कानपुर : छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे बांदा के जलयोद्धा उमाशंकर पांडेय ने जल संकट के प्रति लाेगाें काे आगाह किया. ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जल है तो जीवन है, लेकिन जिस तरह से पानी की बर्बादी हो रही है, नदियां सूखती जा रहीं हैं, यह बेहद चिंतनीय है. सरकार और लोगों से यह अपील है कि कुछ ऐसा प्रयास किया जाए कि वर्षा की बूंदें जहां गिरें वो वहीं रुकें. इससे जलसंकट से हम बच जाएंगे.
शनिवार को यह बातें पद्मश्री से सम्मानित जलयोद्धा उमाशंकर पांडेय ने कही. उन्हाेंने कहा कि पुराने समय में गांव में जल स्रोत तरह-तरह के होते थे, गांव का पानी गांव में ही बना रहता था. मगर, अब तो गांव-गांव में पानी का संकट है. सरकार हर घर नल योजना को अमलीजामा पहना रही है. पानी को हमें खुच बचाना होगा, क्योंकि हम पानी को बना नहीं सकते, लेकिन बर्बाद होने से बचा जरूर सकते हैं. जलयोद्धा ने सीएसजेएमयू के पं.दीनदयाल शोध केंद्र में आयोजित कार्यक्रम को भी संबोधित किया.
जलयोद्धा ने कहा कि हम जागरूक नहीं हैं, आचमन लायक भी गंगा जल नहीं रह गया है. सरकार के साथ ही हमें भी जागरूक होना होगा. गंगा व अन्य नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए नदियों में फल-फूल पत्ती, कूड़ा फेंकना बंद करना होगा. पशुओं को नदियों के बाहर नहलाना होगा, शवों को प्रवाहित होने से रोकना होगा.
जलयोद्धा उमाशंकर पांडेय ने कहा कि पानी को बचाने के लिए हमें आगे आने वाली पीढ़ी को इसके लिए तैयार करना होगा. उन्हें बताना होगा कि कई सौ साल पहले हमारे पूर्वज पानी का बचाव कैसे करते थे. हमें गांव के नालों को ठीक करना होगा, तालाबों को पुनर्जीवित करना होगा. बारिश की हर बूंद को सहेजना होगा. हमें कल के लिए जल काे हर हाल में बचाना हाेगा.
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