कानपुर: शहर के चकेरी थाना क्षेत्र में करीब दो माह पहले किसान बाबू सिंह ने ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी थी. साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी पूर्व भाजपा नेता प्रियरंजन आशू दिवाकर समेत कई अन्य पर मुकदमा दर्ज किया था. दो माह से पुलिस कमिश्नरेट की कई टीमें प्रियरंजन को जहां तलाश रही हैं, वहीं मंगलवार को प्रियरंजन ने हाईकोर्ट में बताया कि वह लगातार पुलिस के संपर्क में था.
प्रियरंजन की इतनी जानकारी से अब हाईकोर्ट ने पांच दिसंबर तक प्रियरंजन की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. वहीं, प्रियरंजन की ओर से पुलिस के संपर्क में रहने संबंधी जो साक्ष्य प्रस्तुत किए गए उससे पुलिस कमिश्नरेट के महकमे में सनसनी मची है. हालांकि, पूरे मामले पर संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था आनंद प्रकाश तिवारी का दावा है कि आरोपी प्रियरंजन ने दोबारा हाईकोर्ट को गलत साक्ष्यों के आधार पर गुमराह किया है. उन्होंने कहा कि अब अगली सुनवाई में पुलिस अपना पक्ष रखेगी और दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.
पत्नी के पास रहता था मोबाइल, प्रियरंजन के नाम से जारी है नंबर: संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि प्रियरंजन आशू की ओर से हाईकोर्ट में बताया गया कि उसके नंबर से एसीपी चकेरी अमरनाथ (अब बाबूपुरवा एसीपी हैं) से कई बार बात की गई जबकि मोबाइल और नंबर केवल प्रियरंजन आशू के नाम पर दर्ज है. फोन और नंबर हमेशा प्रियरंजन की पत्नी के पास रहता है. जेसीपी लॉ एंड आर्डर ने कहा कि आरोपी प्रियरंजन आशू ने कोर्ट को दोबारा गुमराह किया है. इससे पहले आरोपी ने कोर्ट को बताया था, कि वह कानपुर के एक अस्पताल में एडमिट हुआ था जबकि उसके भर्ती होने के कोई साक्ष्य पुलिस को नहीं मिले.
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