिल्ली/कानपुर: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के लिए आमतौर पर पराली को प्रमुख कारण माना जाता है. हालांकि, आने वाले दिनों यहां प्रदूषण के कारकों का रीयल टाइम डेटा मिल पाएगा. दिल्ली सरकार ने इसके लिए IIT कानपुर के साथ करार किया है.

शुक्रवार को पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में अभियान चल रहा है. लड़ाई को और प्रभावशाली बनाने के लिए एक तरफ जन भागीदारी को सुनिश्चित किया जा रहा है तो तकनीक के सहारे कैसे सफल किया जाए इस पर भी काम किया जा रहा है. इसी दिशा में IIT कानपुर की मदद ली जा रही है. उन्होंने बताया कि डीपीसीसी और आईआईटी कानपुर के बीच एक मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग साइन हुआ है. इसके तहत आईआईटी कानपुर अध्ययन करेगी कि दिल्ली में रियल टाइम में प्रदूषण के कौन कौन से कारक हैं.

पढ़ें: दिल्ली हिंसा: भड़काऊ भाषण देने के मामले में शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज

गोपाल राय ने बताया कि इसके लिए 23 महीने का समय लिया गया है.स्टडी के बाद सरकार को सुझाव दिए जाएंगे. उन्होंने बताया कि इसके लिए दिल्ली में सुपर साइट इस्टेब्लिश करने का प्रस्ताव है. साथ ही मोबाइल वैन के माध्यम से अलग-अलग इलाकों में स्टडी का काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार है कि भारत में ऐसी कोई स्टडी होने जा रही है. इससे टारगेटेड तरीके से प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी.

पढ़ें: पटियाला हाउस कोर्ट ने टेरर फंडिंग के चार आरोपियों को बरी किया

गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली में सरकार 4 मोर्चों पर काम कर रही है. इसमें धूल के लिए एंटी डस्ट कैंपेन, गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण के लिए रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ कैम्पेन, पराली की समस्या से निजात पाने के लिए बायो डीकंपोजर, और कूड़ा जलाने या अन्य तरह की प्रदूषण संबंधी गतिविधियों को रिपोर्ट करने के लिए ग्रीन ऐप. इसमें जन भागीदारी अभियान को तेज करने के लिए 28 और 29 अक्टूबर को दिल्ली के सभी एसडीएम, आरडब्ल्यूए और अन्य संगठनों के साथ मीटिंग करेंगे और उन्हें ट्रेनिंग देंगे. 31 अक्टूबर को रविवार के दिन यह आरडब्लूए और एनजीओ पूरी दिल्ली के अंदर अवेयरनेस मीटिंग ऑर्गेनाइज करेंगे और लोगों को जागरूक करेंगे.

नई दिल्ली/कानपुर: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के लिए आमतौर पर पराली को प्रमुख कारण माना जाता है. हालांकि, आने वाले दिनों यहां प्रदूषण के कारकों का रीयल टाइम डेटा मिल पाएगा. दिल्ली सरकार ने इसके लिए IIT कानपुर के साथ करार किया है.

शुक्रवार को पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में अभियान चल रहा है. लड़ाई को और प्रभावशाली बनाने के लिए एक तरफ जन भागीदारी को सुनिश्चित किया जा रहा है तो तकनीक के सहारे कैसे सफल किया जाए इस पर भी काम किया जा रहा है. इसी दिशा में IIT कानपुर की मदद ली जा रही है. उन्होंने बताया कि डीपीसीसी और आईआईटी कानपुर के बीच एक मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग साइन हुआ है. इसके तहत आईआईटी कानपुर अध्ययन करेगी कि दिल्ली में रियल टाइम में प्रदूषण के कौन कौन से कारक हैं.

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गोपाल राय ने बताया कि इसके लिए 23 महीने का समय लिया गया है.स्टडी के बाद सरकार को सुझाव दिए जाएंगे. उन्होंने बताया कि इसके लिए दिल्ली में सुपर साइट इस्टेब्लिश करने का प्रस्ताव है. साथ ही मोबाइल वैन के माध्यम से अलग-अलग इलाकों में स्टडी का काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार है कि भारत में ऐसी कोई स्टडी होने जा रही है. इससे टारगेटेड तरीके से प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी.

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गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली में सरकार 4 मोर्चों पर काम कर रही है. इसमें धूल के लिए एंटी डस्ट कैंपेन, गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण के लिए रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ कैम्पेन, पराली की समस्या से निजात पाने के लिए बायो डीकंपोजर, और कूड़ा जलाने या अन्य तरह की प्रदूषण संबंधी गतिविधियों को रिपोर्ट करने के लिए ग्रीन ऐप. इसमें जन भागीदारी अभियान को तेज करने के लिए 28 और 29 अक्टूबर को दिल्ली के सभी एसडीएम, आरडब्ल्यूए और अन्य संगठनों के साथ मीटिंग करेंगे और उन्हें ट्रेनिंग देंगे. 31 अक्टूबर को रविवार के दिन यह आरडब्लूए और एनजीओ पूरी दिल्ली के अंदर अवेयरनेस मीटिंग ऑर्गेनाइज करेंगे और लोगों को जागरूक करेंगे.

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